छत्तीसगढ़

अब पीसीसी अध्यक्ष का भी होने लगा विरोध...

Nilmani Pal
5 Oct 2021 5:23 AM GMT
अब पीसीसी अध्यक्ष का भी होने लगा विरोध...
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  1. निष्ठावान-पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप
  2. माफिया-दलालों की नियुक्तियों का विरोध
  3. शिकायतकर्ताओं के पत्र में इन बिंदुओं का उल्लेख -

चाटूकार चमचागिरी करने वाले नेताओं से घिरे पदाधिकारी पुराने संघर्ष के दिनों के साथियों की उपेक्षा कर रहे हैं। एक अल्पसंख्यक दलाल नेता ने अपने आप को सच्चा पुराना कांग्रेसी बता कर अपना हित साधा जिसके चलते पुराने और जानकार कांग्रेसी नेताओं की पूछ परख नहीं हो रही

डॉन, भूमाफिया, जमीन दलाल को पैसे ले कर पदो की रेवडिय़ां बांट रहे

सरकारी जमीन, आबादी जमीन और कोटवारी जमीन को अपना बताकर डॉन-बिल्डरों ने करोड़ों अरबों सरकारी जमीन का चूना लगाया ऐसे लोगों को पार्टी में पदाधिकारी बना रहे

दलाल किस्म के पार्टी के पदाधिकारी अध्यक्ष को खुश करने के लिए सिर्फ दलाली और चापलूसी में अपना समय लगाए रहते हैं इससे पार्टी को भारी नुकसान हो रहा है और कांग्रेस समर्पित कार्यकर्ता कांग्रेसी सरकार रहने के बावजूद सभी सुविधाओं से वंचित है और उसकी सुनवाई कहीं नहीं हो रही है

प्रदेश के अध्यक्ष दलाल, भू माफिया तथा अन्य अवैध धंधों में लिप्त लोगों के बीच फंस गए हैं। ष्ठशठ्ठ, माफियाओं की घेराबंदी के कारण कांगेस के जमीनी कार्यकर्ता और कांग्रेस पार्टी के नींव के पत्थर प्रदेश अध्यक्ष को दिखाई नहीं देते।

उपेक्षा से क्षुब्ध निष्ठावान जमीनी कार्यकर्ता खुद को ठगा सा महसूस करने लगे हैं और शिकायत में अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भू-माफिया और बाहर से आ गए कांग्रेसियों को प्रदेश पदाधिकारी बनाए जाने को लेकर जमकर विरोध हो रहा है। इसके चलते प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के विरोध में आवाज उठने लगी है। वरिष्ठ कांग्रेस जनों का स्पष्ट कहना है कि हम लोग बरसों से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं इसके बावजूद कांग्रेस की सत्ता आते ही पुराने और निष्ठावान कांग्रेसियों की प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम अनदेखी कर रहे हैं। पीसीसी अध्यक्ष दलाल किस्म के छूटभैया नेताओं की चमचागिरी में ऐसे लोगों की नियुक्ति कर रहे हैं जो लोग सामाजिक और राजनीतिक तौर पर कहीं से भी कांग्रेसी नहीं थे और जो कांग्रेस के संघर्ष के दिनों में भारतीय जनता पार्टी के मोहरे बन कर कार्य करते थे ऐसे लोगों को संगठन में तवज्जो दी जा रही है। वरिष्ठ कांग्रेसी इसी आशय से प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को शिकायत पत्रभेज रहे हैं। दूसरी ओर वरिष्ठ कांग्रेस जनों ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को खुली चि_ी भी लिखी है जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि पैसा लेकर एक अल्पसंख्यक नेता ने मोहन मरकाम के पास चमचागिरी कर अधिकांश लोगों को पदाधिकारी बनवाया है। इस चि_ी की खबर लगभग सभी बड़े नेताओं को हो गई है, चि_ी बनाने से पहले वरिष्ठ कांग्रेस जनों ने रायपुर शहर के दो अलग-अलग कांग्रेसियों के अड्डों में बैठक की थी।

बस्तर-राजनांदगांव इलाके में सुलग रही विरोध की आग

पीसीसी अध्यक्ष की कार्यप्रणाली को लेकर कार्यकर्ताओं की नाराजगी सतह पर आने लगी है। जमीन से जुड़े कांग्रेसी अपनी उपेक्षा से व्यथित हैं। पीसीसी अध्यक्ष के क्षेत्र के कार्यकर्ता ही अब उनके विरोध में खड़े हो रहे हैं। क्षेत्र के अल्पसंख्यक और आदिवासी कार्यकर्ता निगम-मंडलों और संगठन में पद नहीं मिलने से नाराज हैं। ऐसा ही हाल राजनांदगांव जिले में दिखाई दे रहा है। वहां भी जिन नेताओं को पदों से नवाजा गया है उनका विरोध होते रहा है। अब पीसीसी अध्यक्ष के कार्यप्रणाली से नाराज कार्यकर्ता हाईकमान से शिकायत करने के मूड में हैं। कई दिल्ली जाकर अपनी बात सोनिया-राहुल के पास रखने की तैयारी कर रहे हैं तो कई नेता अन्य माध्यमों व साधनों से शिकायत हाईकमान तक पहुंचा रहे हैं।

जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी

बता दें कि निगम-मंडलों में नियुक्ति बड़ी देर से हुई, सरकार के ढाई साल से ज्यादा कार्यकाल बित जाने के बाद अभी भी कुछ निगम-मंडलों में नियुक्तियां बाकी है। कई सूची जारी होने के बाद अभी भी कई ऐसे वरिष्ठ नेता है, जिन्हें कोई पद नहीं मिला है। इसमें पूर्व विधायक से लेकर कांग्रेस के विधायक और वरिष्ठ नेता शामिल हैं। कार्यकर्ता तेरा-मेरा के हिसाब से पद बांटने का आरोप लगाते रहे है, पार्टी के समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई है। कई ऐसे लोगों को पद दिया गया जिन्हें कांग्रेसी ही नहीं पहचानते हैं। निगम-मंडलों कई ऐसे नाम औैर चेहरे भी हैं जो सत्ता औैर संगठन दोनों ही जगह हैं इसे लेकर कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त नाराजगी है। सूची जारी होने से पहले ऐसा कहा जाता था कि निगम मंडलों में ऐसे लोगों को कम महत्व दिया जाएगा, जो 15 साल सत्ता के संघर्ष से बाहर रहे हैं। कर्मठ और पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को ही महत्व मिलेगा। लेकिन नियुक्तियों से साफ है कि ऐसे बड़े नेताओं को ही तवज्जो दी गई है जो फं्रट लाइन पदाधिकारी और नेता रहे हैं, जमीनी कार्यकर्ताओं और सालों से कांग्रेस के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को आज भी नजरअंदाज कर दिया गया है।

खास नेताओं के समर्थकों को ही तवज्जो

अब तक हुए निगम-मंडलों की नियुक्तियों में खास नेता के ही करीबियों को जगह दी गई है। नियुक्तियो को लेकर कई मंत्रियों यहां तक की विधानसभा अध्यक्ष भी अपने करीबियों को जगह नहीं मिलने पर नाराजगी जता चुके हैं। कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी की 15 सालों बाद सत्ता में लौटने से अब उन्हें भी मेहनत का इनाम मिलेगा लेकिन तमाम निगम-मंडलों में फ्रंट लाइन नेता और पदाधिकारी रहे लोगों को ही नियुक्त कर दिया गया इससे कार्यकर्ता ठगा सा महसूस कर रहे थे फिर उन्हें लगा कि शायद संगठन के पदाधिकारियों की निगम-मंडलों में नियुक्ति से खाली होने पदों पर उन्हें अवसर दिया जाएगा लेकिन यहां भी उनकी अनदेखी की जा रही है।

दलाल-चाटूकारों को बांट रहे पद

निगम-मंडलों में नियुक्ति के दौरान कई ऐसे नेताओं को पद बांटे गए जिनका कांग्रेस से हाल-फिलहाल का ही संबंध है, दलाल व चाटूकार किस्म के दूसरे दलों व संगठनों से आकर बड़े नेताओं के आगे पीछे घुमने वालों को उपकृत किया गया जबकि निष्ठावान, जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को भाव नहीं मिला। कई महीने निगम-मंडल और संगठन में दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाले जिन नेताओं को संगठन से मुक्त कर नए लोगों को जिम्मेदारी दी गई उसे लेकर भी कार्यकर्ताओं में असंतोष है। जिन जिलों में जिलाध्यक्ष बदले गए वहां विरोध के स्वर उभर रहे हैं। वहीं अन्य नियुक्तियों को लेकर भी कार्यकर्ता अपनी नाराजगी लगातार जाहिर कर रहे हैं।

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