छत्तीसगढ़

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व, विचारों और उनके दृष्टिकोण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

Nilmani Pal
31 Oct 2021 2:34 PM GMT
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व, विचारों और उनके दृष्टिकोण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन
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रायपुर। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में देश को साम्प्रदायिक खतरों से दूर रखने की हर संभव कोशिश की। धर्म निरपेक्षता के मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया। देश की एकता को साम्प्रदायिक ताकतों से चुनौती मिल रही थी। साम्प्रदायिक ताकतों को बढ़ने से रोकने के लिए ही उन्होंने 1975 में कड़े फैसले लिये, जिसे इमरजेंसी कहा जाता है। यदि श्रीमती गांधी ने उस समय यह कदम न उठाए होते, तो आज 45 साल बाद जो ताकतें सर उठा रही है, वो 1975 में ही सफल हो गई होती। श्रीमती गांधी ने अपने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और सिद्धांतो से कभी समझौता नहीं किया और इसके चलते ही उनकी शहादत हुई।

डॉ. वाजपेयी ने 1971 में भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश निर्माण में गांधी की भूमिका और इसके बाद की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए कहा कि श्रीमती गांधी ने इस दौरान अमेरिका, इंग्लैण्ड एवं चीन की परवाह न करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों की पक्षधर रही। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान देश अपने निर्माण के तीस साल के भीतर दो टुकड़े में बट गया, इससे यह सिद्ध होता है कि धर्म, राष्ट्र की बुनियाद नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद सभी धर्माें, जातियों और सम्प्रदायों से मिलकर बनने वाला राष्ट्रवाद है। इंदिरा गांधी जैसी राष्ट्रवादी नेता, प्रधानमंत्री, उनके जैसी सूझ-बूझ अपने आप में विरासत है। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक ताकतों का पुष्टिकरण नहीं बल्कि उनके खिलाफ लड़ना होगा। यह विचार की लड़ाई है, व्यक्ति से नहीं। उन्होंने कहा कि आज यह संकल्प लेने का दिन है कि हम इंदिरा गांधी की शहादत, त्याग की परंपरा का अनुसरण करें।

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