ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
अपराधियों ने पुलिस के नशा मुक्त जीवन की सलाह को मजाक बना दिया है। नशेड़ी कहते फिर रहे है कि जब सरकार निजात के नाम पर नाटक कर सकती है तो हम क्यों नहीं असल जिंदगी में नशामुक्ति का नाटक कर सकते हैं। राजधानी में एसएसपी के मार्गदर्शन में नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को राजधानी के नशेड़ी निजात अभियान को ठेंगा दिखा रहे हैं । निजात की पहल अच्छी पर जिन लोगों इसमें सुधारने की गुंजाइश देख रहे है वो दरअसल वो एडिक्टेड नशेड़ी हैं, पुलिस की सख्ती के बाद भी राजधानी की संकरी गलियों औऱ स्लम बस्तियों में घर-घर सूखा नशा किया जाता है और बेचा जाता है। पुलिस अवेरनेश के लिए जो काम कर रह रही है उसे नाटक के रूप में नहीं कानून के रूप में शामिल करने के लिए सरकार पर दबाव डालना चाहिए। ताकि सरकार को भी लगे कि पुलिस मजाक नहीं कर रही है बल्कि अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाना चाहती है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यदि सरकार चाहे तो कोई रोक नहीं सकता । सरकार के सलाहकारों को तो सिर्फ अपने फायदे वाले मामले ही याद है। उन्हें क्या मतलब है कि सरकार नशेडिय़ों की जिंदगी में सुधारने जा रही है। सरकार के सलाहकारों ने ही निजात अभियान चलाने की सलाह दी होगी, ताकि दूसरे नेताओ्ं की दुकान बंद हो जाए। जानकारों का कहना है कि असल और बनावटी जिदगी में यही एक फर्क है, कि अलस जिंदगी में सब कुछ नाटक ही होता है असल जिंदगी में कुछ असल नहीं होता सभी नाटक ही करते है। असल कुछ भी नहीं है। इसी बात पर मशहूर शायर राहत इंदोरी ने ठीक ही कहा है कि नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है।
नेताओं को भी वादाप्राशन्न पिलाना चाहिए
बच्चों के व्याधिक्षमत्व, पाचन शक्ति, स्मरण शक्ति, शारीरिक शक्तिवर्धन एवं रोगों से बचाव के लिए 2211 बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया गया। विभिन्न रोगों से रोकथाम एवं इम्युनिटी बढ़ाने के लिए 342 बच्चों को पांच दवाईयों से बने बाल रक्षा किट भी वितरित किए गए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जिस तरह बच्चों को पूरी तरह स्वस्थ रखने के लिए स्वर्णप्राशन कराया जाता है वैसे ही नेताओं को भी वादाप्राशन्न पिलाना चाहिए ,ताकि उन्हें याद रहे कि हमने चुनाव के दौरान जो छाती ठोक कर घोषणा पत्र जारी किया है उसका अक्षरश: पालन कर जनता की भलाई कर सके। क्योंकि नेता अपनी छवि चमकाने के लिए तरह -तरह वादे तो कर लेते हंै और चुनाव जीतने के बाद उस घोषणा पत्र को खारून नदी में सूंड लगाकर विसर्जन कर देते हंै। जनता चाहती है कि एसे लोग नेता बने जिनकी याददाश्त बहुत मजबूत हो जो वादा करते हैं उसे हर हाल में पूरा करने की उनके दिलो दिमाग में कौंधती रहे।
पहले रेल सुविधा ठीक कीजिए साहब
जोनल स्टेशन के गेट नंबर तीन को अस्थाई रूप से बंद करने का निर्णय लिया गया है। प्रवेश व बाहर निकलने की सुविधा गेट एक व दो से रहेगी। चार भी खुला रहेगा। लेकिन, इसका उपयोग सीमित यात्री ही कर पाएंगे। सभी कार्य योजनाबद्ध तरीके से किए जा रहे हैं। इस निर्माण कार्य के दौरान यात्रियों को आवागमन एवं टिकटिंग से संबंधित किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो इसलिए अस्थायी रूप से बदलाव करने का निर्णय लिया गया है। जिसके अंतर्गत गेट नंबर तीन अस्थायी बंद किया जाएगा। यात्री केवल एक व दो नंबर के गेट से प्रवेश या बाहर निकल सकेंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि रेलवे हमेशा कोई न कोई एसे काम करती है जिससे जनता परेशान ही होती है। रेलवे को चाहिए कि पहले गाडिय़ों के आवागमन को ठीक करें, उसके बाद रेलवे स्टेशन को सुधारने का काम करें, ताकि यात्रियों को यात्रा करने में असुविधा न हो। रेलवे के हर निर्णय से रेल यात्री प्रभावित होते है। सुविधा के बजाय दुविधा में फंस जाते हैं।
कौन तय करेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा
महाराष्ट्र में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े के पैसे बांटने के मामले को लेकर राजनीति गरमाई हुई है. महाराष्ट्र कैश कांड पर छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने भाजपा और मुख्यमंत्री साय पर जमकर हमला बोला था. वहीं अब भूपेश बघेल के आरोप पर भाजपा नेत्री राधिका खेड़ा ने पटलवार किया है। खेड़ा ने कहा कि बिना सबूत टर्र-टर्र करना आपकी पुरानी आदत है। हिम्मत है तो अपने और गौरव मेहता के काले रिश्तों पर भी पोस्ट करें। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये राजनीति भी अजीब चीज है, जब कांग्रेस में रहते है तो कांग्रेस की तरफदारी करते है और जब भाजपा में चले जाते है तो उसी नेता के खिलाफ जहर उगलते है। अब ये कौन तय करेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा है।
न्यायधानी में अन्याय
पिछले दिनों न्यायधानी में अन्याय हो गया। दरअसल सरकंडा थाने के थानेदार ने अपनी थानेदारी गलत जगह दिखा दी और जनाब पहुंच गए लाइन। मजे की बात थानेदार साहब ने नाम के अनुरूप काम कर दिया थानेदार तोपसिंह जी ने तहसीलदार पर ही तोप चला दिया। तहसीलदार अपने भाई के साथ कहीं जा रहे थे तब सरकंडा थानेदार ने थाने बुलवाकर मुलाहिजा करने का आदेश दे दिया, उनके बताने पर भी कि वे तहसीलदार हैं, उनकी एक न सुनी, बात इसी बात पर बात आगे बढ़ गई और उनके साथ धक्का मुक्की कर दिया गया और मामला बढऩे के बाद तोपसिंह जी लाइन हाजिर भी हो गए। जनता में खुसुर फुसुर है कि न्यायधानी में अन्याय हो गया। थानेदार जी अपनी थानेदारी गलत जगह दिखा दी,आम आदमी होता तो मामला ठीक रहता, धक्का खाने वाले खुद तहसीलदार निकले जो थानेदार पर भारी पड़ गए और साहब को ही निपटा दिए। सरकारी महकमे में भी अब हर कोई अपने आप को बड़ा समझ रहा है जनता तो पिट ही रही है सरकारी अधिकारी भी नहीं बच रहे हैं।