छत्तीसगढ़

अब खुली छत और स्वतंत्र मकान की चाहत है लोगों की

Nilmani Pal
12 July 2022 6:05 AM GMT
अब खुली छत और स्वतंत्र मकान की चाहत है लोगों की
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  1. आउटर में प्लाटों की बिक्री ने बिल्डरों की हालत कर दी पस्त, कोविड के बाद सरकारी छूट से रियल स्टेट कारोबार को झटका
  2. रजिस्ट्री में 30-40 प्रतिशत की छूट का लोगों ने उठाया जमकर फायदा
  3. सरकार की योजनाओं से कब्जादारी और पट्टेवालों की रही चांदी

सरकारी नीति का लोग उठा रहे फायदा

सरकार की नीति अनुसार कब्जाधारियों को पट्टा मिलने का फायदा लोग उठा रहे है। जिस जगह पर कब्जा किया था वहीं का पट्टा मिल रहा है। जिससे लोगों को उनके घर की जरूरत वहीं पूरी हो रही है। जमीन का पट्टा मिलते ही धड़ाधड़ काम चल रहे है। जिसका असर बिल्डरों पर पड़ता दिख रहा है। उनके फ्लैटों के दाम कम कर देने के बाद भी नहीं बिक रहे है।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। कोरोनाकाल में सरकार ने जमीन को लेकर बहुत सारे महत्वपूर्ण फैसले लिए जिसके चलते लोगों ने धड़ाधड़ प्लाट खरीदी कर सरकार की रजिस्ट्री छूट का भरपूर लाभ उठाया। प्रापर्टी कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि जरूरतमंद लोगों का फ्लैट खरीदी से मोहभंग होने का प्रमुख कारणों में अवैध कब्जा को वैध करना, अतिक्रमण कर मकान बनाने वाले को पट्टा देना और उसकी रजिस्ट्री में 30-40 प्रतिशत छूट की घोषणा से बिल्डरों की प्रापर्टी रेट गिराकर बेचने की घोषणा के बाद भी खरीदारों ने कोई पूछपरख नहीं की जिसके कारण प्रापर्टी कारोबार से जुड़े बिल्डरों को मूल लागत निकालने के लाले पड़ गए। अब लोग सरकार की योजना का भरपूर लाभ उठाते हुए पट्टे की जमीन और अवैध कब्जा को वैध करवा कर निजी मकान तैयर करने में जुट गए है। बिल्डरों ने प्रापर्टी बेचने के लिए जनवरी से कैम्पियन चलाया था। 6 माह बीत जाने के बाद भी प्रापर्टी कारबोर में जो तेजी की उम्मीद जताकर बिल्डरों ने खरीदारों को फायदे वाली स्कीम लागू किया था, वह बिल्डरों तक ही सिमट कर रह गई।

सूत्रों की माने तो दो साल कोरोना काल ने बिल्डरों को कर्ज में डूबा दिया रहा सहा कसर कोरोना खत्म होने के बाद सरकार ने जो अवैध कब्जा को वैध और पट्टा वितरण कर प्रापर्टी कारोबारियों को उठने का मौका ही नहीं दिया। बिल्डरों ने अपने 6 माह के भागदौड़ और प्रापर्टी मेला लगाने के बाद भी मेला स्थल पर लोगों की भीड़ नहीं जुटा पाए। जबकि मेला स्थल पर पहुंचने वालों के लिए साइड विजिट कराने कारों की व्यवस्था की गई थी, उसके बाद भी लोग बिल्डरों से कन्नी काटते रहे है। प्रापर्टी बाजार में बिल्डरों ने कोरोनाकाल से लगभग तीन साल पहले से सारे प्रोजेक्ट तैयार कर बहुमंजिला फ्लैटों को सर्वसुविधायुक्त बनाकर बेचने के लिए तैयार कर लिया था। 100 प्रतिशत लोन पास कराने का वादा करने के बाद भी लोगो ने बिल्डरों के प्रोजेक्टों में अरूचि दिखाई। जिसके कारण कम रेट होने के बाद भी बिल्डर फ्लैट बेचने में असफल हो गए ।

स्वतंत्र मकान की चाह बढ़ी

लोगों का फ्लैट सिस्टम से मोह भंग होते दिखाई दे रहा है लोगों का मूड अब फ्लैट में रहने के बजाय अपनी जमीन अपना आसमान के तर्ज पर स्वतंत्र मकान बनाना चाहते है। इसलिए प्लाट की बिक्री बढ़ गई है। जबकि निर्माण लागत बढऩे के बाद भी लोगों का सोचना है कि खुद की जमीन पर मकान बनाना सबसे अच्छा है जिससे बिल्डरों के झंझटों से मुक्ति मिलेगी। अपने हिसाब से लेआउट-नक्शा बनाओ और अपने पसंद के हिसाब से निर्माण कराआ, जितना लागत फ्लैट का ही उतने में ही स्वतंत्र मकान बन सकता है।

अवैध प्लाटिंग का खेल शुरू

रियल स्टेट में मंदी के दौर में फ्लैट के प्रति लोगों की अरूचि को देखते हुए छुटभैया नेताओं ने बिल्डरों के साथ मिलकर प्लाटों का मांग को देखते हुए अवैध कब्जा वाली जमीन पर लाटिंग का खेल शुरू कर दिया है। लोगों को सस्ते में प्लाट देने के झांसा देकर अवैध कब्जा वाली जमीन पर प्लाटिंग कर अनाप-शनाप कमाई करने में उतर गए है।

नजूल जमीन पर कब्जा कराने में सांठगांठ

छुटभैया नेता अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी जमीन का नक्शा खसरा निकलवाते है फिर उस पर कब्जा कर धड़ाधड़ अवैध प्लाटिंग कर बेच रहे है। आखिर इन छुटभैया नेताओं को सरकारी जमीन का रिकार्ड कौन उपलब्ध कराता है आज तक अज्ञात है। किसी दूसरे की जमीन को अपने नाम कराने का खेल पटवारी के साथ मिलकर हो रहा है।

मीडिया में प्रचार, प्रलोभन भी नहीं आ रहे काम

बिल्डरों ने मीडिया से सांठ गांठ कर लोगों को प्रापर्टी खरीदने के लिए बरगला रहे है। प्रापर्टी कारोबार में चल रहे मंदी से निराश होकर कारोबार में तेजी लाने के लिए मीडिया को पार्टनर बनाकर रोज नए-नए लोकलुभावन विज्ञापन प्रकाशित करवा रहे हंै। ये प्रलोभन वाले विज्ञापन जिसमें जनता को फ्लैट खरीदने पर गिफ्ट पैक, विदेश यात्रा, लांचिंग पार्टी में लंच और डिनर, लकी ड्रा, फर्नीचर फ्री देने का लालच दे रहे हैं। उसके बाद भी प्रापर्टी में उठाव न के बराबर है। मकान के जरूरतमंद लोगों का कहना है कि फ्लैट के बजाय कहीं छोटा-मोटा जमीन का टुकड़ा लेकर अपना खुद का मकान बनाया जाए जिससे बिल्डरों के चंगुल में फंसने से मुक्ति मिले। जिन लोगों ने बिल्डरों से फ्लैट लिया है वो आज तक रो रहे हैं । मेंटनेंस से लेकर फ्लैट के रखरखाव पर बिल्डरों ने ध्यान देना ही बंद कर दिया है जिससे फ्लैट 10 साल में ही जर्जर हालत में पहुंच गए हंै। फ्लैट में रहने वाले लोग आपसी चंदा कर बिल्डिंग की जैसे-तैसे रखरखाव कर रहे हैं। सुरक्षा का काम भी फ्लैट में रहने वाले लोग सिक्यूरिटी गार्ड अपने खर्चे से तैनात किए हैं। बिल्डरों ने तो फ्लैट का पैसा लेने के बाद मुड़ कर देखना ही बंद कर दिया है। पॉश कालोनियों ने बड़े-बड़े बहुमंजिला बिल्डिंग बिल्डरों की अनदेखी के चलते अपराधियों के फरारी काटने का अड्डा बनते जा रहा है। जिसके कारण पॉश कालोनियों के बहुमंजिला फ्लैटों में आए दिन आपराधिक घटनाएं हो रही है। जिससे फ्लैट में रहने वाले लोग सशंकित है। बिल्डरों के सांठगांठ के झांसे से बचने के लिए लोगों ने खुद के मकान को तवज्जो देने लगे हैं। जिसके कारण फ्लैट का धंधा पूरी तरह चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है।

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