छत्तीसगढ़

अधिकारी दफ्तर से गायब, एक-दो दिन नहीं आ रहे कई महीने से

Nilmani Pal
29 Sep 2023 9:42 AM GMT
अधिकारी दफ्तर से गायब, एक-दो दिन नहीं आ रहे कई महीने से
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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विभाग में विगत कई महीने से संचालक,स्वास्थ्य सेवाएं के कार्यालय से लगातार गायब रहने के कारण प्रदेश के दूर दराज बस्तर से लेकर सरगुजा तक मिलने आने वाले परेशान हैं. कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि मंडल भी जरूरी मामलों पर चर्चा करना चाहते हैं परंतु नवा रायपुर जाकर उनकी अनुपस्थिति में बिना मिले ही अधिकार विहीन छोटे साहब से मिल कर बिना रिजल्ट वापस जाने के लिए मजबूर है. इसी कड़ी में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रत्येक सोमवार को आम लोगों मिलने हेतु जारी आदेश को भी धता बता रहे हैं राज्य के अधिकारी सोमवार को बैठकों और अन्य कार्य में व्यस्त रहते हँ.उक्त आरोप जारी संयुक्त विज्ञप्ति में स्वास्थ्य चेतना विकास समिति के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव तथा महासचिव डॉ एस के जुवेल ने लगाया है.

जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि जब से स्वास्थ्य संचालक की आईएएस धर्म पत्नी किसी मामले में जेल में है.तब से बैचेन होने के कारण जो स्वभाविक है. वे पहले लम्बी छुट्टी पर रहे. छुट्टी से लौटने के बाद से यह स्थिति बनी हुई है. खुद कार्यालय नहीं आते, बंगले से मोबाइल से मौखिक आदेश आते हैं और जरूरी फाइल कार में लेकर सम्बन्धित बाबू या फिर छोटे अधिकारी उनके पास जाकर काम निपटा रहे हैं. ये बातें वहाँ के जिम्मेदार अधिकारियों और बाबुओं द्वारा दबी जबान से आपस में चर्चा में बताया जा रहा हैं. वे ये भी कहते हैं कि संचालक की पहुँच बहुत ऊपर तक होने के कारण स्वास्थ्य विभाग के मंत्री और मंत्रालय के बड़े अधिकारी भी असहाय जानबूझकर आँख बन्द किये चुप्पी साधे हुए हैं. कुछ लोग कहते हैं कि उनके पास कई विभागों के काम है. इसलिए यहाँ आना जरूरी नहीं है. यह बात सही हो सकती है, परंतु कभी तो दर्शन दे सकते हैं.

जारी संयुक्त विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि मिलने आने वालों की परेशानी को देखते हुए कुछ वर्ष पहले सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी कर सभी विभाग को निर्देश जारी किया है कि वे प्रत्येक सोमवार को दिन भर कार्यालय में रहेंगे और मिलने आने वाले लोगों को भेट का अवसर देंगे. परंतु आदेश जारी होने के कुछ महीने के बाद इस आदेश को सभी अफसरों ने किनारे कर दिया और सोमवार को मिलना तो दूर कार्यालय में आना भी जरूरी नहीं समझते हैं और बाकी दिन बैठक हो या न हो सोमवार को बैठक जरूर होती है. मिलने आने वाले लोग थक हार कर वापस लौट कर जाने के सिवाय कुछ नहीं कर सकते. उनका समय, व्यय, दुख दर्द का इन अफसरों के नजर में कोई कीमत नहीं है. मुख्य सचिव से लेकर लगभग सभी कार्यालय का यही हाल है. सरकारी आदेश का कोई मतलब नहीं है.

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