दिल्ली की रोहिणी कोर्ट (Rohini Court) ने सास को जहर देकर मारने की कोशिश करने करने के आरोप में बहू और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मंगोलपुरी थाने के एसएचओ को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा कि यह एक संज्ञेय अपराध है, लिहाजा एसएचओ को संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अजय सिंह परिहार ने सोमवार को यह आदेश जारी किए। शिकायकर्ता रीता गुप्ता ने वकील अमित साहनी द्वारा दायर एक शिकायत में अपनी बहू स्वाति गुप्ता पर यह आरोप लगाया गया था कि 25 सितंबर को उसने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर, उस दूध में जहर मिला दिया था, जिससे बाद में उसने कॉफी बनाई। रीता गुप्ता ने दावा किया कि कॉफी पीने के बाद उनकी हालत बिगड़ गई थी और उन्हें तुरंत डीडीयू अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी एमएलसी की गई। उन्होंने दावा किया कि सम्पत्ति की मांग को लेकर उनकी बहू ने यह कदम उठाया।
स्टेटस रिपोर्ट में जांच अधिकारी (आईओ) ने कहा कि कप में बची कॉफी और सीसीटीवी फुटेज को कब्जे में लेकर फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के पास जांच के लिए भेज दिया गया है। इस पर मजिस्ट्रेट ने कहा कि फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट के लंबित होने के कारण पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती। न्यायाधीश ने 18 अक्टूबर को दिए एक आदेश में कहा, ''आईओ को पहले एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी और फिर उक्त सामग्री एकत्रित करनी चाहिए थी। शिकायतकर्ता ने एक संज्ञेय अपराध का खुलासा किया है....संबंधित थाना प्रभारी को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया जाता है।''
रीता गुप्ता ने आरोप लगाया कि उनकी बहू परिवार पर सम्पत्ति उसके नाम पर ट्रांसफर करने का दबाव बना रही थी, जिस कारण ही उसने इस खतरनाक कृत्य को अंजाम दिया। रीता ने उनकी शिकायत पर मंगोलपुरी थाना प्रभारी, पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और पुलिस कमिश्नर के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करने पर अदालत में मामला दायर किया है। इससे पहले, स्वाति गुप्ता ने भी एक शिकायत दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि 2017 में उसे उसके पति और परिवार के सदस्यों ने गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया। अदालत ने नौ अक्टूबर को बहू की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा था कि इस घटना के बारे में उसने कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है।