जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। पुलिस विभाग में कार्यरत आरक्षकों को आज भी वेतन वृद्धि और भत्ते में वृद्धि जैसी सुविधा नहीं मिल रही है। इनका वेतन व अन्य सुविधाएं आज भी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की ही तरह है। गर्मी, बरसात, ठंड हर मौसम में डबल ड्यूटी करने वाले इन जवानों की सुविधाएं बढ़ाने गृह विभाग और पुलिस विभाग गंभीर नहीं है। 15 से 20 साल की सेवा पूरी कर चुके आरक्षकों को भी अधिकतम वेतन 30 हज़ार से 32 हज़ार मिलती है। वही नव आरक्षकों को 20 से 22 हज़ार की सेलेरी मिलती है। वाहन भत्ते की जगह आज भी 18 रुपए की सायकल भत्ता दिया जा रहा है। महंगाई के दौर में जब किराये का एक कमरा 3 से 4 हज़ार रेंट पर मिलता है तब इन आरक्षकों को 800 रुपए मकान भत्ता मिल रहा है। वेतन और भत्ता में वृद्धि नहीं होने से इन जवानों में हताशा का माहौल है।
वर्तमान समय में आरक्षकों को हो रही दिक्क्तें
पुलिस विभाग के कर्मचारी दिन रात जनता की सेवा करने वाले आरक्षकों को आज भारी दिक्क्तों का सामना करना पड रहा है। वर्तमान समय में आरक्षकों को अपना गुजर बसर करने में बहुत सी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। हवाई जहाज और बुलेट ट्रेन के समय में आज भी पुलिसकर्मियों को सरकार द्वारा बनाए गए नियम के आधार पर ही साइकिल भत्ता, मेडिकल भत्ता, वर्दी धुलाई और पौष्टिक आहार के लिए भत्ता दिया जा रहा है। मगर बहुत कम मात्रा में दिया जाता है। पुलिसकर्मियों को जो भी भत्ता दिया जा रहा है वह वर्तमान समय में नहीं के बराबर है। आज एक तरफ अपराधी भी हाईटेक तरीके का इस्तेमाल कर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं वहीं सरकार पुलिस को हाईटेक बनाने के बजाए अपने नियमों पर ही उलझी हुई है।
सायकल भत्ता के नाम पर मिलती कम राशि
वर्तमान में कोई पुलिस कांस्टेबल साइकिल पर ड्यूटी करते नहीं दिखता मगर फिर भी आरक्षकों को सायकल भत्ता 18 रूपए दिया जाता है। आरक्षकों को वाहन भत्ते की जगह आज भी 18 रुपए का सायकल भत्ता ही दिया जा रहा है। वर्तमान समय में आरक्षक को दो पहिया में यात्रा करते हुए लोगों ने देखा है।पुलिस विभाग के आरक्षक व प्रधान आरक्षकों को 18 रुपये प्रतिमहीने साइकिल भत्ता मिलता है जबकि जिले के सभी पुलिसकर्मी समय के मुताबिक मोटर साइकिल की सवारी करते हैंं। शासन से मिलने वाले भत्ते में इस महंगाई के दौर में ट्यूब का पंचर बनवाना भी संभव नहीं हो पाता।
छुट्टी में भी कटौती
विभाग के आरक्षकों को छुट्टी में भी कटौती मिलती है। हफ्ते में एक बार छुट्टी मिलना अनिवार्य है मगर विभाग में अब पुलिस आरक्षक छुट्टी नहीं ले पाते है, छुट्टी पुलिस विभाग के आला अधिकारी देते नहीं है।
पंचर में भी खुद से मिलाना पड़ता है पैसा
सरकार के नियम के चलते भत्ता मिलने के बाद भी पुलिस कर्मचारियों को मोटर साइकिल बनवाने में पैसा जेब से लगाना पड़ जाता है। एक से अधिक पंचर होने पर कर्मचारियों को अपना पैसा लगाना पड़ता है। जिससे आरक्षक काफी परेशान हो गए है।
समय बदला, लेकिन नहीं बदले नियम
समय भले ही बदल गया हो, लेकिन नियम अभी भी पुराने ही चल रहे हैं। कई ऐसे भत्ते हैं, जो पहले के अनुसार चल रहे हैं। इसमें साइकिल भत्ता से लेकर, वर्दी भत्ता, विशेष वेतन और टीए भी शामिल होता है।
साइकिल भत्त: 18 रूपए में माह भर सुधार
नियमों पर नजर डालें तो सरकार साइकिल भत्ता सिर्फ 18 रूपए देती है। यह भत्ता पुलिस आरक्षकों को पूरे माहभर के लिए दिया जाता है। सरकार से मिलने वाले भत्ते की रकम सिर्फ पंचर बनवाने में ही खत्म हो जाती है। साइकिल से संबंधित अन्य खर्चो के लिए कर्मचारियों को खुद से अतिरिक्त वहन करना पड़ता है।
वर्दी भत्ता: महीने भर धुलाई के लिए 60 रूपए
पुलिस विभाग में वर्दी धुलाई के लिए पुलिसकर्मियों को सिर्फ 60 रुपए दिया जाता है। यह भत्ता पूरे एक माह के लिए होता है।लेकिन बाजार में वर्दी धुलवाने के लिए एक बार में ही 50 से ज्यादा रूपए का खर्च हो जाता है।
बाइक दौड़ाने का कोई रुपया नहीं
पुलिसकर्मी विवेचना के साथ अन्य कार्यो के लिए माहभर बाइक दौड़ानी पड़ती है, लेकिन पुलिसकर्मियो को कोई रुपया नहीं दिया जाता है। विभागीय जानकारी के अनुसार आरक्षक स्तर पर 125 रूपए और हेड कांस्टेबल स्तर पर 200 रूपए टीए दिया जाना चाहिए। मगर उसका कोई प्रभाव नहीं हो पाता हैं।
विशेष वेतन आरक्षक से इस्पेक्टर तक 18 रु
पुलिस विभाग में विशेष भत्ता के तौर पर पुलिसकर्मियों को 18 रूपए मिलता है। इसमें आरक्षक से लेकर निरीक्षक स्तर तक के पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया है। इन्हे सिर्फ विशेष वेतन के नाम पर माह में एक बार 18 रूपए दिया जाता है।
दोहरा मापदण्ड
पुलिस विभाग के आला अधिकारी प्रधान आरक्षक और आरक्षकों को सुविधा देने में दोहरा मापदण्ड अपना रहे हैं। एक ओर पेट्रोलिंग करने वाले आरक्षकों को दो पहिया वाहन और पेट्रोल की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं दूसरी ओर प्रधान आरक्षकों को सिर्फ साइकिल भत्ता दिया जा रहा है। प्रधान आरक्षकों से अपराधिक मामलों की विवेचना का काम सौंपा जाता है और इस काम के लिए उन्हें लोगों के बयान लेने और विवेचना करने के लिए थाने से कई किलो मीटर दूर तक आना जाना पड़ता है।
दो पहिया में निपटा रहे काम
पुलिसकर्मी बाइक से सारे काम निपटा रहे हैं और हर रोज सरकार के काम के लिए ही औसत 100 रुपए का पेट्रोल जला रहे हैं। इसके अलावा वर्दी धुलाई के लिए हर रोज साढ़े तीन से भी कम रुपए दिए जा रहे हैं। इसी तरह टीए-डीए के तौर पर मात्र 21 रुपए दिए जा रहे हैं, जबकि पुलिसकर्मी इससे कहीं ज्यादा खर्च कर रहे हैं।