राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव: छत्तीसगढ़ सरकार की तैयारियां जोरों पर
रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी संस्कृति के संरक्षण संवर्धन और इसे राष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करने के उद्देश्य से राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में २८ से ३० अक्टूबर तक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और संस्कृति मंत्रियो को भी आमंत्रित किया गया है। छत्तीसगढ़ में आगामी दिनों में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान देशभर से आये आदिवासियों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति को भी नज़दीक से देखने का अवसर मिलेगा। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों और विदेश के कलाकारों द्वारा भी आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तूति दी जायेगी। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन के लिए प्रारंभिक तैयारियां शुरू कर दी गई है। पिछले दिनों स्थानीय महंत घासीदास संग्रहालय में प्रदेश के सभी संभाग से आए दस द्वारा आदिवासी नर्तक दलों की प्रस्तुति दी गई। संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि संभाग स्तर पर चयनित अलग-अलग विधाओं के कलाकारों का चयन किया जाएगा। चयनित दलों को प्रदेश स्तरीय आयोजन में अपनी कला और संस्कृति की प्रस्तुति देने का मौका मिलेगा। आदिवासी नर्तक दलों की प्रस्तुति में गरियाबंद और धमतरी जिले के मांदरी नृत्य, भुजिया नृत्य, महासमुंद जिले के कर्मा नृत्य, भाटापारा-बलौदाबाजार जिले के सुवा नर्तक दल द्वारा प्रस्तुति दी गई।
महोत्सव में हिमांचल प्रदेश के कलाकारों ने हरनातर नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य में राक्षसों को भगाने का अभिनय किया गया। असम के कलाकारों ने बारदो शुक्ला नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य में धरती माता की वंदना की गई। इस नृत्य में स्त्रियों के सम्मान की सीख दी गई। बारदो शुक्ला असम के बोड़ो जनजातियों का पारंपरिक नृत्य है। सिक्किम के कलाकारों ने फसल कटाई के समय किए जाने वाला नृत्य लेचा प्रस्तुत किया। लद्दाख के कलाकारों ने लद्दाखी गजल नृत्य प्रस्तुत किया। यह नृत्य लद्दाख में होने वाले मेला मड़ाई के समय किया जाता है। अरूणांचल के कलाकारों ने इडू नृत्य प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश छिंदवाड़ा के जनजातीय कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य शैला गेंडी प्रस्तुत किया। शैला गेंडी नृत्य में पुरूष कलाकारों ने गेंडी पर चढक़र नृत्य किया। महिला कलाकारों ने सिर पर दोहरी तीहरी गगरी रखकर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। कर्नाटक के कलाकारों ने बंजारा सुगाली नृत्य प्रस्तुत किया।