अब तक सिर्फ 152 प्रकरण ही निपटे
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। अवैध निर्माणों के नियमितीकरण के लिए आवेदन जमा करने लोगों के पास महज पांच महीने का वक्त बाकी है। जुलाई 2022 से पहले अवैध निर्माण करने वालों को अपने मकान-भवन को वैध करने के लिए यही मौका है। विशेष परिस्थित में एक महीने की अवधि बढ़ाई जा सकती है। इसके बाद लोगों के पास अवैध निर्माण को वैध करने के लिए राजीनामा में जाना होगा। नियमितीकरण की अपेक्षा यह लोगों को काफी महंगा पड़ेगा। नगर निगम सीमा से अब तक करीब 3300 आवेदन निगम के विभिन्न जोन दफ्तरों में जमा हुए हैं।
निगम सीमा के बाहर क्षेत्र से छह-सात सौ आवेदन सीधे टाउन प्लानिंग में जमा हुए हैं। सात महीने में लगभग चार हजार आवेदन ही जमा हुए हैं। दफ्तरों में प्रकरण जमा होने की रफ्तार काफी कम है। नियमितीकरण कानून-2016 में रायपुर से लगभग 22 हजार आवेदन जमा हुए थे। 18 हजार से ज्यादा मामलों का निराकरण हुआ। 2016 की तुलना में 2022 में आवेदनों की संख्या कम है।
कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति के पास ही निराकरण के लिए प्रस्ताव नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस वजह से अब तक सिर्फ एक बैठक हुई है। सिर्फ 152 प्रकरणों का ही निराकरण हो पाया है। निगम अफसरों का कहना है कि नियमितीकरण कानून को लेकर लोगों को कुछ भ्रांतियां हैं है। इस वजह से ज्यादा आवेदन जमा नहीं हो पा रहे हैं। निगम नियमितीकरण कानून के तहत होने वाले फायदे बताने हर वार्ड में विशेष शिविर लगा रहा है।
जीएसटी विभाग की छापेमारी में 78 लाख की टैक्स चोरी का हुआ खुलासा कारोबारी के यहां कार्रवाई जारी
रायपुर/ बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में जीएसटी विभाग की छापेमारी जारी है। टैक्स चोरों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है। इसी कड़ी में जीएसटी की टीम में बिलासपुर में छापेमारी की, जिसमें 78 लाख की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ. कार्रवाई के बाद फर्म को 78 लाख रुपये टैक्स जमा करना पड़ा। मिली जानकारी के मुताबिक बिलासपुर के संतोषा टाइल्स और संतोषा गैलरी में जीएसटी की टीम ने दबिश दी थी। जहां से भारी मात्रा में टैक्स गड़बड़ी सामने आई थी, जिसके बाद संबंधित दुकान को टीम ने सील कर दिया था। जीएसटी की टीम की कार्रवाई के बाद 78 लाख का टैक्स जमा कराया गया है. वहां जब्त अन्य दस्तावेजों की जांच की जा रही है. इसके बाद आगे कार्रवाई की जाएगी। बताया जा रहा है कि 3 दिनों तक कार्रवाई चली। उपलब्ध दस्तावेजों और स्टॉफ की जांच की गई। जांच में स्टॉफ में डिफरेन्स पाया गया। प्रारंभिक जांच के बाद व्यापारी के दस्तावेजों और स्टॉफ डिफरेंस का मूल्यांकन कर व्यापारी से 78 लाख रूपये जमा करवाए गए हैं। सोनल के. मिश्रा, संयुक्त आयुक्त प्रवर्तन रायपुर ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह की कार्रवाई राजस्व हित में चलती रहेगी। मिली जानकारी के मुताबिक कई व्यापारी रडार में हैं। जिन पर कार्रवाई सकती है।