छत्तीसगढ़

अब जब जलेबी की तरह उलझ ही गई है जिंदगी, तो क्यों न चाशनी में डूब के मज़ा ले लिया जाए

Nilmani Pal
11 Oct 2024 5:31 AM GMT
अब जब जलेबी की तरह उलझ ही गई है जिंदगी, तो क्यों न चाशनी में डूब के मज़ा ले लिया जाए
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार जीत की हैट्रिक’ लगाने के बाद अब देश भर में जलेबी राजनीति शुरू हो गई है। हर कोई जलेबी को लपक रहा है। रिजल्ट आने से पहले कांग्रेस ने जीत की उम्मीद के साथ जलेबी का ऑर्डर दिया था। इसे लेकर अब छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप ने तंज कसते हुए विपक्ष की कांग्रेस पार्टी को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया है। कांग्रेस पिछले 15 वर्षों से लगातार मिठाइयों को ऑर्डर दे रही है, लेकिन ऑर्डर उठा नहीं पा रही है। उनका काम नहीं चल पा रहा है, उनके नेता नहीं चल पा रहे हैं। इस बार भी उन्होंने जलेबी का आर्डर दिया था, लेकिन जलेबी भी नहीं चल पाई। मंत्री कश्यप ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि हम आमंत्रित करते हैं उनको (कांग्रेस को). मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण में आए उस दिन उनको जलेबी खिलाएंगे। कांग्रेस के लोग बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे। उनके राष्ट्रीय प्रवक्ता कह रहे थे कि अपना नाम बदल लेंगे अब पता नहीं कौन सा नाम रखेंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि न भाजपा वाले समझ पा रहे और न कांग्रेस वाले समझ पा रहे है कि जलेबी की तासिर क्या है। यह मैदा को सड़ाकर बनाया जाने वाले खाद्य पदार्थ है जो बनाने वाले बड़े सलीके से एक कपड़े में छेद करके गोल-गोल घुमाकर समतल कढ़ाई में तेल में छानकर उसे चाशनी में डुबोया जाता है। हरियाणा में भी यही हुआ कांग्रेस वाले आपसी गुटवाजी का मैदा सड़ा दिए और डबल इंजन की चाशनी में डूबाकर भाजपा वालों ने एक्जिट पोल की गोल-गोल पोल को सीधा करके भाजपा की चाशनी में डूबा कर खट्टर औऱ नायब जैसे मिठाई मेन ने भाजपा की थाली को जायकेदार बना दिया है। जलेबी पर राजनीतिक दल के नेता मजे ले ही रहे हैं देश की जनता भी जलेबी का आनंद उठा रही है। इसी बात पर किसी ने ठीक ही कहा है अब जब जलेबी की तरह उलझ ही गई है जिंदगी, तो क्यों न चाशनी में डूब के मजा ले लिया जाए।

दक्षिण में राजनांदगांव वाला तडक़ा

रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की तैयारियों में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने जोरआजमाइश शुरू कर दी है। उसमें अब कांग्रेस नेतओ्ं ने तडक़ा लगाना तेजकर दिया है। उपचुनाव के लिए कांग्रेस नेताओं की दौड़ शुरू होते ही बहुत सारे दावेदार खड़े हो गए है। इसी कड़ी में राजनांदगांव जिले के नेताओं ने रायपुर दक्षिण से टिकट की दावेदारी पेश करते हुए प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट और पीसीसी चीफ दीपक बैज से मुलाकात की है। उनकी डिमांड है कि रायपुर दक्षिण से उनके नेता को चुनावी मैदान में उतारा जाए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जब रायपुर के नेता राजनांदगांव जाकर चुनाव नहीं जीत पाए तो राजनांदगांव के नेता रायपुर में कैसे चुनाव जीत पाएंगे। क्या यहां भी जलेबी राजनीति को आजमाना चाहते है या चुनाव जीतकर कुछ नया करना चाहते है। ये बृजमोहन का बृंदावन है, जहां सुबह से शाम तक लोग राधे-राधे की जगह मोहन -मोहन कहते रहते है। जो दक्षिणा की चाशनी से पूरी तरह डूबा हुआ है। यहां भला कांग्रेसी कैसे चाशनी वाले तालाब में कैसे डूबकी लगाएंगे।

सुआ नाच वाले फिर सक्रिय

राजधानी में हर साल सुआ नाचने वाले दीपावली से 15 दिन पहले सक्रिय हो जाते है। टोकनी में तोता बैठाकर एक झुंड बनाकर दुकान-दुकान और घर-घर जाकर दीपावली की बधाई देकर दान दक्षिणा लेते है। इसमें अब औऱ एक विशेष वर्ग शामिल हो गया है जो मंत्रियों और विधायकों के बंंगले और विभाग-विभाग जाकर अफसरों को उनके दीपावली की बधाई देकर दान दक्षिणा अर्जित करते है। जनता में खुसुर- फुसुर है कि बड़े-बड़े मंत्रियों और अफसरों के बंगलों में सुआ नाचने वाले लोक कलाकार नहीं पहुंच पाते है इस कमी को दूर करने के लिए औऱ दीपावली पर कुछ स्पेशल करवाने के लिए कुछ खास लोगों को अपने बंगले में बुलाकर सुआ नचवाते है औऱ जितना बड़ा माथा होता उतना बड़ा लिफाफा देते है। ताकि साल भर मुंह में ढक्क्न लगा कर रखे रहे। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। सुआ नाच को लोग एक प्रकार का शगुन भी मानते है , छोटे -बड़े सभी अपनी क्षमता अनुसार सुआ नाचते है ताकि सत्ता सुख की प्राप्ति हो सके।

नालंदा लायब्रेरी में भावी पीढ़ी को ये पढ़ाया जाए

नालंदा लायब्रेरी में प्रतियोगी परीक्षा के लिए भावी पीढ़ी जो पढ़ाई कर रही उसके लिए नालंदा लायब्रेरी में प्रवेश लेने के लिए 10 महीने तक इंतजार करना पड़ेगा तब इंट्री मिलेगी। उच्चस्तरीय गुणवत्ता की पढ़ाई करने के बाद यूपीएससी की परीक्षा में फाइट करने लायक बनने के लिए 24 घंटे पढ़ाई करते है। यूपीएससी में हजारों में सैकड़ों लोगों को ही सफलता मिलती है। और जो युवा उच्च् शिक्षा पढ़ाई के बाद भी जब यूपीएससी में असफल हो जाते है तो विदेश की ओ्रर रूख करते है, जहां उनको योग्यता के अनुसार विदेश में पद तो नहीं मिलता पर विदेश में होटल मैनेजमेंट में नौकरी तैयार रहती है। जिसे न चाहते हुए भी भारतीय युवा जो नौकरी के आफर पर विदेश गए होते है वेटर बनकर अपने खर्चे निकालने पड़ते है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सरकार को एक एसा नया विभाग बनाना चाहिए जो युवाओ्ं को उनके रूचि के अनुसार रोजगार स्थापित करने के लिए आसान शर्तो पर लोन देकर भारत में ही स्वरोजगार स्थापित करने में मदद करें ताकि युवा प्रतिभा ने जो पढ़ाई की है उसका लाभ भारतीय युवाओ्ं को प्रेरणा देता रहे, न कि विदेश में हमारे प्रतिभाशाली बच्चो को वेटर बनना पड़े।

भोजन का ऑफर औऱ फरमाइश में फंसे भाजपाई

भाजपा की लगातार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भी छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए सदस्यता अभियान के लक्ष्य को पूरा करने की चुनौती बनी हुई है। दरअसल, मंत्री, विधायक और सांसद के क्षेत्र में ही सदस्यता का अभियान पिछड़ा हुआ है। भाजपा ने तीन हजार लोगों को पार्टी की सदस्यता दिलाने वाले कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ भोजन करने का ऑफर भी दिया था। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भोजन के आफर की बात नए बनने वाले सदस्यों को पता चल गया है। मिस काल से बनने के सोशल मीडिया में चल रहे अपील को लोग अब इगनोर करने लगे है। कहते है भैया आपका पेट तो भर जाएगा हमारा क्या होगा। कुछ हमारे लिए भी करवा दो। कम से कम ताजा भोजन में शामिल होने का मौका भले ही न मिले हमारे लिए तो बासी तिहार ही 56 भोग के समान है। अब कार्यकर्ता लोगों के पास जाने से कतरा रहे है एसा न हो कि लोग औऱ कुछ नई फरमाइश कर दे। क्योंकि सरकार के सभी काम डबल इंजन की तरह सायं-सायं दौड़़ रही है। इसलिए कार्यकर्ता सोशल मीडिया का सहारा ले रहे है ताकि किसी के सामने प्रत्यक्ष फरमान के अटैक से बचे रहे और काम हो जाए।

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