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रायपुर। बच्चों में शील –सदाचार के साथ ही उन्हें मन से मजबूत बनाने के उद्देश्य से आयोजित आनापान शिविर में बड़ी संख्या में बच्चों ने हिस्सा लिया। विपश्यना केन्द्र थनौद में आयोजित एक दिवसीय बाल शिविर में बच्चों को अपने श्वास को ही देखते हुए स्वनियंत्रण की विद्या सिखाई गई। बाल शिविर शिक्षक पी के नंदी ने बताया कि शिविर में रायपुर एवं दुर्ग के 8 से 15 वर्ष तक के 75 बच्चों ने हिस्सा लिया। इस दौरान बच्चों को आनापान का अभ्यास कराया गया तथा इसे नियमित करने हेतु प्रेरित किया गया। नंदी ने बताया कि 10 मिनट आनापान के नियमित अभ्यास से कई मनोविकारों से बच्चों को दूर रखा जा सकता है। इसमें झूठ बोलने की आदत, हिंसा , चुगली जैसे गलत आचरण के प्रति बच्चे सचेत होने लगते हैं और इनसे दूर रह पाते हैं।
उल्लेखनीय है कि विपश्यना ध्यान पद्धति से जीवन सात्विक होता है तथा व्यक्ति मानसिक रूप से अधिक मजबूत होता है। आनापान के माध्यम से व्यक्ति अपने श्वास को देखते हुए अपने अंदर हो रहे बदलावों को जानता है और इस माध्यम से जीवन और संसार की अनित्यता को जानने लगता है। इससे सबसे पहले व्यक्ति को बेचैनी, घबराहट , भय जैसी मानसिक परेशानी के बचाव होता है। समाज में फैल रही विकृतियों से बचने में विपश्यना ध्यान एक कारगर पद्धति है।
विपश्यना आचार्य डॉ सिताराम साहू ने बताया कि ग्रीष्म अवकाश को देखते हुए बच्चों के लिए रायपुर में भी आगामी सप्ताह बाल शिविर का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पुराने साधकों के लिए योग टॉवर (अनुपम गार्डन के सामने ) में प्रति रविवार एक घंटे की सामुहिक साधना सुबह आठ बजे से 9 बजे तक आयोजित की जाती है।
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