छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में मत्स्य उत्पादकता में दो गुना से अधिक की वृद्धि

Shantanu Roy
17 July 2022 4:06 PM GMT
छत्तीसगढ़ में मत्स्य उत्पादकता में दो गुना से अधिक की वृद्धि
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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मछुआरों व मत्स्य कृषकों को दिए जा रहे प्रोत्साहन के चलते राज्य में मत्स्य उत्पादकता में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। वर्तमान में राज्य की औसत मत्स्य उत्पादकता 4000 मेट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो गई है। प्रगतिशील मत्स्य कृषक मछली पालन की नवीन तकनीकी अपनाकर एवं उन्नत प्रजातियों का पालन कर प्रति हेक्टेयर 8000-10000 मेट्रिक टन मत्स्य उत्पादन करने लगे है। छत्तीसगढ़ मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर देश में पांचवें स्थान पर एवं मत्स्योत्पादन में छठवें स्थान पर आ गया है।

वर्तमान में प्रदेश में लगभग 2 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र उपलब्ध है, जिसमें से लगभग 1.961 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। राज्य की भौगोलिक एवं कृषि जलवायुवीय परिस्थितियां मछली पालन के लिए अनुकूल होने के कारण परंपरागत मछुआ वर्ग के लोगों के साथ-साथ अन्य वर्गों के लोग भी मछली पालन करने लगे है। राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने तथा किसानों के समान ही मछली पालकों को ऋण की सुविधा तथा विद्युत एवं जलकर छूट देने से राज्य में मछली पालन को बढ़ावा मिला है। अब यह एक लाभकारी व्यवसाय बन गया है, जिसे लोग तेजी से अपनाने लगे हैं।
राज्य में मछली पालन के क्षेत्र में हो रही उत्तरोत्तर वृद्धि को देखते हुए इसके तीव्र विकास के लिए मछुआरों की भागीदारी सुनिश्चित करने, मत्स्य सहकारी समितियों के विकास, शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों का लाभ मत्स्य व्यवसाय से जुड़े लोगों तक पहुचाने तथा नवीन तकनीकों के प्रशिक्षण, नवीन प्रजातियों के पालन व देशी मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवं विकास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नवीन मछली पालन नीति 2022 लागू की गई है। इससे राज्य में मत्स्य पालन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। गौरतलब है कि प्रदेश में वर्ष 2000 में उपलब्ध मात्र 1.538 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र में से 1.335 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र में मछली पालन किया जाता था। राज्य की औसत मत्स्य उत्पादकता 1850 मेट्रिक टन प्रति हेक्टेयर थी। राज्य का मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में 9 वां स्थान था। राज्य में मत्स्य बीज का उत्पादन कम होने के कारण मत्स्य बीज बाहर के प्रदेशों से आयात किया जाता था।
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