छत्तीसगढ़

नारकोटिक्स सेल बनने से ड्रग-पेडलर्स पर कसेगा शिकंजा

Nilmani Pal
18 Feb 2022 6:18 AM GMT
नारकोटिक्स सेल बनने से ड्रग-पेडलर्स पर कसेगा शिकंजा
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  1. 'जनता से रिश्ता' की सालों की मुहिम रंग लाई, अब नशा के धंधेबाजों की खैर नहीं
  2. 'जनता से रिश्ता' के खबर की हुई पुष्टि - 'मिड-डे अखबार जनता से रिश्ताÓ सामाजिक सरोकार का दायित्व निभाते हुए लगातार नशीले पदार्थ शराब, गांजा, अफीम, कोकीन,नशीली दवाइयों के खिलाफ खबरों को प्रकाशित कर पुलिस प्रशासन के संज्ञान में लाते रहा है जिस पर पुलिस प्रशासन ने पूरे प्रदेश में ताबड़तोड़ कार्रवाई भी की है, जिसमें सैकड़ों तस्करों को गिरफ्तार कर हजारों क्विंटल गांजा और नशीले पदार्थ जब्त किया। पुलिस की सख्ती के बाद भी गांजा तस्कर नए-नए आइडिया अपनाकर और मेन रोड से रास्ता बदलकर एक राज्य से दूसरे राज्य में गांजा की सप्लाई को अंजाम दे रहे है। पुलिस ने कार्रवाई कर जनता से रिश्ता की खबर पर सच्चाई की मुहर लगाई है।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। जनता से रिश्ता पिछले तीन सालों से लगातार छत्तीसगढ़ और राजधानी के रास्ते देश के दूसरे राज्यों में गांजे की सप्लाई और तस्करी को लेकर खबरें प्रकाशित करते आ रहा है। इसका असर अब नजर आने लगा है। सूबे के मुख्यमंत्री ने कुछ महीने पहले तस्करों पर लगाम कसने सीमा के जिलों में निगरीनी के साथ सीसीटीवी कैमरे से चौकसी बढ़ाने का निर्देश दिया था। उसके बाद गांजे की बड़ी खेप को देखते हुए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को भी इससे अवगत कराने को कहा गया था। जिसके बाद डीजीपी ने प्रदेश में भी नारकोटिक्स सेल गठित करने पर जोर दिया था। अब इस पर सबसे पहले राजधानी पुलिस ने एक्शन लेते हुए अलग से नारकोटिक्स सेल का गठन कर दिया है। अलग से सेल गठित होने से संबंधित अधिकारी और कर्मचारी गांजे और दूसरे मादक पदार्थों की तस्करी और बिक्री रोकने पर ज्यादा फोकस कर सकेगी। इससे तस्करों और नशा के कारोबारियों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। राजधानी रायपुर नशा कारोबारियों का बड़ा हब के साथ तस्करों का सुरक्षित कारीडोर बना हुआ है। यहां से होकर गांजे की बड़ी खेप दूसरे राज्यों में पहुंच रही है। रोजाना उड़ीसा से होकर बस्तर, कांकेर, कोंडागांव और महासमुंद जिले को पार करके गांजे की बड़ी खेप देश के दूसरे राज्यों में जाता है, पुलिस लगातार गांजे की बड़ी खेप पकड़ भी रही है बावजूद तस्करी रुक नहीं रही है। अब रायपुर पुलिस के अलग से नारकोटिक्स सेल गठित होने से राजधानी में नशा तस्करों पर अंकुश लगने की संभावना बलवती हुई है। इससे रवि, आसिफ जैसे बड़े नशा के धंधेबाजों पर शिकंजा कसने के साथ गली-मोहल्लों में गांजे की बिक्री और सप्लाई का चेन टूटेगा।

फलों-सब्जियों के साथ माल डिलवरी के आड़ में गांजा तस्करी

उड़ीसा से छत्तीसगढ़ के सीमाई जिलों बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, महासमुंद, रायगढ़ व जशपुर के रास्तों से होकर फलों और सब्जियों की गाडिय़ों में भी गांजा की तस्करी हो रही है। महासमुंद, बस्तर व जशपुर जिले की पुलिस रोज करोड़ों गांजे की खेप पकड़ रही है, इसके बाद भी गांजे की तस्करी रुक नहीं रही है। पूरे प्रदेश में मादक पदार्थो की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है। रायपुर के हर इलाके में गांजा तस्कर घूमते-फिरते रहते है जिसके चलते युवाओं के हाथ में भी गांजे की पुडिय़ा आसानी से मिल जाती है। गांजा तस्करी के लिए अब युवाओं ने मोटरसाइकल को ही अपना हथियार बना लिया है। युवा बाइक में ही पुलिस से बचने के लिए तस्करी करते है। रोजाना करोड़ों रुपए का गांजा सप्लाई रायपुर से रोजाना करोडो गांजा का गांजा सप्लाई किया जाता है, रायपुर होकर उड़ीसा का गांजा हर राज्य में जाता है। लगातार कटहल, कलिंदर, नमक, नारियल और अब गोभी की आड़ में गांजा तस्कर बड़ी मात्रा में गांजे की खेप को एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंचा रहे है। फलों और सब्जियों की गाडिय़ों में मादक पदार्थ की तस्करी करने का नया और नायाब तरीका गांजा तस्करों ने ढूंढ निकाला है। राजधानी में नशे का कारोबार तेज़ी से बढ़ते जा रहा है। शहर में शराब-गांजे का अवैध कारोबार सालों से फल-फूल रहा है। नशे के काले कारोबार की सच्चाई रोंगटे खड़े कर देती है। यह समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। नशे का कारोबार करने वाले अपराधियों की रोजाना गिरफ्तारी हो रही है लेकिन उसके बाद भी ये कारोबार बंद नहीं हो रहा है।

ट्रेन के साथ सड़कों से बढ़ी गांजा तस्करी

ओडिशा और आंध्रप्रदेश से 2020 से गांजा तस्करी के मामले एकाएक सामने आने लगे हैं। इसका कारण ये है कि अब तस्कर पकड़े जाने लगे हैं, इसलिए तस्करी साफ नजर आ रही है। लेकिन ओडिशा और आंध्रप्रदेश से साल 2020 के पहले भी गांजा तस्करी होती थी, जो ट्रेनों के माध्यम से होती थी। यही कारण है कि काफी कम मात्रा में गांजा पकड़ा जाता था। जिन रूट पर ट्रेनों के फेरे कम होते थे, वहां से ही तस्कर लग्जरी गाडिय़ां लेकर आते थे और कम मात्रा में गांजा लेकर लौट जाते थे।

लुका छिपी नहीं, डंके की चोट पर ले जाते हैं गांजा

बस्तर पुलिस ने अब तक जितना भी गांजा पकड़ा है उनमें 90 फीसदी मामलों में तस्करों के हौंसलों को इससे ही समझा जा सकता है कि तस्करों ने गांजा ले जाने के लिए लुकाछिपी का खेल ही नहीं खेला। तस्कर सीधे ट्रक,कार, बाइक में ही बोरियों और बैग में गांजा लेकर निकल गए। हाल ही में नगरनार पुलिस ने राजस्थान के तस्करों को कार में भरे गांजा समेत पकड़ा इसमें तस्करों ने गांजा बैग में भरकर डिक्की में रखा हुआ था। कुछ गिनती के मामले ही ऐसे है जिनमें तस्करों ने गांजा छिपाने के लिए सब्जी की गाडिय़ों या फिर गुप्त चेंम्बर वाली गाडिय़ों का इस्तेमाल किया हो।

छत्तीसगढ़, एमपी, बिहार और यूपी में होती है तस्करी

पत्थलगांव में दशहरे के दिन गांजे से भरी कार ने लोगों को कुचलने की बड़ी घटना के बाद भी ओडिशा से गांजे की तस्करी नहीं थम रही है. तस्करों के लिए जशपुर जिला सबसे सुरक्षित जिला बना हुआ. यही कारण है कि इसी जिले से होते हुए गांजा तस्कर मध्यप्रदेश, बिहार, उतरप्रदेश और दिल्ली तक गांजा तस्करी करते है. हलांकि बीच-बीच में जशपुर पुलिस कार्रवाई के नाम पर सुर्खियां भी बंटोरती है लेकिन तस्कर गांजा तस्करी से बाज नहीं आ रहे है. दरअसल जशपुर जिला झारखण्ड और ओडिशा राज्य से लगा हुआ है. उड़ीसा राज्य के झारसुगड़ा, संबलपुर, अंगुल में चोरी छिपे तरीके से गांजे की खेती की जाती है और यही से देश के अलग-अलग राज्य में गांजे की सप्लाई की जाती है. गांजा तस्करी करने वाले तस्कर छत्तीसगढ़ से ओडि़सा को जोडऩे वाली सड़क जशपुर लावाकेरा और झारसुगड़ा सड़क का उपयोग करते हुए मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश, बिहार और दिल्ली तक गांजे की सप्लाई करते है.

ओडिशा में गांजा सस्ता मिलता है

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ओडिशा में गांजे की कीमत काफी कम है, जबकि दूसरे राज्य में गांजे की कीमत ओडि़सा से कई गुना अधिक है. जानकारी के मुताबिक ओडि़सा में पांच सौ से हजार रूपये किलो के भाव से गांजा मिलते है. वही गांजा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में 10 हजार रूपये, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और बिहार में 20 से 25 हजार रूपये तक बिकता है. गांजा तस्करी करने वाले तस्कर लग्जरी कार के साथ मोडिफाई कार का भी उपयोग करते है लेकिन कई बार पुलिस भी तस्करों का पैतरे पर पानी फेर देते है. जशपुर जिले में सबसे ज्यादा ओडि़सा बॉर्डर से लगा हुआ तपकरा थाना में गांजे की कार्रवाई हुई है.

गांजे की खपत सबसे ज्यादा एमपी में हो रही

जशपुर के पत्थलगांव के हिट एंड रन के आरोपी कार में गांजा लेकर मध्यप्रदेश जा रहे थे इसके अलावा कई मामले जिनमें तस्कर पकड़े ज्यादातर आरोपी मध्यप्रदेश के ही थ।े इससे स्पष्ट है कि इन दिनों गांजे की खपत मध्यप्रदेश में ज्यादा हो रही है और ओडिशा से भारी मात्रा में माल मध्यप्रदेश जा रहा है. मध्यप्रदेश के गांजा तस्कर बेहद सक्रिय हैं और छग के रास्ते से गांजा की तस्करी की जा रही है. कवर्धा में कई गांजा तस्कर पकड़े गए हैं जिनका लिंक मध्यप्रदेश से ही जुड़ा हुआ है।

इन रास्तों से एमपी जाता है गांजा

ओडिशा से गांजा तस्करी मप्र के लिए हो रही है तो जशपुर के कई थानों की पुलिस को अलर्ट रहने की जरूरत है. क्योंकि कई सड़कें हैं जो मध्यप्रदेश जाने के लिए उपयोग में लाई जाती है. तस्कर छग में प्रवेश करने के लिए जशपुर जिले में तपकरा, कुनकुरी, कांसाबेल व पत्थलगांव होते हुए अंबिकापुर के रास्ते मप्र निकल सकते हैं. तपकरा, कुनकुरी, जशपुर, आस्ता होते हुए बलरामपुर के रास्ते से भी मप्र निकला जा सकता है. इसके साथ ही रायगढ़ से कोरबा कटघोरा, पेंड्रा और कवर्धा के रास्ते भी गांजा मध्यप्रदेश पहुंचता है। तस्करी रोकने के लिए अधिक चौकसी की जरूरत ओडिशा प्रवेश के सभी रास्तों पर रखनी होगी. पुलिस ओडिसा से जोडऩे वाली सात रास्तों में से तीन रास्तो पर बैरियर लगा कर बारिकी से जाँच कर रही है।

राजधानी में एसपी क्राईम अभिषेक महेश्वरी को सेल का कमान

छत्तीसगढ़ में पहली बार नारकोटिक्स सेल का गठन किया गया है। रायपुर पुलिस की एक स्पेशल टीम तैयार की गई है, जो नशे के अवैध धंधों के खिलाफ काम करेगी। तस्करी और अवैध तरीके से नशीली टेबलेट, गांजा, चरस, ड्रग्स, हेरोइन जैसे केस पर इस स्पेशल टीम की खास टीम निगाह होगी। गुरुवार को इसे लेकर रायपुर के स्स्क्क प्रशांत अग्रवाल ने एक आदेश जारी किया, जिसमें 8 अफसरों और कर्मचारियों को रखा गया है। नारकोटिक्स सेल की पहली टीम में सीएसपी विश्व दीपक त्रिपाठी, इंस्पेक्टर गिरीश तिवारी, इंस्पेक्टर अश्वनी राठौर, साइबर सेल से महेंद्र राजपूत, सरफराज चिश्ती, प्रमोद बेहरा्र आशीष राजपूत और राजकुमार देवांगन होंगे।

यह होगा सेल का काम

स्स्क्क प्रशांत अग्रवाल ने जानकारी दी कि नारकोटिक्स सेल खासतौर पर इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशंस को अंजाम देगी। नशे के अवैध धंधों पर नकेल कसने के लिए तस्करों को पकडऩे के अलावा इस बात की भी गहन जांच की जाएगी की तस्करी में आने वाला नशे का सामान किसे भेजा जा रहा था और कौन इसे भेज रहा था। टीम जांच के दौरान उन सरगना लोगों तक भी पहुंचने और उन्हें गिरफ्तार करने का काम करेगी। अब तक ज्यादातर मामलों में तस्करों को पकडऩे के बाद मामले लंबित हो जाया करते थे, मगर नारकोटिक्स सेल बन जाने से अब ऐसे मामलों पर पुलिस का विशेष ध्यान होगा और स्पेशल ऑपरेशन चलाए जाएंगे।

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