
बीज घोटाला: सीएम से जांच कराने और भ्रष्ट अधिकारियों से वसूली की मांग
अधिकारियों और व्यापारियों की साजिश में घुन लग गया कृषि विभाग को
किसानों को लाभ देने के नाम पर करोड़ों डकार गए अधिकारी-व्यापारी
उन्नत बीज के नाम आदिवासी-किसानों को लालच देकर कराया दस्तखत
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। खुलेआम फर्जीवाड़ा का खेल कृषि एवं उद्यानिकी विभाग में चल रहा है, जिसका जीता जागता सबूत किसानों को उन्नत बीज देने के नाम पर लालच देकर दस्तखत करा लिए और पूरा लाभ अधिकारी और व्यापारी डकार गए। किसान और आदिवासियों के हिस्से में आया सिर्फ विभाग की लाभ सूची में नाम जो बिना लाभ कमाए हितग्राही की सूची में दर्ज हो गए हम बात कर रहे है कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के कारनामों का जिसने बड़ी चालाकी से सरकार और किसानों की आंख में धूल झोंककर बड़ी सफाई से किसानों और आदिवासियों के हिस्से की पूरी मलाई गटक गया, और उपर से विभागीय मंत्री को अधिकारियों ने हरियाली का चश्मा पहनाकर विभाग में बेहतर क्रियान्वयन का नजारा दिखा दिया। जबकि सच तो यही है कि किसानों और आदिवासियों को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपए के हल्दी, धनिया, एवं सब्जी के बीज नाफेड से खरीदा गया, परंतु उसका लाभ गरीब आदिवासी किसानों को नहीं मिला। बल्कि बीज विक्रेताओं और विभाग के अधिकारियों ने उसके नाम से करोड़ों रुपए का गबन कर लिया, जिसकी भनक विभाग के प्रमुख सचिव के साथ वित्त सचिवालय तक को नहीं हो पाई।
राज्य में उद्यानिकी विभाग के व्दारा आदिवासी किसानों के साथ हो रहे धोखे एवं हल्दी, धनिया/धनिया सब्जी के प्रमाणित बीजों की खरीदी में हो रहे करोड़ों के घोटाले की जांच आज तक नहीं हो पाई है, इसके पीछे अधिकारियों और व्यापारियों की साजिश बीज वितरण के नाम पर फर्जीवाड़ा नि:शुल्क /अनुदान किया गया। हल्दी, धनिया एवं सब्जी के बीज के खरीदी आदेश उद्यानिकी विभाग के व्दारा नाफेड संस्था को दी है।
वर्ष 20202-21 में उद्यानिकी विभाग के व्दारा कई करोड़ के हल्दी, धनिया एवं सब्जी बीज नाफेड संस्था के माध्यम से खरीदा गया। परंतु इस राशि से प्रदेश के गरीब आदिवासी किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ, बल्कि विक्रेताओं एवं विभाग के अधिकारियों के व्दारा करोड़ों रुपए का राशि गबन कर ली गई। बीज प्रदायगी की औपचारिकता को पूरा करने के लिए अल्प मात्र का बीज किसानों को बांट दिया गया। शेष बीज का वितरण होना विभाग के जिला अधिकारियों के व्दारा सिर्फ कागजों में बता दिया गया. किसानों को थोड़ा बहुत लालच देकर उनसे दस्तखत करा लिए गए। सिर्फ कागजों में ही बीज वितरण हो कर रह गया। भोले-भाले आदिवासियों-किसानों को भनक तक नहीं हुई कि कैसे उनके हिस्से की राशि विभाग के अधिकारियों एवं बीज प्रदायक लूट लिए है।
हल्दी घोटाले का काला सच : हल्दी बीज की बोनी मई से जून माह में की जाती है। एवं अधिकतम 10 जुलाई तक परंतु विभाग व्दारा हल्दी बीज की खरीदी के लिए जो आदेश नापेड को दिए गए ,वे ही सितंबर -अक्टूबर माह में दिए गए , क्योंकि उसके पूर्व नाफेड संस्था के पास छत्तीसगढ़ में बीज विक्रय का लाइसेंस ही नहीं था। सोचने वाली बात यह है कि जब हल्दी का बीज प्रदाय किया होगा एवं कब विभाग के व्दारा किसानों को हल्दी के बीज का वितरण किया होगा। किसानों के व्दारा कब हल्दी बीज बोया होगा। इससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि केवल दस्तावेजों पर हल्दी के बीज का वितरण किया गया है।
फील्ड पर उजागर हुआ घोटाला: चल रहे इस हल्दी घोटाले की पुष्टि करने जब फील्ड पर गया तो पाया कि किसानों के खेत में कोई हल्दी की फसल लगी ही नहीं थी, यहां तक कि कापी किसानों को तो हल्दी बीज की इस योजना के बारे में जानकारी तक नहीं है। वास्तविकता यह है कि बीज प्रदायगी की औपचारिकता को पूरा करने के लिए बहुत ही अल्प मात्रा में हल्दी का बीज प्रदाय किया गया। और शेष प्रदायगी के लिए विभाग के जिला अधिकारियों से सांठगांठ कर सिर्फ कागजों पर पावती ले ली गई, बीज का वितरण भी किसानों को सिर्फ कागजों में दिखा दिया गया और उन्हें कुछ रुपए का लालच देकर कृषकों के भी हस्ताक्षर करा लिए गए।
उद्यानिकी विभाग ने खरीफ 2020 के लिए बीजों की खरीदी के लिए कापी बड़ा लक्ष्य रखा था, कोविड के कारण पूरे राज्य एवं देश में लॉकडाउन लग गया. खरीफ 2020 की इस बची हुई राशि का सरकार की झोली से निकालकर विभाग के अधिकारियों एवं बीज प्रदायकों में बांटने के उद्देश्य से खरीफ में लगने वाले बीज रबी में वितरण करना बता दिया गया. जो कि संभव नहीं है। अत: शासन की इस राशि की भरपाई विभाग के अधिकारियों से की जानी चाहिए । जिनके व्दारा बीज प्रदायकों को आदेश देकर उन्हें भुगतान कर भ्रष्टाचार किया गया। शासन व्दारा ऐसे अधिकारियों को निलंबित कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए । साथ ही ऐसे बीज प्रदायकों को काली सूची में डालनी चाहिए जिनके व्दारा ऐसी फर्जी प्रदायगी नापेड के माध्यम से की गई।
धनिया/सब्जी बीज घोटाला : विभाग के व्दारा सब्जी/धनिया का प्रमाणित बीज खरीदने का आदेश नाफेड संस्था को दिए गए थे, नाफेड में पंजीकृत निजी प्रदायक संस्था के व्दारा प्रमाणित धनिया/सब्जी बीज की प्रदायगी विभाग में की गई जो निजी संस्था नाफेड के माध्यम से प्रमाणित बीज प्रदाय कर रहा है, वह दरअसल प्रमाणित है ही नहीं। प्रमाणित बीजों के दस्तावेजों की जांच की जाए तो यह सामने आ जाएगा कि नाफेड के माध्यम से जिस निजी संस्था ने सब्जी /धनिया बीज प्रमाणित के नाम पर बेच दिया है। उसमें सभी दस्तावेज फर्जी व नकली है।
प्रदायक संस्थाओं को जल्द से जल्द भुगतान करने की विभाग में ऐसे होड़ मची हुई है कि जिले के अधिकारियों को यह देखना मुनासिब नहीं लग रहा है कि उन्हें दिए जा रहे दस्तावेज सही है या फर्जी। उनके व्दारा महज कागजों की खानापूर्ति की जा रही है। जिससे कि प्रदायक को भुगतान मिल सके। विभाग के अधिकारियों को उनका कमीशन संचालक को ऐसे अधिकारियों को नौकरी से तत्काल बर्खास्त कर किसानों की हक की राशि की वसूली उनसे ही करना चाहिए एवं बीज प्रदायकों के खिलाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर काली सूची में दर्ज करनी चाहिए जिनके व्दारा प्रमाणित बीजों के फर्जी दस्तावेज लगाए जा रहे है।
सच यो यह है कि संचालनालय भी आज इस घोटाले का हिस्सा बना हुआ है। संचालक के व्दारा जहां जांच के आदेश दिए जाने चाहिए थे, दोषी अधिकारियों से भुगतान की वसूली की जानी चाहिए था,एवं नाफेड को इस घोटाले की सूचना देकर ऐसे बीज प्रदायक संस्थाओं के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर काली सूची में दर्ज करना चाहिए था, वहीं अब पूरे विभाग का एक ही प्रयास है कि तत्काल कागजों की खाना पूर्ति कर भुगतान कर दिया जाए। क्योंकि अब यह छोटा-मोटा घपला नहीं बल्कि बड़ा घोटाला बन गया है। इसलिए ये पत्र प्रदेश के मुख्य सचिव, एपीसी, विभाग के प्रमुख सचिव एवं नेता प्रतिपक्ष को दिया जा रहा है। जिससे की बड़े अधिकारी तत्काल जांच एवं दोषियों को दंडित कर सके। यह जानकारी हमें शिवकुमार शर्मा ने दी है।