छत्तीसगढ़

मुनि ने दी कैदियों को भूतकाल भूलकर सही रास्ते में चलने की सलाह

Nilmani Pal
22 Nov 2024 5:23 AM GMT
मुनि ने दी कैदियों को भूतकाल भूलकर सही रास्ते में चलने की सलाह
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गौरेला पेण्ड्रा मरवाही। भारत की मिट्टी में जन्मे सब भारत की संतान हैं. भारत भूमि सबकी जननी है, और एक जननी से जन्म लेने वाले भाई होते हैं. हमारी एक जाति है मानव और हमारा एक धर्म है मानवता. भारत के सभी संप्रदायों में परस्पर के भ्रातृत्व के भाव हों, क्योंकि कुछ और होने के पहले हम भाई हैं. यह बात मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज ने जिला जेल के बंदियों को संबोधित करते हुए कही.

मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज ने कैदियों से कहा कि जेल परिसर को कारावास नहीं आश्रम समझकर अपने आचरण में परिवर्तन लायें. संगत कुसंगत, परिस्थितियों के वशीभूत अथवा आवेश,लोभ लालच में घिरकर अपराध हो गया और प्रत्येक अपराधी को अवांछनीय कृत्य के पश्चात उसे पश्चाताप होता है. उससे अपना घर परिवार संबंधी संपत्ति सब छूट जाते हैं, और कारागृह की दीवारों के अंदर संसार सीमित हो जाता है.

महाराज जी ने बताया ये सब तो हमने भी छोड़ा मगर हमने इन्हें स्वेच्छा से त्यागा है, और वीतरागता को आत्मसात किया. अंतर ये है कि आप दुष्कृत्य कर छोड़ने पर विवश हुए और हमने त्याग कर दोष रहित आचरण को अंगीकार किया. हम संत बने और आप बंदी.


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