छत्तीसगढ़

चेंबर चुनाव में पदाधिकारियों का नया दांव

Admin2
26 Oct 2020 5:41 AM GMT
चेंबर चुनाव में पदाधिकारियों का नया दांव
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RSS से पल्ला झाड़ कांग्रेस के पाले में नया पेनल!

छत्तीसगढ़ चेंबर में चुभते सवाल

इनायत अली के बाद आज तक किसी भी मुस्लिम व्यापारी नेता को चेंबर में जगह नहीं

कांग्रेस के एक बड़े नेता का दावा, मैं किसी को नाम से जानता है न ही मेरी जानकारी में कांग्रेस पार्टी ने किसी को समर्थन किया

चेंबर चुनाव महत्वपूर्ण दौर में, जाति समीकरण के मकडज़ाल में उलझा

गलत अफवाह फैलाकर कांग्रेस पार्टी का समर्थन मिलने का दावा करते ही

चेंबर का माहौल गरमाया

छत्तीसगढ़ के मूल निवासी व्यापारी नेतागण चेंबर में जगह नहीं मिलने से नाराज

राजेंद्र जग्गी एवं अन्य कांग्रेस के नेता को दर किनार करने की साजिश

एक वर्ग विशेष की राजनीतिक दखलांदाजी से चेंबर में अंतरविरोध

कांग्रेस पार्टी वर्तमान में उहपोह की स्थिति में, चेंबर चुनाव में किसको समर्थन दें और किसको न दें ये सभी निर्णय अभी आना बाकी

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ चेंबर का चुनाव छत्तीसगढ़ चेंबर चुनाव में संपूर्ण छत्तीसगढ़ के सदस्य जो कई वर्षों से चेंबर के सदस्य बनकर चुनाव में भाग लेना चाहते थे, जो संभवत छत्तीसगढ़ के मूल निवासी है अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं । वर्तमान चेंबर के जाति समीकरण में व्यापारी हर जाति के हर समूह के लोग लगातार बाहर से आकर सम्मिलित हो गए और सदस्य बनकर चेंबर की नेतागिरी करने लगे। इस चुनाव सबसे महत्वपूर्ण बात एक जाति विशेष का वर्चस्व और काबिज होना हैं। अधिकतर सदस्य एक ही समाज के और उस समाज में दो गुट है, जो आपस में आमने-सामने आ रहे है। उक्त समाज के सभी व्यापारीगण असमझ की स्थिति में आ गए है, यही हाल प्रमुख राजनीतिक पार्टियों का भी हो रहा है। आर एस एस के कट्टर समर्थक और प्रेरणा स्रोत नितिन गडकरी द्वारा कैट की स्थापना पूरे देश में की गई थी और अमर पारवानी ने मेहनत करके इसे छत्तीसगढ़ में खड़ा किया और सभी आरएसएस विचारधारा के अलावा अन्य समाज के लोगों को कैट का सदस्य बनाकर चेंबर के समक्ष एक समांतर संस्था खड़ी कर दी । वहीं छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स विगत 15 से 20 वर्षों से लगातार भारतीय जनता पार्टी से समर्पित सदस्यगण सक्रिय होकर चेंबर में काबिज थे। अब प्रदेश में कांग्रेस पार्टी सरकार होने से स्थिति पलट गई हंै। लेकिन राजेंदर जग्गी एवं अन्य कांग्रेस के नेता गणों का अघोषित बायकाट चेंबर की राजनीति में कांग्रेस नेता को कमतर समझने के कारण जातिसमीकरण में उलझा दिया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी में व्यापारी राजनीतिक नेता चेंबर ऑफ कॉमर्स की नेतागिरी को कम ही समझते हैं और दखल भी कम रखते हैं ऐसा सभी चेंबर के वर्तमान के पदाधिकारियों का मानना है। इसलिए कांग्रेस के लिए एक तरफ कुआं एक तरफ खाई जैसी स्थिति हो गई है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी लगभग चेंबर चुनाव से अपने आपको अलग रखी हुई है। लेकिन नया पैनल अस्तित्व में आने के बाद दावा यह किया जा रहा है के सत्ताधारी पार्टी ने नए पैनल को समर्थन देने का मन बनाया है और पूर्व कांग्रेसी छुटभैया नेता ने खुलेआम नाम लेकर सत्ताधारी दल के प्रमुख के साथ पैनल के प्रमुख की बैठक भी हो गई है। इस तरीके की अफवाहएं फैलाई जा रही है। दावे प्रति दावे आने से छत्तीसगढ़ में चेंबर चुनाव का माहौल और गंभीर होने के साथ-साथ गहराता जा रहा है । प्राय: यह देखने में आता है कि कुछ समूह के लोग दोनों पैनल की ओर ढोल बजाते हैं और आखिरी समय पर जो पैनल चुनाव जीत जाता है, उस पैनल में समझौतावादी रुख अख्तियार कर अपने आपको और अपने समर्थक लोगों को चेंबर के पदाधिकारियों की जगह दिलाने में कामयाब हो जाते हैं। अधिकतर व्यापारी संगठन और सदस्य गण व्यापारी एकती पेनल की कार्यशैली से और व्यापाररियों के कठिनाइयों के समय आगे आकर सहयोग देने के कारण अपना झुकाव पुराने एकता पेनल की ओर करने पर आतुर दिखते है।

रस्साकशी, गुटबाजी और आपसी तनातनी : छत्तीसगढ़ चेंबर के अब तक के हुए चुनावों में अधिकतर चुनाव हवा में या यो कहे मुगालते में लड़ाया जाता रहा है। पहली बार चुनाव में जमकर रस्साकशी, गुटबाजी और आपसी तनातनी के अलावा जाति समीकरण के बदरंग खेल भी देखने को मिल रहे हैं। सत्ताधारी दल कांग्रेस के लिए वर्तमान स्थिति को देखते हुए चेंबर चुनाव से अपने आप को दूर रखने में ही भलाई मानकर चेंबर चुनाव को बाजीगर खिलाड़ी जैसा देखकर स्थिति को भांपना चाहिए और पके पकाए फल पर काबिज होने के लिए एकमात्र विकल्प रूप में देखा जा रहा है।

मूल निवासी व्यापारी के रास्ते में रोड़ा बना संघ : छत्तीसगढ़ के प्रमुख बड़े शहरों के जो पुराने सदस्य चेंबर के है जिन्होंने कभी भी चेंबर का चुनाव नहीं लड़ा, मूल छत्तीसगढ़ के निवासी है इस वक्त उनके लिए छत्तीसगढ़ चेंबर चुनाव में बहुत अच्छा अवसर आया था लेकिन रायपुर के आर एस एस और भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों ने एक तरह से छत्तीसगढ़ चेंबर चुनाव को अपने काबू में और कब्जे में कर लिया । जिसके लिए छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों के पदाधिकारी और व्यापारी नेतागण छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ चुनाव का अध्यक्ष पद लेने के लिए बेताब दिख रहे थे, अब उन्हें और कुछ साल इंतजार करना होगा।

मुस्लिम व्यापारी नेता चेंबर में सक्रिय नहीं : इनायत अली के चेंबर में हटने के उपरांत कोई भी मुस्लिम व्यापारी नेता छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स में सक्रिय नजर नहीं आया, एकमात्र कारण जाति समीकरण को मानते है। अपने समाज की निष्क्रियता के कारण संगठन में सदस्य नहीं के बराबर है। चेंबर की राजनीति में एक वर्ग विशेष की दखलांदाजी से मुस्लिम समाज के कारोबारियों सदस्य बनाने से रोका जाता रहा है। फिर भी मुस्लिम समाज के व्यापारी सदस्य की संख्या तीन हजार के आसपास है। जबकि छत्तीसगढ़ में प्रमुख प्रतिष्ठानों में अधिकतर मुस्लिम कारोबारी-व्यापारीगण कार्यरत है। बुखारी परिवार,मेमन परिवार, बहादुर अली परिवार,अनवर अली परिवार, ढेबर परिवार, फरिश्ता परिवार, रसीद भाई का परिवार, इमदादी परिवार, स्टार इंडस्ट्रीज परिवार सहित अनेक नामचीन लोगों के साथ मद्रासी ग्रुप, मेजबान, नूरजहां ग्रुप, इन्नाग्रुप जो चेंबर से वर्षों से जुड़े है। इनकी ओर एक समाज के वर्चस्व के कारण जातिसमीकरण उलझाकर चेंबर में पदाधिकारियों की दृष्टि से नहीं देखा जाता।

30 व्यापारिक संगठनों से बातचीत जारी : व्यापारी एकता पेनल का दावा हैकि छत्तीसगढ़ में 105 व्यापारिक संगठनों में से 65 व्यापारिक संगठनों ने व्यापारी एकता पेनल को समर्र्थन का लेटर दे दिया है। जबकि 30 व्यापारी संगठनों से बातचीत जारी है। और 10 व्यापारी संगठनों ने स्पष्ट कहा है कि हम कभी भी कोई भी चुनाव में किसी भी पेनल को समर्थन में लेटर जारी नहीं करते वे अपने निर्णय के लिए स्वतंत्र है? वे किसी वोट देते है और किसे नहीं देते है उनका व्यक्तिगत निर्णय है।


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