छत्तीसगढ़

न सब्सिडी समायोजित हुई, न बैक टॉप अप दे रहे...

Nilmani Pal
19 Nov 2021 6:15 AM GMT
न सब्सिडी समायोजित हुई, न बैक टॉप अप दे रहे...
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  1. बूरे फंसे इंद्रप्रस्थ फेस-2 के हितग्राही, फ्लैट के आधिपत्य में भी अड़चने
  2. रेरा ने दिया आरडीए को झटका, हितग्राही को ब्याज सहित रकम लौटाने के निर्देश - रेरा ने इंद्रप्रस्थ फेस-2 में कामर्शियल सह आवासीय भू-खंड खरीदने वाले हितग्राही को ब्याज सहित रकम लौटाने का निर्देश आरडीए को दिया है। ताजा मामला विशाल नगर रायपुर निवासी अमित कुमार शर्मा और अतुल कुमार शर्मा का है। इन्होंने आरडीए के इंद्रप्रस्थ फेस -2 में वाणिज्यिक कम आवासीय भू-खंड, 2015-16 में खरीदा था, 7 मई 15 को एसबीआई से लोन लेकर आरडीए को भू-खंड का संपूर्ण रकम का भुगतान भी कर दिया। भुगतान करने के उपरांत आवेदक को पता चला कि जमीन उपयुक्त नहीं है, जिस वजह से कोई निर्माण कार्य नहीं किया और अपना पैसा आरडीए से वापस करने का अनुरोध किया। किंतु आरडीए ने पांच साल बाद सिर्फ मूल राशि ही वापस करने की बात कही। जबकि आवेदक को बैंक लोन पर 4-5 लाख रुपए ब्याज लग चुका था, आवेदक ने इस संबंध में अपने वकील राजीव दास के माध्यम से रेरा में आवेदन पेश किया और रेरा ने तथ्यों का परीक्षण कर हितग्राही के पक्ष मे ंफैसला देते हुए आरडीए को मय ब्याज के भुगतान करने के निर्देश दिए। रेरा ने आरडीए को आवेदक को 5,03,347 रुपए तथा उनके व्दारा दी गई राशि के भुगतान के आदेश उक्त आदेश रेरा के अध्यक्ष विवेक ढांड और सदस्य राजीव कुमार टमटा ने दिया है। रेरा के इस फैसले से इंद्रप्रस्थ फेस-2 के हताश हितग्राहियों में भी आशा की किरण जगी है।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्ववित्तीय आधार पर कमजोर वर्ग के लिए बनाई गई इंद्रप्रस्थ फेस-2 रायपुरा के हितग्राहियों की तकलीफ कम होने का नाम नहीं ले रही है। आरडीए की मनमानियों और लेटलतीफी के चलते इस प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदना उनके लिए मुसीबत बन गई है। कई लोग जहां अपनी आर्थिक परेशानियों के चलते पूरी किस्त नहीं पटा सकें है तो कई लोग दस किस्त अदा कर चुकने के बाद बढ़ी हुई कीमत और सब्सिडी नहीं मिलने के चलते अंतिम किस्त का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। बैंक रजिस्ट्री से पहले टापअप करने को तैयार नहीं हैं और आरडीए ईडब्ल्यूएस वालों को सब्सिीडी समायोजित नहीं कर रहा है। एलआईजी के कई हितग्राहियों को भी आज तक सब्सिीडी नहीं मिली है। हितग्राही लगातार आरडीए से बढ़ी कीमतें वापस लेने और सब्सिडी समायोजित करने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन आरडीए इस पर कान बंद किए हुए हैं। जीएसटी सरचार्ज में ही मामूली छूट दी गई जो नाकाफी है।

जीएसटी की विसंगति पूर्ण वसूली

आरडीए हितग्राहियों से जीएसटी भी विसंगति पूर्ण वसूल रहा है। उसकी त्रुुुटिपूर्ण नियमों के कारण योजना के प्रारंभ में फ्लैट खरीदने वालों को ही ज्यादा जीएसटी देना पड़ रहा है जबकि बाद में फ्लैट खरीदने वालों को जीएसटी में बड़ी राहत मिल रही है। दरअसल आरडीए ने योजना की शुरूआत में फ्लैट आबंटन लेटर में साफ उल्लेखित किया है कि योजना के तहत फ्लैट की अंतिम यानि ग्यारहवीं किस्त की अदायगी मेंटनेंस शुल्कऔर उस समय प्रचलित टैक्स अथवा सर्विस टैक्स के साथ किया जाना अनिवार्य होगा। इस आधार पर आरडीए को ग्यारहवीं किस्त के दौरान जीएसटी प्रचलित दर पर एकमुश्त वसूल करना था। लेकिन आरडीए हर किस्त के दौरान जीएसटी उस समय प्रचलित अलग-अलग दरों के अनुसार वसूला। इसके चलते बाद में फ्लैट लेने वालों को जीएसटी के दर में कमी का लाभ मिला। आरडीए द्वारा इस तरह विसंगति पूर्ण जीएसटी वसूलने का भी नुकसान ज्यादातर हितग्राहियों को उठाना पड़ रहा है। आरडीए ने जब योजना लांच की तब जीएसटी लागू नहीं हुआ था। ऐसे में लांचिग के दौरान का सर्विस टैक्स ही सभी हितग्राहियों से वसूला जाना था या फिर सभी हितग्राहियों से अंतिम भुगतान के दौरान प्रचलित जीएसटी वसूला जाना चाहिए था। टैक्स के जानकारों का भी कहना है किसी भी एक क्रय के लिए अलग-अलग दरों पर जीएसटी की वसूली किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं है।

अध्यक्ष की घोषणा के बाद भी समायोजित नहीं कर रहे सब्सिडी

9 सिंतबर को आरडीए अध्यक्ष सुभाष धुप्पड ने हितग्राहियों के साथ बैठक कर 1472 ईडब्ल्यूएस हितग्राहियों की सब्सिडी सामायोजित करने के लिए घोषणा की थी, लेकिन दो माह बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया गया। जबकि आरडीए को सुडा सब्सिडी का 80 फीसदी रकम करीब 13.44 करोड़ दे चुका है, लेकिन तीन वर्षों से आज तक एक रुपया भी किसी हितग्राही को नहीं मिला। अपने पैसे के लिए सैकड़ों हितग्राही आये दिन आरडीए के चक्कर काट रहे हैं फिर भी कोई सुनने वाला नहीं है। आरडीए के अनुसार ही बैंकों ने डेढ़ लाख रुपये सब्सिडी काट कर हितग्राहियों को लोन कर दिया था, लेकिन सब्सिडी को समायोजित करने के बजाय आरडीए डेढ़ लाख रुपये के साथ उस पर ब्याज भी ले रहा है। हितग्राहियों का कहना है कि जब तक सब्सिडी समायोजित नहीं होगा आरडीए को एक रुपये नहीं देंगे।

रजिस्ट्री में भी देरी

आरडीए सभी किस्त के साथ अंतिम भुगतान कर रजिस्ट्री के लिए आवेदन दे चुके हितग्राहियों को भी इंतजार कराया जा रहा है। डेढ़-दो महीने से आवेदन जमा कर चुके हितग्राहियों के फ्लैट की अभी रजिस्ट्री नहीं हुई है। फ्लैट खरीदने वाले गिन-चूने हितग्राही ही पूरी रकम जमा कर रजिस्ट्री के लिए आवेदन जमा कर रहे हैं, सीमित संख्या होने के बाद भी आरडीए के सुस्त रवैया के कारण लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। फ्लैट के आबंटन में दो साल की देरी के बाद आरडीए की इस तरह की लापरवाही और अंसवेदनशीलता हितग्राहियों को भारी पड़ रही है। मकान किराया और लोन की किस्त का दोहरा भार झेल रहे हितग्राहियों के लिए यह स्थिति अत्यंत पीड़ादायक है लेकिन सरकारी नौकरी का टसन पाले आरडीए के अधिकारी-कर्मचारियों को इससे फर्क क्यों पडऩे वाला है?

आधिपत्य लेने नहीं पहुंच रहे हितग्राही

रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) कार्यालय हितग्राहियों की राह देख रहा है, लेकिन हितग्राही फ्लैट का अधिपत्य लेने नहीं पहुंच रहे हैं। विभाग ने फ्लैट की रजिस्ट्री करवाने को लेकर हितग्राहियों को पत्र जारी किया है, लेकिन उसके बाद भी रजिस्ट्री करवाने में हितग्राही रूचि नहीं दिखा रहे हैं। हितग्राहियों द्वारा आधिपत्य ना लेने से आरडीए की बेचैनी बढ़ गई है। क्योंकि आरडीए को हितग्राहियों से करीब 35 करोड़ रुपये वसूल करना है। आरडीए ने बैंक से कर्ज लेकर इन्द्रप्रस्थ कालोनी का निर्माण किया है। इसलिए बैंक का ब्याज आरडीए को चुकाना पड़ रहा है। अधिकारी का कहना है कि आधिपत्य देेने के लिए हितग्राहियों को पत्र जारी किया गया है, जिसमें सिर्फ नाम मात्र के ही हितग्राही अभी तक आधिपत्य लिए हैं। रायपुर विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2016 में इंद्रप्रस्थ कालोनी का निर्माण शुरू किया था। इसमें इडब्ल्यूएस के 896 तथा एलआइजी के 944 फ्लैट शामिल हैं। आरडीए ने इसका निर्माण कुल 90 करोड़ की लागत से किया है। हितग्राहियों को वर्ष 2019 में निर्माण कार्य पूरा कर सौंप देना था, लेकिन इस योजना को पूरे होने में पांच साल लग गए। जब तक योजना पूरी नहीं हुई थी तब तक हितग्राही आए दिन आरडीए से आवास का आधिपत्य देने की मांग कर रहे थे, लेकिन योजना पूरी होने के बाद इडब्ल्यूएस और एलआइजी में तकरीबन 50-60 फ्लैट का आधिपत्य हितग्राहियों ने लिया है। बाकि फ्लैट का आधिपत्य लेने हितग्राही नहीं पहुंच रहे हैं।

लेट-लतीफी और कीमत बढ़ाने का असर

इंद्रप्रस्थ योजना में लोगों ने कम कीमत पर आवश्यकता अनुसार फ्लैट और सब्सिडी की सुविधा मिलने के नाम पर पंजीयन कराया था। लेकिन योजना में दो साल की देरी और अंतिम समय में फ्लैट की कीमत में एकदम से 20 फीसदी तक इजाफा करने का सीधा असर हितग्राहियों पर पड़ा है इसकी आंच आरडीए पर भी पड़ा है। मकान भाड़े के साथ फ्लैट के लिए लोन की किस्त पटा रहे हितग्राहियों पर ये किसी वज्रपात से कम नहीं था उस पर अंतिम भुगतान के रूप में एक मुस्त दो-ढाई लाख रूपए जमा करना हितग्राहियों के पांव के नीचे से जमीन खिसका रहा है। समय पर सब्सिडी का लाभ नहीं मिलना और बैंक द्वारा टापअप नहीं करने से भी हितग्राही रकम जमा कर सकने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं। आरडीए ने फ्लैट की कीमत में लगभग 20 फीसदी का भारी-भरकम इजाफा किया है जबकि आम तौर पर पांच से दस फीसदी तक ही कीमत में बढ़ोतरी की जाती है।

सब्सिडी की राशि बोर्ड की स्वीकृति के बाद मिलेगी

आरडीए का कहना है कि इन्द्रप्रस्थ फेज -2 रायपुरा में नवनिर्मित 1472 ईडब्लूएएस फ्लैट्स के आवंटितियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत केन्द्र शासन से प्राप्त सब्सिडी की राशि दिया जाना है। केन्द्र सरकार से सब्सिडी राशि के मद में रायपुर विकास प्राधिकरण को कुल राशि 22.08 करोड़ रुपए प्राप्त होना है किन्तु सब्सिडी के मद में राशि 13.44 करोड़ रुपए प्राप्त हुई है। रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा योजना के हितग्राहियों को सब्सिडी देने के लिए संचालक मंडल की आगामी बैठक में प्रस्ताव रखा गया है जिन आवंटिती ने फ्लैट के समस्त राशि का भुगतान कर अपने फ्लैट की रजिस्ट्री करा ली है उनको राज्य शासन स प्राप्त सब्सिडी की राशि 91 हजार रुपए उपलब्ध कराई जाएगी शेष राशि का भुगतान केन्द्र शासन से प्राप्त होने पर किया जाएगा। रायपुर विकास प्राधिकरण के संचालक मंडल की बैठक में निर्णय के उपरांत ही आवंटितियों को सब्सिडी की पूर्ण राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

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