छत्तीसगढ़

न हम-सफर न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा

Nilmani Pal
3 May 2024 6:20 AM GMT
न हम-सफर न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

बरसात भले ही दूर हो लेकिन नगर निगम की दूरदृष्टि कमाल की है। अभी बरसात में टाइम है, हर साल जलभराव जयस्तंभ में होता है। ऐसा नहीं है कि जल भराव पहली बार हो रहा है। रायपुर की जनता को इस समस्या से जूझने की आदत बन चुकी है ठीक उसी प्रकार जैसे भीड़ में फंसने की। जो ज्वलंत समस्या शारदा चौक में जाम की है, उस समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो पाया? और जय स्तंभ में जल भराव की चिंता में अधिकारी दुबले हो रहे हंै। शारदा चौक में सीवरेज जाम की स्थिति आज भी बरकरार है, अभी उस पर किसी की नजर नहीं पड़ रही है। जनता में खुसुर-पुसुर है कि निगम को जिस काम में पहले फायदा दिखता है वही उनके रेंज में होता है। वैसे भी जनता अपनी समस्या खुद हल कर लेती है। इसी बात पर मशहूर शायर राहत इंदौरी ने ठीक ही कहा है कि न हम-सफर न किसी हम नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा।

बाप को न, बेटे को हां

भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष पहलवान सांसद बृजभूषण सिंह का मामला किसी से छुपा नहीं है, भाजपा ने उनके कथित दुव्र्यवहार को लेकर टिकट काट कर बृजभूषण के बेटे करण भूषण को टिकट देकर बेटी बचाओ अभियान को एक तरह से मदद की है। बृजभूषण पर महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप है, जिसके चलते भाजपा ने विपक्ष को चुप कराने के लिए करण को टिकट देकर कोई दंड नहीं दिया है बल्कि बेटे को प्रमोट कर हौसला बढ़ाया है। ऐसा कांग्रेसियों का कहना है वहीं दूसरी ओर भाजपाइयों को राधिका खेड़ा ने बैठे बैठाए मुद्दा दे दिया। खेड़ा और सुशील शुक्ला के बीच किस बात पर तकरार हुई पत्रकारों को जानकारी है लेकिन जिस हिसाब से राधिका ट्विट कर रही गंभीर हो चला है। लेडिस फस्र्ट फार्मूला चला तो सुशील शुक्ला का नपना तय माना जा रहा है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दोनों पार्टियों में कुछ ऐसा ही चल रहा है एक तरफ बृजभूषण का मुद्दा तो छत्तीसगढ़ में राधिका खेड़ा का मुद्दा गरमाया है।

कैसे छोड़े ये तो मलाई का मामला है...

अधिकारियों के तबादले होने के बाद भी अधिकारी जाने के नाम नहीं ले रहे हंै, मामला मलाई का है। राजधानी में खाद्य विभाग में पदस्थ अधिकारी का मोह भंग नहीं हो रहा है। एक वर्ष पहले प्रदेश के दूरस्थ जिलों में तबादला होने के बाद भी यही डटे हुए हंै। प्रभारी खाद्य नियंत्रक का तबादला एक वर्ष पहले जशपुर हुआ था, मामले की शिकायत चुनाव आयोग में हो चुकी है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि खाद्य विभाग का नाम जैसे गुण होता है। खाद्य विभाग का काम खाद्य सामग्री वितरण की जिम्मेदारी है न कि खाने की। लेकिन खाद्य विभाग के अधिकारी यही समझते आ रहे हैं कि खाद्य मतलब खाना है। भले यहां 17 की दही 19 में बेचे, 120 की दाल की 2 सौ में बेच,े उनको कोई सरोकार नहीं ।

कांग्रेस का आदिवासी प्रेम

एआईसीसी के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि दादी इंदिरा जी हमेशा कहती थी कि जो हमारे आदिवासी भाई बहने हैं उन्होंने हमेशा प्रकृति का आदर किया है। संस्कृति यह सिखाती है कि सब आपस में खुशी से रहेंगे तभी इंसान आगे बढ़ेगा। प्रकृति का देखभाल करते हुये अच्छा रखते हुये समाज को आगे बढ़ाते हंै। बचपन में इंदिरा जी ने मुझे बताया था कि जब-जब आदिवासी क्षेत्र में जाती थी आदिवासी भाई, बहने कुछ न कुछ स्मृति चिन्ह जरूर देते थे । जनता में खुसुर-फुसुर है कि जब से भाजपा सरकार आई है तब से आरक्षण समाप्ति को लेकर जो बयान आ रहे है उससे आदिवासी सशंकित है। कही ये सच तो नहीं है।

शिक्षा विभाग कर रहा है अनाश्रितों की अनुकंपा नियुक्ति

शिक्षा विभाग में हुए अनुकंपा नियुक्ति घोटाले की जांच राज्य सरकार की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में जिला शिक्षा अधिकारी को नियुक्ति से संबंधित सभी दस्तावेज देने के लिए कहा गया है। ज्ञात हो कि कोविड काल में शिक्षा विभाग में मृत शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को शासन की नीति के तहत अनुकंपा नियुक्ति दी जानी थी। शासन ने अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों का तेजी से निपटारा करने का निर्देश दिया था। ऐसी नियुक्ति में प्रावधान किया गया था कि संबंधित आवेदक के परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पी. दासरथी ने ऐसे 12 कर्मचारियों की नियुक्ति नियमों के खिलाफ जाकर कर दी, जो मृतक कर्मचारी के नजदीकी संबंधी नहीं थे, अथवा उसके परिवार का कोई अन्य सदस्य सरकारी नौकरी में पहले से ही था। इस बात की शिकायत उच्चाधिकारियों को की गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि शिक्षा विभाग कभी भी नाम के अनुसार काम नहीं करता हमेशा अक्षिशित-अमर्यादित काम करके सुर्खियों में रहता है। जो वाकई आश्रित हो उसे नौकरी न देकर पीडि़त परिवार के मुंह से रोटी छिनने का काम कर रहा है।

राम के ननिहाल में रावणों का आतंक

कांग्रेस प्रवक्ता ने अपने ट्विट पर हाई कमान को अवगत कराया है कि कैसे छत्तीसगढ़ में यानी कौशल्यामाता का जन्मस्थली और रामलला के ननिहाल में महिलाओं के साथ दुव्र्यवहार किया जाता है। ये तो कंस राज्य से भी भयावह है। कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी कलह खुल कर सामने आ गई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेड़ा ने लगातार दूसरे दिन प्रदेश कार्यालय में उनके साथ हुए बदसलूकी पर नाराजगी जाहिर की है। राधिका खेड़ा की पोस्ट पर लिखे ‘दुशील‘ को सुशील आनंद शुक्ला कहा जा रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम भूपेश बघेल को ‘कका‘ कहा जाता है। इस पोस्ट में राधिका ने दीदी कहकर प्रियंका गांधी का भगवान श्रीराम के ननिहाल यानि छत्तीसगढ़ में स्वागत किया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यहां तो हर कांग्रेसी दुर्योधन बना फिर रहे हंै। किस पर विश्वास जताए कुछ समझ नहीं आ रहा है।

राधिका मामले में पवन खेड़ा का बयान

राधिका खेड़ा मामले में पवन खेड़ा का बयान आ चुका है। इस पूरे मामले की जांच होगी। जो दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। यह बात कांग्रेस नेता ने कही। रायपुर राजीव भवन में कांग्रेस नेताओं की बदसलूकी से नाराज पार्टी की नेशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर राधिका खेड़ा ने आज नया पोस्ट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेफॉर्म एक्स पर लिखा- ‘दुशील’ को लेकर ‘कका’ का मोह एक लडक़ी की इज्जत से बढक़र है, लेकिन लडक़ी हूं, लड़ रही हूं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी के ननिहाल में दीदी का स्वागत है।

अब इस मामले को लेकर स्थानीय बीजेपी नेता सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि जो दुशील है वही सुशील है, जो कका है, वह भूपेश बघेल हैं । क्योंकि प्रदेश में बघेल को लोग कका के नाम से भी जानते हैं। वहीं डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि, अब ये बताता है कि कांग्रेस पार्टी में नारी सम्मान की क्या स्थिति है।जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा में भी सांसद प्रज्ज्वल जो एक नहीं कई महिलाओं का वीडियो बनकर वायरल कर रहा है। और सांसद बृजभूषण के साबहजादे को टिकट दोकर उपकृत किया है। ये तो वही स्थिति हो गई तू-डाल-डाल मैं पात-पात ।

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