छत्तीसगढ़

आज तक कितनी सड़कों का परीक्षण हुआ कोई बताने वाला नहीं

Nilmani Pal
3 Jun 2022 5:45 AM GMT
आज तक कितनी सड़कों का परीक्षण हुआ कोई बताने वाला नहीं
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  1. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में वैट डिफ्लैक्टोमीटर मशीन खरीदी का मामला
  2. सप्लायर को जीएसटी नहीं देने की जानकारी, जबकि पूर्ण भुगतान हो चुका है
  3. मशीन को संचालित करने वाला कोई ऑपरेटर ही नहीं
  4. सड़कों के लिए सड़क नापने बनाई मशीन का इस्तेमाल नहीं
  5. छत्तीसगढ़ की सड़कों के लिए डिफ्लैटोमीटर मशीन अनुपयोगी - प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में मानक अनुसार सड़कें ही नहीं बन रही तो मशीन का इस्तेमाल कैसे होगा, अगर हुआ तो सच्चाई सामने आ जाएगी। वैसे भी 4 करोड़ की फालिंग वेट डिफ्लेक्टोमीटर मशीन छग के सड़कों के लिए अनुपयोगी है क्योंकि उक्त मशीन की क्षमता न्यूनतम 40 टन भार क्षमता है। मशीने अनुपयोगी होकर कबाड़ में तब्दील होने के कगार पर है। अधिकारी द्वारा केंद्र सरकार से मिले फंड का दिशा निर्देश के विपरीत व्यय कर अनुपयोगी मशीनों की खरीदी की गई है।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सीईओ व्दारा केंद्र सरकार से मिले फंड का निर्देश के विपरीत व्यय कर अनुपयोगी मशीनों की खरीदी की गई। विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि उनके द्वारा फालिंग वेट डिफ्लेक्टोमीटर मशीन की खरीदी की गई है जिसकी कोई उपयोगिता ही साबित नहीं कर पाए हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि सिर्फ फायदे के लिए इस मशीन की खरीदी की गई है। इस मशीन की न्यूनतम 40 टन की भार सहने की क्षमता है, मशीन का उपयोग कम से कम 40 टन या 40 टन से अधिक क्षमता वाली सडक़ों में उपयोग होती है 40 टन से कम में मशीन काम ही नहीं आएगी तो फिर इसे खरीदने की जरुरत ही क्यों पड़ी समझ से परे है। लगभग 4 करोड़ की मशीन बिना कुछ काम के धूल खाते कबाड़ के कगार पर खड़ी हुई है। पीएमजीएसवी और सीजीआरआरडीए के एक अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 20 टन क्षमता की ही सड़कें बनती है और खरीदी गई मशीन की क्षमता 40 टन की है ऐसे में इस मशीन की कोई उपयोगिता ही नहीं दिखती। आरआरएनएनयू (रूलर रोड नेटवर्क मेंटनेंस यूनिट) कैम्पस सेंदरी बिलासपुर में उक्त मशीन पिछले डेढ़ साल से धूल खाते पड़ी है। सूत्रों ने बताया कि जितने भी मशीनें खरीदी गई थी सारी मशीनें अनुपयोगी साबित हुई। जब से मशीनों की खरीदी की गई तब से आज तक धूल खाते पड़ी हुई है। ,स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार से मिले फंड का सीदी-सीधी दुरूपयोग है।

टेंडर में भी धांधली की आशंका

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस फॉलिंग वेट डिफ्लेक्टोमीटर मशीन की खरीदी की जिम्मेदारी अधीक्षण अभियंता टेंडर की थी, लेकिन रेगुलर अधीक्षण अभियंता (टेंडर) व्दारा इसे अनुपयोगी और फिजूलखर्ची बताकर टेंडर काल करने से इंकार कर दिया गया था। तब सीईओ ने इस मशीन को खरीदने के लिए अधीक्षण अभियंता आरसीटीआरसी को टेंडर आमंत्रित करने को कहा गया और उनके द्वारा टेंडर काल कर मशीनों की मशीनों की खरीदी कर ली गई।

छत्तीसगढ़ के लिए बेहतर साबित हो सकती थी

अगर मशीन की भार क्षमता 20 टन की होती तो यह छत्तीसगढ़ के लिए बेहतर साबित हो सकती थी, अत्याधुनिक मशीन का उपयोग छग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों को मापने में उपयोग में होती तो यह विभाग के लिए गर्व की बात होती।

अभी तक परीक्षण नहीं किया गया

इस मशीन का उपयोग छत्तीसगढ़ में पीएमजीएसवाय और एमएमजीएसवाय की किसी भी सड़क की भार क्षमता का परीक्षण नहीं किए जाने की जानकारी मिली है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की सडक़े इस मशीन के भार क्षमता के अनुरूप बनी ही नहीं है। उस स्थिति में परीक्षण की नामुमकिन है। यहां सड़कों की भार क्षमता 20 टन की है और मशीन की क्षमता न्यूनतम 40 टन है।

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