जशपुर। जशपुर में एक मां का संतान के प्रति अनूठा प्रेम देखने को मिला है. देश पर शहीद हो चुके बेटे के लिए मां ने प्रतिमा स्थापित करवा दी. शहीद बेटे की प्रतिमा को सुबह-शाम मां निहारती रहती है. प्रतिमा नहीं मानो जीवित बेटा हो. प्यार, दुलार को देखकर लगता है मां से दूर होते हुए भी शहीद बेटा बेहद करीब है. जशपुर-ओडिशा सीमा पर पेरवाआरा गांव में शहीद बसील टोप्पो का घर है. शहीद जवान बसील के माता-पिता बेटे की यादों के सहारे जीवित रहते हैं.
बताया गया कि शहीद बसील टोप्पो वर्ष 2011 में बस्तर के जिला पुलिस बल में शामिल हुआ था. बसील की पोस्टिंग बीजापुर के भद्रकाली पुलिस थाने में थी. इसी दौरान अगस्त 2011 में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग से हमला कर एक वाहन को उड़ा दिया. वाहन पर अंधाधुंध फायरिंग की गई. वाहन में सवार बसील टोप्पो शहीद हो गया. नक्सली घटना में बेटे की शहादत की खबर बसील की मां को मिलने पर सदमा पहुंचा. मां बेटे को याद कर सिसक-सिसक कर रोती रहती थी. अंतिम विदाई के बाद मां ने पति से शहीद बेटे की प्रतिमा स्थापित करने की बात कही. प्रतिमा तैयार करने के लिए ओड़िशा और कोलकाता के कलाकारों की मदद ली गई.
उन्होंने शहीद बसील की याद में आदमकद प्रतिमा तैयार की. आदमकद प्रतिमा को पेरवाआरा गांव में स्थापित किया गया. मां की ममता इस कदर हावी हो गई बेटे बसील की शहादत को जीवंत रखने के लिए प्रतिमा स्थापित करवाई और प्रतिमा पर प्यार-दुलार लुटाने लगी. मां की ममता के आगे बेटा मानो जीवित है और प्यार कर रही है. बहरहाल, मां को पता है कि बेटा अब कभी वापस नहीं आएगा. इसके बावजूद ममता का एहसास ऐसा है कि दूर होते हुए भी शहीद जवान मां के बेहद करीब है. देश सेवा करते हुए शहादत पानेवाले जवान की मां को बेटे पर गर्व है. उसका कहना है कि बेटा नेक काम करते हुए देश पर कुर्बान हो गया और बेटे की कुर्बानी हमेशा याद रखी जाएगी.
Chhattisgarh | Mother of a Police jawan, Basil Toppo who lost his life in a Naxal attack made a memorial in memory of her son in Perva Aara village of Jashpur
— ANI (@ANI) January 27, 2022
"I feel proud of him," said his mother
"He was in Police & was killed in an attack in 2011 in Bastar," said his uncle pic.twitter.com/iMuORWVQzn
सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके में जवानों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर ध्वजारोहण किया है। इसमें खास बात यह है कि इलाका पूरी तरह से माओवादियों का गढ़ है और अक्सर माओवादी इन इलाकों में 26 जनवरी के दिन गन की नोक पर ग्रामीणों की मौजूदगी में काला झंडा फहराते आए हैं। लेकिन इस बार यहां जवानों की मैजूदगी में ग्रामीणों और बच्चों ने राष्ट्रध्वज तिरंगा फहराया है। यह गनतंत्र पर गणतंत्र की जीत है। बताया जा रहा है कि, CRPF की 74वीं वाहिनी के जवान नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले कोर्रापाड़, पालामडगु गांव पहुंचे। यहां पहले से ही इलाके के ग्रामीण और बच्चे मौजूद थे। लेकिन नक्सलियों के खौफ के बीच उन्होंने तिरंगा नहीं फहराया था। इसकी जानकारी जब जवानों को मिली तो उन्होंने CRPF कैंप से राष्ट्रध्वज मंगवाया। फिर ग्रामीणों और बच्चों के साथ मिलकर ध्वजारोहण किया। इस नक्सलगढ़ गांव में सभी ने साथ मिलकर राष्ट्रगान जन-गण-मन भी गाया।