ओमीक्रॉन ने शराब, गुटखा और गुड़ाखू के कालाबाजारियों की खोल दी किस्मत
- कोरोना जांच करने के बजाय लोग शराब, गुटखा, गुड़ाखू, सिगरेट के जुगाड़ में जुटे
- प्रदेश में अफवाहों का बाजार गर्म, लाकडाउन के नाम पर कर रहे अवैध कमाई
- राशन सामग्री, गुटखा, गुड़ाखू, आलू-प्याज की जमकर हो रही जमाखोरी, जरूरत की चीजें मार्केट से गायब
- शराब कोचिये बने स्टाकिस्ट - शराब कोचिए भंडारण में सक्रिय कोरोना के बढ़ते रफ्तार को देखते हुए यदि पूर्ण लाकडाउन लग जाएगा तो शराब दुकान भी बंद हो जाएंगे। जिसका बेजा फायदा उठाने कोचिए प्रदेश के साथ दूसरे राज्यों से शराब लाकर छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिला मुख्यालय के आऊटर में खेत या फार्म हाउस को किराए पर लेकर शराब स्टाक करने की भी जानकारी मिल रही है। लाकडाउन लगते ही इन स्थानों से शराब की सप्लाई पहेल की तरह शुरू हो जाएगी। पिछली बार जब लंबा लाकडाउन लगा था, तब सरकार ने मदिरा प्रेमियों की सुविधा के लिए आनलाइन शराब की सप्लाई की व्यवस्था की थी, सरकार ने हाल ही में शराब की आनलाइन सप्लाई की घोषणा करते ही शराब कोचिए सक्रिय होकर अवैध रूप में भंडारण में जुट गए है। थोक में दूसरे राज्यों से शराब लाने का सिलसिला जारी है।
- आलू-प्याज को मार्केट में रोकने अवैध भंडारण : दैनिक रोजमर्रा के जीवन में सब्जी कोई भी हो लेकिन आलू-प्याज के बिना सब्जी बनना मुश्किल है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर कोचिए यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से ट्रकों से आलू-प्याज मंगवा रहे है।
- कोचिए का सिंडिकेट - लाकडाउन का बेजा फायदा उठाने के लिए कोचियों का सिंडिकेट तैयार हो गया है। जो लाकडाउन लगते ही भाव बढ़ाकर आलू-प्याज की थोक और फुटकर विक्रेताओं को देंगे। पिछले लाकडाउन में आलू-प्याज के दाम 100-120 रुपए तक पहुंच गए थे। बाजार में अभी आलू 20 रुपए तो प्याज 35 रुपए किलो चल रहा है। अगर गलती से पूर्ण लाकडाउन हो गया तो कोचिए फिर दाम बढ़ाकर बेचने के लिए सिंडिकेट बना लिया है। जो मार्केट में मांग के अनुरूप सप्लाई करेंगे।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर । नाइट कफ्र्यू लगने के बाद से शराब, गुटखा और गुड़ाखू के तस्करों की किस्मत खुल गई है। मुंहमांगे दाम पर शराब, गुटखा, गुड़ाखू, सिगरेट बेचकर मालामाल हो रहे है। महंगाई आसमान छूने लगे हैं। मार्केट से बीड़ी-सिगरेट, गुटखा गुड़ाखू गायब हो गए है। पिछले साल की तरह इस बार भी लाकडाउन के नाम पर दोगुने दाम पर बेचने वाले गिरोह सक्रिय हो गए है। पानराज, विमल, राजश्री और दूसरे ब्रांड के गुटखा लगभग गायब है और जो मिल रहा है ऊंचे दामों पर। पानराज का पैकेट 120 रूपये में मिलने वाला पानराज का पैकेट अभी 150 से 170 में मिल रहा है। वहीँ गुड़ाखू का दाम भी लगभग तीन गुना से चार गुना बढ़ गया है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रशासन ने प्रदेश में नाइट कफ्र्यू लगाया है। मुनाफाखोरों ने फिर से लाकडाऊन लगने की उम्मीद में अभी से मुनाफा कमाना चालू कर दिया है। मार्केट से सामानों की कमी बताकर मनमाने रूप से दाम वसूलना चालू कर दिए हैं। जबकि शासन का मात्र नाइट कफ्र्यू लागू करने आदेश दिया है दिन में कफ्र्यू लगाने का आदेश नहीं दिया है । लेकिन जमाखोरी करने वाले कारोबारी अफवाह फैलाकर कमाई का रास्ता निकाल लिया है। इस संबंध में कलेक्टर और जिला खाद्य अधिकारी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। प्रदेश में लाकडाऊन के नाम पर मुनाफाखोरों ने अभी से लोगों को भयभीत कर किराना और रोजमर्रा के सामानोंं के दामों में बेतहाशा वृद्धि कर दिया है। शासन इस पर कार्रवाई करने में लाचार नजऱ आ रही है।
खाद्य सामग्री का भी बुरा हाल
लाकडाउन लगने के अफवाह फैलाकर कारोबारियों ने अवैध कमाई का रास्चता चुन लिया है। चारों तरफ कोरोना के बढ़ते प्रकोप का हाहाकार मचा हुआ है ऐसे समय में किराना सामान, आलू-प्याज, गुटखा सिगरेट बेचने वालों की लाटरी निकल पड़ी है। जमाखोरों की गिद्ध दृष्टि किराना और सामान के साथ गुटखा, सिगरेट और गुड़ाखू पर टिक गई है। पिछले लाकडाउन में तीन रुपए वाली तम्बाखू का पैकेट लोगों ने 40 रुपए में खरीदा, तो कल्पना कीजिए अन्य सामान दस गुने ज्यादा भाव में बिके होंगे। उपभोक्ताओं को किराना सामान देने वाले व्यापारियों ने खाद्य सामग्री के दामों में बढ़ोतरी कर दी हैं। एक ही राग अलापते है कि बाजार में माल नहीं है। कहां से लाए ,जो लाए है उसकी भी चौगुनी कीमत देनी पड़ी है। अब आप बताओ हम किस रेट में बेचे। आटा-तेल, साबुन, मसाला दोगुने-तीन गुने दाम पर मिल रहे है। जो कि लाकडाउन से तीन दिन पहले जो आटा 130 में मिल रहा था आज वह 150 में मिल रहा है। इसी प्रकार तेल का पैकेट 120 के जगह 150 रूपये में मिल रही है। इसी तरह दूसरी चीज़ों में दुकानदारों ने कीमत बढ़ाकर बेच रहे हैं। पिछले कोरोना काल में लोगों ने मरने वाले व्यक्तियों को भी लूटने से बाज़ नहीं आये थे, वही नज़ारा अभी से दिखने लगा है। शासन-प्रशासन का डर कालाबाजारियों और मुनाफाखोरों को नहीं है ऐसा आभास हो रहा है। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते रफ्तार और लाकडाउन में फिर जमाखोरी कर कमाई के लिए मुनाफाखोरों ने अवैध रूप से भंडारण करना शुरू कर दिए है। शराब कोचिये बाहर से अवैध शराब लाकर आसपास के फार्म हाउसों में या गांव में अवैध रूप से भण्डारण कर रहे हैं। जब से रात्रिकालीन लाकडाउन लगा है तब से सब्जी की गाडियों में शराब की सप्लाई करने का मामला सामने आया है। पिछले दिनों बलरामपुर पुलिस ने करोड़ों रूपये का गांजा पकड़ा था जो एक ट्रक में गोभी के निचे छुपाकर उत्तरप्रदेश ले जाया जा रहा था।
उक्त गंजे को रायपुर के सब्जी मार्केट से लोड किया गया था। वहीं आलू-प्याज के आलावा दूसरे सामने के थोक व्यापारी भी लाकडाउन की संभावना को देखते हुए अवैध शुरू कर दिया है। जबकि लाकड़ाउन का अभी कोई संभावना नहीं है।
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