छत्तीसगढ़

प्रकृति का भी गजब का नज़ारा है, पशु-पक्षी आज़ाद और इंसान पिंजरे में है

Nilmani Pal
25 Feb 2022 5:07 AM GMT
प्रकृति का भी गजब का नज़ारा है, पशु-पक्षी आज़ाद और इंसान पिंजरे में है
x

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

राजनेता चुनाव के वक्त मुद्दा तलाशते रहते हैं। किसी प्रकार से उन्हें मुद्दा मिल ही जाता है जिसके सहारे अपनी नैया पार लगाने की जुगत में लग ही जाते हैं। उत्तरप्रदेश चुनाव के चौथे दौर में आवारा पशु विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए मुद्दा मिल गया है। योगी सरकार में गोवंश को मिले संरक्षण में इनकी तादाद बढऩ़े की वजह से हुआ है। ये फसल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। सांड लोगों की जान भी ले रहे हैं। चुनाव में योगी को सांड मुद्दे पर घेर रहे हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां तक कहा कि अगर हमारी सरकार बनती है, तो सांड के हमले में जान गंवाने वालों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा देंगे। चुनाव के कुछ महीनों पहले इतवारी गौतम पर सांड ने हमला कर दिया था, जिसमें उनकी मौत हो गई थी। 17 साल की छात्रा पारुल और 32 वर्षीय गुरबाज सिंह की भी सांड के हमले में मौत हो गई थी। न जाने ऐसे कितने लोग जान गंवा चुके हैं। ऐसा हो गया है इंसान चाहे मर जाए, लेकिन गोवंश नहीं मरने चाहिए। लेकिन वहां के किसानो ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगने के बाद किसानों ने सांडों को मारने के नए पैंतरे निकाले हैं। किसान सांड को घेरकर उसके गले में कंटीला तार बांधकर नीचे लकड़ी का मोटा टुकड़ा लटका देते हैं। जैसे-जैसे सांड चलता रहता है, धीरे-धीरे उसकी गर्दन कटती रहती है। एक वक्त आने पर सांड मर जाता है। छोटे बछड़ों को भी इसी तरह मारा जा रहा है। खेत में बंधने वाले तार पर प्रतिबंध के बाद किसान इस टेक्निक का इस्तेमाल करने लगे हैं। दरअसल, पहले किसान खेत में फसलों की सुरक्षा के लिए पतले लोहे के तारों की बाड़ तैयार करते थे। इसकी जद में आने वाले जानवर घायल होते थे और जान गंवाते थे। बाद में सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। अब वे मूक पशुओं के साथ क्रूरता की हदें पार कर रहे हैं। अब विधानसभा चुनाव 2022 में एक बार फिर सांड मुद्दा बन चुका है। यही वजह है कि गोवंश को लेकर विपक्ष को जवाब देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ गाय को लेकर बयान जारी कर रहे हैं। बहरहाल, प्रदेश के किसान फि़लहाल आवारा मवेशियों से परेशान हैं अब देखना है कि वे अपनों की जान की परवाह करते हैं, अपनी फसल बचाने में लगते हैं या फिर राजनेताओं के बातों में आते हैं? पशु प्रेम पर किसी ने ठीक ही कहा है कि प्रकृति ने भी क्या गजब का नज़ारा दिखाया है, पशु पक्षी आज़ाद है और इंसान पिंजरे में कैद है।

भूपेश ने बाजीमारी, प्रधानमंत्री

ने की सराहना...

अच्छे दिन किसी के आए या न आए छत्तीसगढि?ों के जरूर आते दिख रहा है। हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में किसानों की फसलों की सुरक्षा और पशुधन प्रबंधन के लिए तीन साल पहले शुरू की गई सुराजी गांव योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गोधन न्याय योजना के महत्व को स्वीकार कर इस योजना की तारीफ की है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के उन्नाव में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए आवारा पशुओं के कारण जान माल की हो रही नुकसान को रोकने हेतु व्यवस्था करने की बात कही है क्योंकि उत्तर प्रदेश में आवारा पशु विपक्षियों के हाथ बैठे बिठाये मुद्दा जो मिल गया है । छत्तीसगढ़ में यह प्रणाली मुख्यमंत्री जी ने पहले ही लागू करवा चुके हैं। ज्ञातव्य है कि उत्तरप्रदेश में आवारा पशुओं से फसलों को हो रहे नुकसान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले दिनों में जिस नई व्यवस्था को लागू करने की बात कह रहे हैं उसे छत्तीसगढ़ राज्य में तीन साल पहले से ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुरू करवा दिए हैं। जिसके चलते पशु पालकों के लिए पशु अब बोझ नहीं बल्कि लाभकारी हो गये हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की गौठान और गोधन न्याय योजना का अनुसरण अन्य राज्य भी करने लगे हैं। भाजपा शासित मध्यप्रदेश सरकार ने इसका अनुसरण करते हुए गोबर धन प्लांट भी शुरू किया है।

अफसर ने बयान बदला

भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय के सुपुत्र विधायक आकाश विजयवर्गीय ने पिछले साल एक अधिकारी को क्रिकेट के बल्ले से पीटते नजऱ आये थे। अब फिर से वहां भाजपा की सरकार है। कोर्ट में उक्त अधिकारी ने बयान दिया की वे आकाश विजयवर्गीय को बल्ला मरते नहीं देखा है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अगर देख भी लिया होता तो क्या होता ....

अन्नदाताओं ने बढ़ाई सरकार की परेशानी

नवा रायपुर के किसानों के साथ सरकार के मंत्रिमंडलीय समिति के साथ हुई बैठक में कोई खास हल नहीं निकलने से बात बिगड़ते दिख रही है। अब नवा रायपुर के प्रभावित किसानों ने देश के किसानों के नेता राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव से मुलाकात कर छत्तीसगढ़ नवा रायपुर के किसानों की पूरी मांग मनवाने दबाव बनाने के लिए आंदोलन में भाग लेने का आगरह किया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि नवा रायपुर के किसान नेता रूपन चंद्राकर और कामता रात्रे ने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसान आंदोलन का समर्थन करते रहे, लेकिन जब अपने राज्य के किसानों की न्याय देने की बात आई तो उनकी अनदेखी कर रहे है। खबर है कि टिकैत ने नवा रायपुर के किसानों को आश्वस्त किया है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी,पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर किसानों की सभी मांगों को मनवाने की बात करेंगे।

राम-रहीम को किसका डर

कुछ समय पहले जब वे सच्चा डेरा संचालित करते ते तो बड़े-बड़े राजनेता से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक डरते थे, सच्चा डेरा के एक ऐलान पर जुट जाते थे। कोर्ट के पेरोल पर छूटे राम-रहीम के जेड प्लस की सुरक्षा मुहैया कराया गया है। जनता में खुसुर -फुसुर है कि चुनाव जो न कराए कम है,पंजाब-यूपी के चुनाव को प्रभावित करने वाले राम-रहीम के अनुयायियों को सच्चा साथी बताने के लिए सरकार की अनुशंसा पर पेरोल के साथ जेड प्सल की सुरक्षा देकर अनुयायियों के वोट अपने खाते में डाल लिए है। सबसे मजेदार बात यह है कि जिससे सब डरते है उसको किसका डर? है ना राजनीति का कमाल। सच्चा डेरा के प्रमुख राम-रहीम की ग्लैमर लाइफ स्टाइल और ऐशो आराम के नाम पर महिला अनुनायियों के साथ दुष्कर्म की शिकायत पर ही कानूनी कार्रवाई हुई थी। फिर वोट के लिए हीरो बनाया गया।

माया की शाह पर तंज

राजनीति में चुनावी माहौल बयानबाजी से ही बनता है। यूपी में चुनाव के चौथे दौर के मतदान खत्म होने के बाद बसपा की अध्यक्ष मायावती ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के बीएसपी के अच्छा चुनाव लडऩे के जवाब पर मयावती ने कहा कि यह तो उनकी महानता है कि उन्होंने सच्चाई को स्वीकार किया। जनता में खुसुर-फुसर है कि चुनावी रंग नेताओं के लिए अमृतपान की तरह होता है। जब-जब चुनाव होते है हर नेता की महानता सामने आ ही जाती है। सारे नेताओं का चुनावी दौर शुरू होते ही महानता के रंग दिखाई देने लगे थे। अब तो चुनाव परिणाम के बाद असली रंग दिखाएंगे।

दस को हो जाएगा खुलासा

यूपी में चुनावी अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि जो लोग दावा कर रहे है कि उन्होंने गरीबो खाता खुलवाया, उन्हीं लोगों ने गरीबों के पैसे अमीरों की तिजोरी में भर दिया। सीएम योगी पर अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि बाबा गर्मी निकालने की बात करते है। दस मार्च को इनकी भाप निकल जाएगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दस को दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। एक महीने चुनावी बयानबाजी सुनकर लोगों के कान पक गए है। कुछ दिन आराम करना चाह रहे चिल्ल-पो से दूर सुकून से जीना चाहते है।

Nilmani Pal

Nilmani Pal

    Next Story