फिल्ड में 20-25 साल से जमे अफसर कमीशनखोरी से हो रहे लाल...
- मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना का एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रिश्वत लेते पकड़ाया
- एसीबी ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ की ताबड़तोड़ कार्रवाई की
- वर्षो से जमे अधिकारियों से संरक्षण में हो रहा भ्रष्टाचार का खेल
- एसीबी के जद में आए बेमेतरा के मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दीनदयाल जायसवाल
- सूरजपुर से स्कूल प्रिंसिपल और दुर्ग से पटवारी भी पकड़ाए
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर/दुर्ग/बेमेतरा। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में विभागीय एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सहित पूरे विभाग ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार में बदल दिया है जहां बिना लिए दिए कुछ काम कराने की सोचना भी गुनाह है। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की प्रदेश के सबसे भ्रष्ट विभागों में गिनती है। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में बनने वाली सड़कों के खिलाफ लाखों शिकायतों के बाद भी ईओडब्ल्यू, एसीबी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारी से लेकर बाबू तक खुलकर भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आते है। इसके पीछे और भी कारणों पर सरकार को गौर करना होगा। सरकार को चाहिए कि हर दो साल में विभागीय अधिकारियों का स्थानांतरण करना चाहिए और वर्षो से एक ही जगह पर जमे अधिकारियों की विभागीय सूची मंगवा कर तुरंत उन्हें अयन्त्र भेजा जाना चाहिए, जिससे वे एक जगह पर अंगद की पैर की तरह नहीं जमे रहे। भ्रष्टाचार की चेन टूटती रहे। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की बनाई गई लगभग सभी सड़कें विवादित है। जिसमें गांव में बनाई गई सड़क खनिज की चोरी कर मिट्टी और गिट्टी भर दिया और उपर डामर पोत दिया गया जो बनने के एक माह बाद ही उखड़ गए। जिसके खिलाफ ग्रामीण लंबी लड़ाई लड़ते रहे, मगर सुनवाई आज तक नहीं हो पाई। विभागीय मंत्री और अधिकारियों को सामने हो रहे भ्रष्टाचार पर नजर कैसे नहीं पड़ती ताज्जुब की बात है। यदि ईओडब्लू और एसीबी की टीम लगातार कार्रवाई करें तो हजारों की संख्या में भ्रष्टाचारियों को दबोचा जा सकता है।
बिल भुगतान के एवज में मांगे 2 लाख, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पकड़ाया
सोमवार को कई जिलों में एसीबी ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की। सबसे पहले बेमेतरा में पदस्थ मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दीनदलयाल जायसवाल को गिरफ्तार किया है। एसीबी में शिकायत की गई थी कि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में बेमेतरा में पदस्थ ईई दीनदलयाल जायसवाल ने 2 लाख रुपए की मांग की है। यह रुपए आंशिक रूप से पूर्ण कार्य का रनिंग बिल निकालने की एवज में मांगे गए हैं। शिकायत पर एसीबी ने पुष्टि की और सोमवार को ट्रैप किया। आरोपी इंजीनियर रायपुर के न्यू शांति नगर कॉलोनी में रहता है। उसने रिश्वत की रकम लेकर पचपेड़ी नाका स्थित हनुमान मंदिर के पास बुलाया था। रुपए लेते ही टीम ने उसे पकड़ लिया।
गुणवत्ताहीन सड़कें और कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार
जनता से रिश्ता लगातार जन सरोकार को लेकर गरियाबंद में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनाई गई सड़कों का काला चिट्ठा प्रकाशित किया था। जिसमें पूरे जिले में बनाई गई सड़कों की हकीकत का खुलासा किया गया था। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार कर स्तरहीन निर्माण सामग्री का उपयोग कर सड़क निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश में हर जगह सड़कें बनायी गई एवं पांच साल के मेंटनेन्स सहित संविदा की पूर्ति भी गई है, किन्तु भ्रष्टाचार के कारण सड़कें केवल नाम मात्र के लिए ही निर्मित की गई, जिसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ। गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण से कुछ महीनों में ही सड़कों पर दरारें आ रहीं हैं और जगह-जगह धंसने भी लगी हैं। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान सरकार को हो रहा है।
पीके बने हैं सरकारी दामाद
पिछले 21 सालों में प्रदेस में सरकार बदलने के साथ पार्टी भी बदल गई, अधिकारी बदल गए, आमआदमी और जनता की पीढ़ी बदल गई, जनता के अधिकार बढ़ गए, लेकिन प्रदीप वर्मा अपनी जगह मध्यप्रदेश के जमाने से 25 सालों से हटे नहीं, किसी भी सरकार ने उन्हें हटाने की सोचा भी नहीं । न जाने ऐसा कौन सा काला जादू कर दिया है जो सरकार और पार्टी बदलने के बावजूद पीके वर्मा जैसे अधिकारी की बदली नहीं हुई और फ्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी भी वर्षों से जमे पीके वर्मा को हटाने की हिम्मत भी नहीं दिखा पा रहे है। लगता है पीके वर्मा को सरकारी दामाद घोषित कर दिया गया है। तीन सरकार बदलने के बावजूद एक ही जगह पदस्थ रहने वाले अधिकारी का रूतबा सिर चढ़कर बोल रहा है, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की खस्ताहाल योजनाओं को अधिकारीगण अपनी जेब भरने के अलावा कोई भी कार्य नहीं किया, जिससे करोड़ों रुपए की लागत वाली सड़क को ग्रामीण क्षेत्र में देखा जा सके। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में हुए घोटाले की अगर गंभीरता से जांच की जाए तो प्रदेश के सभी संभाग के अधिकारी घोटाले की चपेट में आने से बच नहीं पाएंगे। प्रदेश भर में जितनी भी सड़कों का निर्माण हुआ है और सरकार ने जनता के पैसा जो सड़क में लगाया है उशका भौतिक सत्यापन हो तो सच खुद-ब-खुद सामने आ जाएगा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दो बार पृथ्वी से चांद की दूरी सड़क निर्माण करके पूरी की जा सकती थी, उतना पैसा प्रधानमंत्री सड़क ग्राम योजना में घपला और घोटाला हुआ है । विभाग के मंत्री को यह भी नहीं मालूम कि प्रधानमंत्री सड़क योजना में कितनी सड़क प्रदेश में निर्माण हुई और उसका भौतिक सत्यापन और ऑडिट कब और कैसे हुआ। किस आधार पर टेक्निकल टीम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को सर्टिफि केट दिया सब जांच का विषय है?
विभागीय इंजीनियर सालों से गरियाबंद में पदस्थ
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के विभागीय इंजीनियर के पद पर प्रदीप वर्मा, लंबे समय से गरियाबंद में पदस्थ रहे और शासन को कार्यालय से जानकारी दी गई है कि 9-सिंत. 2019 से पदस्थ है जो कि सरल क्रमांक 16 के कालम नंबर 05 में उल्लेख है वहीं10-जुलाई 2018 को जारी सहायक अभियंताओं की वरिष्ठता सूची में प्रदीप वर्मा का नाम सरल क्रमांक 106 पर है। जनवरी 1982 में उप अभियंता पद पर पहली नियुक्ति हुई, गरियाबंद में उप अभियंता पर पदस्थ रहते हुए वर्मा की पदोन्नति 2012 दिसंबर में सहायक अभियंता पद पर गरियाबंद में हुई, पदोन्नति बाद फिर से पदस्थापना गरियाबंद करवाने में वर्मा सफल हुआ । करीब पाँच साल से प्रभारी कार्यपालन अभियंता, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना गरियाबंद के पद पर क़ब्ज़ा बनाए रखने में सफल है। गरियाबंद से स्थानांतरित होने पर अन्यत्र नौकरी करना संभव नहीं है इसलिए वापस गरियाबंद आदेश करवा लिया । पिछले 20 साल में कऱीब 6-8 माह को छोड़कर पूरा कार्यकाल गरियाबंद में रहा है। ऐसी स्थिति में शासन के नियमानुसार ऐसे अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करते हुए हटाना चाहिए जो अपडाउन कर स्थायी रूप से रायपुर में निवास कर गरियाबंद में मकान भत्ता ले रहे है। भरोसेमंद सूत्र ने जानकारी दी है कि वर्तमान में सहायक अभियंता प्रदीप वर्मा को गरियाबंद में मूल पद से सहायक अभियंता से उपर के पद (श्वश्व) का तीन अलग-अलग योजनाओं का प्रभारी कार्यपालन अभियंता का प्रभार दिया गया हे। प्रभारी कार्यपालन अभियंता क्रश्वस् (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) गरियाबंद, प्रभारी कार्यपालन अभियंता क्करूत्रस्ङ्घ (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना)गरियाबंद, प्रभारी कार्यपालन अभियंता रूरूत्रस्ङ्घ (मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना)गरियाबंद के पद पर भी पदस्थ है। लगातार 25 साल से गरियाबंद में स्थायी रूप से पदस्थ होकर अपात्र होने के बाद भी अलग-अलग तीन कार्यपालन अभियंता का प्रभार मिलना, यह सिद्ध करता है कि विभाग के उच्चाधिकारियों का प्रदीप वर्मा को ठोस संरक्षण और सहयोग प्राप्त है । चूँकि प्रदीप वर्मा, यूनियन का नेता भी है,विभागीय अधिकारी जाँच के नाम पर जाँच की नौटंकी करते हैं,जाँच नहीं!ऐसी स्थिति में विभागीय अधिकारियों से निष्पक्ष जाँच की उम्मीद करना बेमानी होगा। पिछले पाँच वर्षों में क्करूत्रस्ङ्घ & रूरूत्रस्ङ्घ से निर्मित सभी सड़कों के निर्माण और भुगतान की निष्पक्ष जाँच के लिए जाँच एजेंसी श्वह्रङ्ख को बनाए जाने पर ही वास्तविक और निष्पक्ष जाँच संभव है, अन्यथा जाँच के नाम केवल लीपापोती होगी।
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