छत्तीसगढ़

नरवा के पानी का उपयोग करके अब किसान दोहरी खेती का उठा रहे हैं लाभ

Nilmani Pal
5 April 2022 11:36 AM GMT
नरवा के पानी का उपयोग करके अब किसान दोहरी खेती का उठा रहे हैं लाभ
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जशपुर। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी 'नरवा विकास योजना' के तहत नाला सफाई कार्यों से जिले में भू-जल संरक्षण में बढ़ोत्तरी के साथ ही वनांचल की अनउपजाऊ भूमि भी उपजाऊ बन रही है। वन क्षेत्रों में नाला उपचार के लिए स्टॉप डैम, बोल्डर चेक डैम, गेबियन इत्यादि भू-जल आवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। इस कड़ी में फरसाबहार विकासखण्ड के ग्राम पंचायत डोंगादरहा में बाढ़ नियंत्रण और संरक्षण के तहत् वर्ष 2019-20 में नरवा कार्यक्रम अन्तर्गत नाला सफाई सह पचरी निर्माण 11 लाख 26 हजार की लागत से कराया गया है।

नरवा कार्यक्रम के तहत् कोकिया नाला का उपचार एवं पचरी निर्माण करने के पश्चात् साथ ही नाला का साफाई सह बेड सुधार करने से पूरे वर्ष भर पानी की उपलब्धता होने से कृषकों में खरीब एवं रवी दोनो फसल लेने में रूचि आई और वे आपने खेतों, बगानों में सब्जी-भाजी का अधिक मात्रा में उत्पादन करने लगे हैं। उक्त नाला के साफ-सफाई एवं पचरी निर्माण होने से नाला के समीप स्थित भूमि के कृषकों का कृषि के प्रति रूझान बढ़ा है। ग्राम के नाला से कृषकों श्री सीबनु राम, राजेश, नान्हु, दयालू, रामलाल, वितन, भगत, धरम, राजेन्द्र, जगरनाथ, बेदराम, सुखनाथ, नोहर, गौतम राम, अर्जुन सिदार, योगेन्द्रसिंह, दिलीप कुमार, राजकुमार एवं अन्य कृषक सामूहिक रूप से खेती करते हैं।

लाभार्थी कृषक राजेश कुमार ने बताया की वे अपने खेतों व बगानों में गेंहू, धान, व सब्जी जैसे आलू, प्याज, भिंडी, बरबट्टी, मूंगफल्ली आदि की खेती कर सालाना 30 से 40 हजार रूपये का मुनाफा ले रहे है। वही कृषक दयालू राम ने कहा की धान, गेहूं और मूंगफल्ली से 30 हजार की आमदनी हुई है। कृषक वितन पड़वा 15 हजार की फसल बेच चुके है, रामलाल रतिया गेहूं एवं साग-सब्जी की सामूहिक रूप से कृषि कार्य कर रहे हैं। गौतम राम एवं अर्जुन सिंह द्वारा बताया गया कि प्रतिवर्ष 50 हजार से 1 लाख रूपये तक आय हो रही है। जिससे सभी कृषक अपने जीवन स्तर में वृद्धि कर रहें है।

नरवा कार्यक्रम अन्तर्गत नाला का उपचार होने से गांव के कृषकों के लिये वरदान साबित हो रहे हैं। आय के अतिरिक्त स्त्रोत प्राप्त हुआ है। पशुओं के लिये चारा पानी हेतु पानी गर्मी दिनों मे भी आसानी से उपलब्ध हो रहा है साथ ही पचरी का निर्माण होने से ग्रामीणों के निस्तारीकरण में भी सुविधा हो रही है।


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