छत्तीसगढ़

एक्शन प्लान नहीं, कम्युनिटी पुलिसिंग फेल

Admin2
9 Jun 2021 5:22 AM GMT
एक्शन प्लान नहीं, कम्युनिटी पुलिसिंग फेल
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राजधानी में साल-दर-साल बढ़ते जा रहे अपराध

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी रायपुर में लगातार अपराधी सिर उठा रहे हैं। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 20 साल यानी दो दशक में तीन गुना अपराध बढ़ गया है। इस दौरान रायपुर की आबादी तिगुनी हो गई है। राज्य निर्माण के बाद हर साल चार से पांच हजार केस दर्ज हो रहे थे। वर्तमान में इनकी संख्या तक 12-15 हजार तक पहुंच गई है। पुलिस का हाल यह है कि सीमित संसाधन व कम बल संख्या के भरोसे व्यवस्था बनाने में जुटी है। अधिकतर अपराध में बाहरी अपराधियों का ही हाथ निकला है। इसके बावजूद पुलिस ने कई चर्चित मामले सुलझाए भी हैं।

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद हर साल चार से पांच हजार मामले दर्ज किए जा रहे थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में अपराध में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। हालत यह है कि पांच हजार का आकंड़ा वर्ष 2020 तक 12 हजार तक पहुंच चुका है। दरअसल राजधानी रायपुर में लगातार बढ़ रहे अपराध की वजह शहर का बढ़ता दायरा और आसपास के राज्यों से लोगों की आवाजाही है। अनजान लोगों की सही तरीके से निगरानी न होने के कारण अपराधी तत्व अपराध को अंजाम देकर भाग निकलते हैं।

राजधानी में कम्युनिटी पुलिसिंग फेल

राजधानी में एक समय कम्युनिटी पुलिसिंग के जरिए पुलिस आम लोगों से सीधे जुड़ी हुई थी। फ्रेंड्स आफ पुलिस बनाकर अच्छे लोगों को अफसरों ने जोड़ा था, लेकिन वर्तमान में यह अभियान ठप पड़ गया है। आमजन एवं पुलिस के बीच संवाद न होने से अनजान लोगों की गतिविधियों की जानकारी पुलिस तक पहुंच नहीं पा रही है। यही नहीं, थानों में आ रहीं शिकायतों पर कोई कार्रवाई न होने के कारण भी अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।

सीसीटीएनएस में डेढ़ लाख से ज्यादा केस

क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्किंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) के डिजिटल डाटा पर नजर डालें तो अकेले रायपुर जिले में डेढ़ लाख आपराधिक केस अपलोड हो चुके हंै। पुलिस के डिजिटल लाकर में अभी तक तीन लाख से अधिक गुंडे, बदमाश, बाहरी अपराधियों की कुंडली बना ली गई है। कंप्यूटर पर एक क्लिक करते ही किसी भी अपराधी का डाटा सामने आ जाएगा।

सुविधाओं में इजाफा फिर भी चुनौती

रायपुर में बढ़ते अपराध और अपराधियों के नए तौर-तरीके को देखते हुए रायपुर पुलिस ने आधुनिक तकनीक भी अपनाई है। उसका इस्तेमाल कर अपराधियों को मात देना भी शुरू कर दिया है। राज्य निर्माण से पहले बल की कमी, संसाधनों के अभाव की वजह से आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में पुलिस को नाकामी हाथ लगती थी, लेकिन बीते 20 सालों में पुलिस बल में पांच गुना इजाफा हुआ है और संसाधन बढऩे के बावजूद पुलिस को अपराधी रोज चुनौती दे रहे हैं।

अपराधधानी बनता जा रहा है रायपुर: बृजमोहन

भाजपा विधायक पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले दो-ढाई सालों में काग्रेस सरकार के गलत नीतियों व अपराधियों की राजनैतिक संरक्षण के चलते छत्तीसगढ़ अपराध के गढ़ में परिवर्तित हो गया है। राजधानी रायपुर अपराधधानी में परिवर्तित हो गया है। शासन के संरक्षण में संगठित अपराध, ड्रग्स माफिया, कोकिन माफिया, गांजा माफिया, शराब माफिया, रेत माफिया, कोयला माफिया, जमीन माफिया व रंगदारी माफिया पूरे प्रदेश में सक्रिय है और चारो तरफ जमकर उगाही कर रहे है और रायपुर इन सब माफियाओं की राजधानी है। अग्रवाल ने कहा है कि नीति आयोग की सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल रिपोर्ट के अनुसार देश में हत्या के मामलों में, देश में 17 नंबर की जनसंख्या वाला छत्तीसगढ़ विभिन्न बड़े राज्यों को पीछे छोड़ कर चौथे नंबर पर पहुंच गया है। नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि प्रत्येक एक लाख में लगभग 3.5 लोगों की छत्तीसगढ़ में हत्या हो रही है जो राष्ट्रीय अनुपात से बहुत ज्यादा है। हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों से लगभग 2 गुना ज्यादा है। अग्रवाल ने कहा कि पिछले दो-ढाई वर्षों का घटनाक्रम देखें तो छत्तीसगढ़ लगातार संगठित अपराध की शरणस्थली बनता जा रहा है। जिसका ताजा उदाहरण बेंगलुरु में एक बच्चे का अपहरण व हत्या के आरोपियो का रायपुर के एक मोहल्ला में छुपा होना है। प्रदेश में शराब दुकान का संचालन शासन द्वारा किया जा रहा है फिर किसके आदेश, निर्देश व संरक्षण में गली-गली में हरियाणा यु.पी., गोवा, महाराष्ट्र उत्तरप्रदेश व अन्य राज्यों की शराब छत्तीसगढ़ में आकर बिक रही है। छत्तीसगढ़ के गली-गली में युवाओं को नशे के जाल में फसाने का क्रम चल रहा है। सूखा मादक पदार्थ, अफीम, चरस, हीरोइन, गांजा, नशीली सीरफ आसानी से गली गली में उपलब्ध है परंतु पुलिस छोटी मछलियों को पकड़कर मामला नियंत्रण में करने का दिखावा कर रही है और खुलेआम सूखा नशा राजनीतिक संरक्षण में गांव-गांव, गली-गली बिक रही है।

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