छत्तीसगढ़

अन्नदाता किसानों को ऊर्जादाता बनाने की जरूरत : सीएम भूपेश बघेल

Nilmani Pal
25 April 2022 10:38 AM GMT
Need to make Annadata farmers energy providers: CM Bhupesh Baghel
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन एवं राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा है कि सहकारी आंदोलन को और अधिक संगठित कर मजबूत बनाने की आवश्यकता है। देश के विभिन्न राज्यों की सहकारी क्षेत्र की नीतियों की अच्छाईयों को स्वीकार कर और सहकारी क्षेत्र की कमियों को दूर कर आगे बढ़ा जा सकता है। आज यह भी जरूरत है कि सहकारी क्षेत्र को किसानों और ग्रामीणों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सक्षम बनाया जाए। इसके लिए हमें सहकारी बैंकों को राष्ट्रीयकृत बैंकों के समान ही मजबूत बनाने की जरूरत है। साथ ही इन बैंकों से उद्यानिकी और कैश क्रॉप के लिए भी ऋण देने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि देश के सहकारी आंदोलन का सबसे बड़ा उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का समर्थन मूल्य दिलाना होना चाहिए। ऐसी कोशिश होनी चाहिए कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल सके। किसानों को कृषि ऋण, खाद-बीज की उपलब्धता के साथ सहकारी क्षेत्र से और अधिक योजनाओं को जोड़ा जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में हो रहे अनाज के सरप्लस उत्पादन से एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देकर अन्नदाता किसानों को ऊर्जादाता बनाने की जरूरत है। इसके लिए आवश्यक है कि केन्द्र सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति प्रदान करे। उन्होंने कहा कि आज सहकारी बैंकों को किसानों और ग्रामीणों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए सक्षम बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, लघुवनोंपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी, गौठनों में महिला समूह द्वारा तैयार वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय जैसी विभिन्न योजनाओं और गतिविधियों को सहकारी बैंकों से जोड़ा गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) और नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक्स (नेफ्सकाब) द्वारा रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने की। वरिष्ठ विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा, संसदीय सचिव श्री विकास उपाध्याय, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री विनोद वर्मा, पूर्व सांसद एवं कृभको के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव, नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक्स (नेफ्सकाब) मुंबई के अध्यक्ष श्री कोंडरू रविंदर राव, अध्यक्ष नाफेड एवं दिल्ली स्टेट को ऑपरेटिव बैंक डॉ विजेंद्र सिंह, बिहार स्टेट कोऑपरेटिव मार्केटिंग यूनियन के अध्यक्ष डॉ सुनील कुमार सिंह, छत्तीसगढ़ अपेक्स बैंक के अध्यक्ष श्री बैजनाथ चंद्राकर, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्षों सहित सहकारिता क्षेत्र के अनेक जनप्रतिनिधि सम्मेलन में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में देशभर की सहकारिता समितियों को अलग-अलग कैटेगरी में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरुस्कृत किया। इस अवसर पर उन्होंने अपेक्स बैंक छत्तीसगढ़ बैंक की स्मारिका और जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रायपुर द्वारा प्रकाशित 'किसान किताब' का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना सहित किसानों के हित में अनेक योजनाएं लागू की हैं, जिससे किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिल रहा है और खेती-किसानी छत्तीसगढ़ में लाभ का व्यवसाय बन गया है। श्री बघेल ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने का रास्ता छत्तीसगढ़ में लागू की गई किसान हितैषी योजनाओं से निकलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारी क्षेत्र में पंजीकृत किसानों की संख्या 15 लाख से बढ़कर 22 लाख हो गई है। इसी तरह खेती का रकबा 22 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 30 लाख हेक्टेयर हो गया है। इन 3 सालों में 7 लाख किसानों का पंजीयन बढ़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ सरकार ने 2500 रूपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदने की बात कही, तो केंद्र ने इस पर आपत्ति जताते हुए हमें एफसीआई में चावल जमा न करने की बात कही, लेकिन हम अपने निर्णय से पीछे नहीं हटे और समर्थन मूल्य के साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए किसानों को इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। जिसमें खरीफ की सभी फसलों के साथ उद्यानिकी फसलों, वृक्षारोपण को भी शामिल किया गया है। हमने किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर में ऋण उपलब्ध कराने के साथ ही लाख और मछली पालन को खेती का दर्जा दिया है। विभिन्न योजनाओं के जरिए पशुपालकों, किसानों, मजदूरों और वनवासियों के खातों में हमारी सरकार ने सहकारी बैंकों के माध्यम से 91 हजार करोड़ रुपए का सीधा ट्रांजैक्शन किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि के क्षेत्र मंे मशीनीकरण और मवेशी बाजार बंद होने से किसानों और पशुपालकों के लिए आज पशुपालन अनार्थिक हो गया है। पशु इनके लिए बोझ बन गए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 2 रूपए किलो में गोबर खरीदी के लिए लागू की गई गोधन न्याय योजना के जरिए इसका रास्ता निकाला है। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, दीये, गमला जैसे उत्पाद महिलाएं तैयार कर रही है। अब गोबर से प्राकृतिक पेंट और बिजली बनाने का काम भी शुरू किया गया है। गोबर बेचने के साथ-साथ गोबर से तैयार उत्पादों से लोगों को आय का जरिया मिला है। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक 68 लाख क्विंटल गोबर खरीदा जा चुका है और गोबर विक्रेताओं को 136 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना की बारीकियां समझने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से प्रतिनिधि हमारे यहां आ रहे हैं। झारखंड ने अपने बजट में गोधन न्याय योजना की व्यवस्था को लागू किया है। जबकि उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश जैसे राज्य भी छत्तीसगढ़ के नक्शे कदम पर चल रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाले अन्नदाता किसानों को ऊर्जादाता बनाने की जरूरत है। एफसीआई में देश की तीन वर्ष की जरूरत का अनाज जमा है। आज हमारी आवश्यकता से अधिक अनाज का उत्पादन हो रहा है। केन्द्र को अनाज से भी एथेनॉल उत्पादन की अनुमति देनी चाहिए। इसके लिए यह भी जरूरी है कि राज्य सरकार द्वारा किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई उपज का उपयोग एथेनॉल प्लांट में किया जाए, तभी किसानों को इसका लाभ मिलेगा। एथेनॉल प्लांट लगने से रोजगार के अवसर निर्मित होंगे और पेट्रोलियम पदार्थाें पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी। देश आने वाले समय में पेट्रोलियम के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेगा।

मुख्यमंत्री बघेल ने सम्मेलन में देशभर से आए सहकारिता के क्षेत्र के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि कृषि और सहकारिता दोनों विषय राज्य के हैं। यही कारण है कि राज्यों की भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नियम बनाए और संचालित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन का इतिहास बहुत पुराना है। छत्तीसगढ़ में ठाकुर प्यारे लाल सिंह ने 1945 में बुनकर सहकारिता आंदोलन की शुरुआत की थी और देश में सहकारिता की शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। किसानों का जुड़ाव सहकारी बैंक से है, हमें सहकारिता के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है, तभी सहकारिता का यह आंदोलन सफल हो सकता है।

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