छत्तीसगढ़

नौ सांसद फिर भी छग के हाथ खाली...

Admin2
12 July 2021 5:51 AM GMT
नौ सांसद फिर भी छग के हाथ खाली...
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मंत्रिमंडल विस्तार में प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य को नहीं दिया तवज्जो

छत्तीसगढ़ की ढाई करोड़ से अधिक जनता के साथ छलावा

जहाँ चुनाव वहां मंत्री बनाओ की अवसरवादी राजनीति कर रही बीजेपी

ट्वीट से झलकी बीजेपी नेता की निराशा...

मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ बीजेपी नेता निराश नजर आ रहे है. वही बीजेपी नेता रामविचार नेताम ने ट्वीट कर निराशा जाहिर की है. ट्वीट कर लिखा - जब आपका नसीब साथ नही दे रहा हो तो समझ लेना आपकी मेहनत साथ देगी। जय श्री महाकाल !! बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार मंत्रिपरिषद का विस्तार किया गया है. मंत्रिपरिषद विस्तार में कुल 43 मंत्री शामिल किए गए हैं जिनमें 15 मंत्री कैबिनेट स्तर के और 28 राज्य मंत्री बनाए गए हैं।

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हुआ लेकिन कुछ हाथ नहीं आया। इस बार छत्तीसगढ़ के नेताओ को उम्मीद थी कि एक मंत्री तो जरूर टीम मोदी में शामिल होगा लेकिन मायूसी हाथ लगी। छत्तीसगढ़ के नेता इंतजार ही करते रह गए। इस बार छत्तीसगढ़ को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। मोदी कैबिनेट में छत्तीसगढ़ से केवल एक मंत्री ही शामिल हैं लेकिन इस बार किसी को शामिल नहीं किया गया।

इस बार उम्मीद थी कि छत्तीसगढ़ के किसी सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, लेकिन अब यह इंतजार और लंबा हो गया है। इस बात का गम न केवल छत्तीसगढ़वासियों को है बल्कि यहाँ के जनप्रतिनिधियों को भी है, खुद बीजेपी नेताओं को भी है. शहर के जनप्रतिनिधि खुलकर इस बात को कह भी रहे है, फिर चाहें वह सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के हो या फिर भाजपा के।

भाजपा-कांग्रेस दोनों को अफसोस

देखा जाये तो परफॉर्मेंस के आधार पर कई बड़े बड़े मंत्रियों की छुट्टी हो गई। छत्तीसगढ़ से एक मात्र मंत्री की छुट्टी की अटकलें भी लगाई जा रही थी एवं उनके जगह किसी अन्य को शामिल किये जाने की भी चर्चा थी लेकिन भाजपा नेता दिल्ली से फोन आने का इंतजार करते रह गये। छत्तीसगढ़ के ओबीसी नेताओ को काफी उम्मीद थी खासकर बिलासपुर से सांसद अरुण साव को मंत्रीमंडल में शामिल किये जाने की काफी उम्मीद थी। जो साहू समाज से हैं। डॉ रमन सिंह को भी मंत्रिमंडल में लिए जाने की अटकलें लगा रहे थे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता रामविचार नेताम दिल्ली में ही थे लेकिन उन्हें भी फोन नहीं आया। कांग्रेस ने इस पर तंज करते हुए कहा कि भाजपा का जहाँ चुनाव वहां मंत्री बनाओ की अवसरवादी राजनीती कर रही है। देखा जाये तो आने वाले साल में उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड और हिमाचल में विधान सभा चुनाव है शायद इसी वजह से इस राज्यों को ज्यादा तवज्जो दिया गया है। ताकि विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी के दरवाजे खुल जाये। इस केबिनेट विस्तार में उत्तरप्रदेश से ही सात लोगों को लिया गया है जिसमे आगामी विधानसभा चुनाव की सोच स्पष्ट दिखाई पड़ रही है। हालांकि इस फेरबदल में पिछड़ा वर्ग, दलित एवं महिलाओं को भरपूर तवज्जो दिया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ के पिछड़े वर्ग, आदिवासी या अन्य को शामिल नहीं करना यह दर्शाता है कि अभी भाजपा नेतृत्व को सिर्फ चुनाव होने वाले राज्यों में ध्यान फोकस करना है। छत्तीसगढ़ ने 11 में से 9 सांसद दिए हैं उसके बावजूद किसी और को मौका नहीं मिलने से भाजपा और कांग्रेस के नेता मायूस हो गए। अभी छत्तीसगढ़ से एक मात्र रेणुका सिंह ही राजयमंत्री हैं। वर्तमान केबिनेट विस्तार में छत्तीसगढ़ को एक और मंत्री मिलने की संभावना जताई जा रही थी। पिछले दिनों डॉ रमन सिंह के दिल्ली प्रवास को भी ऐसी सन्दर्भ में देखा जा रहा था। केबिनेट विस्तार की चर्चा चलने पर प्रदेश भाजपा ने मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए बिलासपुर सांसद अरुण साव का नाम भी प्रस्तावित किया था, साथ ही राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डे और दुर्ग सांसद विजय बघेल के नाम की भी चर्चा रही। इसके आलावा कद्दावर आदिवासी नेता रामविचार नेताम को मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने की प्रबल संभावना थी। इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने केबिनेट विस्तार में छत्तीसगढ़ को तवज्जो नहीं दी। कांग्रेस का कहना है केंद्र के नक्शे पर शायद छत्तीसगढ़ कहीं आता ही नहीं है या फिर अभी यहाँ चुनाव अभी नहीं है। ऐसे में यहाँ से किसी को मंत्रिमंडल में लेना, सोचा भी नहीं जा सकता।

भले ही छत्तीसगढ़ के किसी सांसद को दिल्ली से बुलावा नहीं आया वे इंतजार करते ही रह गए परन्तु यहाँ के सांसद इस बात से संतुष्ट हैं कि छत्तीसगढ़ से एक राज्यपाल हुए एक केंद्रीय मंत्रिमंडल में तो है ही। सभी सांसद इसे मोदी का एकाधिकार मानते हैं। देखा जाये तो ऊपर से सभी सांसद संतुष्ट हैं लेकिन अंदर से वे मायूस जरूर हैं। खुलकर किसी के सामने बोल तो नहीं पा रहे हैं लेकिन अंदर से जरूर दर्द दिख रहा है। कहीं कहीं इस बात का जिक्र भी वे कर देते हैं लेकिन अनुशासन के डंडे के सामने ख़ामोशी अख्तियार करना ही मुनासिब समझ रहे हैं वर्ना आने वाले चुनाव में टिकट के लिए भी लेने के देने पड़ जायेंगे। यहाँ के सांसदों के लिए अंगूर खट्टे हैं वाली कहावत हो गई। जिस हिसाब से छत्तीसगढ़ में पिछले चार चुनावो में भाजपा एक तरफ़ा परचम लहरा रही है उसे देखते हुए इस बार उम्मीद सौ फीसदी शामिल किये जाने की थी लेकिन निराशा हाथ लगी। हालांकि प्रदेश के चार बड़े नेता इस सम्बन्ध में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये भाजपा आला कमान को कम से कम एक या दो को तो जरूर शामिल करने का अनुरोध कर चुके हैं, हो सकता है आगामी दिनों में भाजपा अध्यक्ष नड्डा इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री मोदी से मनुहार करे कि छत्तीसगढ़ के परफॉर्मेंस को देखते हुए एक को तो शामिल किया जाये, जिसकी उम्मीद काफी क्षीण है। ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ के सांसद इस सदमे से अभी तह उबर नहीं पाए हैं तभी तो कोई भी सांसद मोबाइल रिसीव नहीं कर रहे हैं। आदिवासी नेता रामविचार नेताम का दर्द उनके ट्वीट में साफ झलक रहा है। वैसे भी अन्य भाजपा नेताओं से बात करने पर उनके दिल की बात जुबां पर आ ही जाती है और मायूसी के साथ कहते हैं कि काश एक सांसद को तो मंत्रिमंडल में ले लेना था कम से कम कांग्रेसियों के तंज से तो बच जाते। उनका कहना भी सही है क्योकि विगत चार चुनावो में छत्तीसगढ़ से अधिकतर सांसद भाजपा के ही जीत हासिल कर रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जब भूपेश बघेल की सुनामी चली थी जिसमे भाजपा मात्र पंद्रह सीटों पर सिमट गई थी तब लोगो को और भाजपाइयों भी लग रहा था कि अब पिछला इतिहास दोहराना टेढ़ी खीर साबित होगी लेकिन जब चुनाव परिणाम सामने आया तो सब कुछ उल्टा था, ग्यारह में से नौ सांसद भाजपा के थे इस वजह से उम्मीद काफी बढ़ी हुई थी लेकिन मोदी जी ने इनके सोच पर पानी फेर दिया।एक भाजपा नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि दर्द तो हमें भी है लेकिन कुछ कह नहीं सकते। भाजपा के सूत्रों से जानकारी मिली है कि पिछले दिनों हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में निवेदन कर कुछ सांसदों का नाम का भी प्रस्ताव भेजा गया था। हाई लेबल वीडियो कांफ्रेंसिंग वाली बात माने तो अभी भी उम्मीद की किरण जगमगा रही है। प्रदेश के कई भाजपा नेता वीडियो कांफ्रेंसिंग और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से नजदीकी सम्बन्धो की पहलकदमी पर हो रही जुम्बिशों के उमड़ते-घुमड़ते बादल को आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। जिसके बरसने की काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि बरसात के मौसम को देखते हुए एकाध पद बरस जाये। आगे देखना है क्या होता है।

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