छत्तीसगढ़

रायपुर में दिखा चांद, मुस्लिम समुदाय रखेंगें कल से रोजा

Shantanu Roy
11 March 2024 1:48 PM GMT
रायपुर में दिखा चांद, मुस्लिम समुदाय रखेंगें कल से रोजा
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रायपुर/नई दिल्ली। रायपुर में आज चांद दिखने पर अल्लाह के इबादत के दिनों की शुरुआत कल से होगी. बैरनबाजार जामा मस्जिद के खतीबो इमाम अल्हाज हाफ़िज़ कारी डॉ. मोहम्मद इमरान अशरफी ने बताया कि रायपुर में भी चांद दिख गया है। आज से सभी मस्जिदों में तरावीह होगी एवं कल से पहला रोजा रखा जाएगा। इन पाक दिनों को अल्लाह की इबादत और आपस में भाईचारा और प्रेम से रहने की सीख मिलती है. इस त्योहार को सभी मुस्लिम बहुत ही प्यार से मनाते हैं, और अल्लाह से शांति और बरकत की दुआएं मांगते हैं. रमजान के पाक महीने में इस्लाम मजहब को मानने वाले लोग पूरे एक माह रोजा रखते हैं. रमजान महीने में मुसलमानों को रोजा रखना अनिवार्य होता है. इस्लाम धर्म के मुताबिक रमजान के पाक दिनों में अल्लाह की इबादत करने से अल्लाह प्रसन्न होते हैं. रमजान के दिनों को अल्लाह की इबादत के साथ आपस में प्रेम और मजहब के लिए समर्पण के तौर पर भी देखा जाता है.
देशभर में सहरी और इफ्तार का समय की जानकारी भी आ गई है. दिल्ली में सहरी का समय सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर है, वहीं इफ्तार के समय के बात की जाए तो शाम 6 बजकर 29 मिनट पर इफ्तार का समय रहेगा. इस्लाम धर्म में रमजान का महीना सबसे पाक माना जाता है. इस पूरे महीने मुस्लिम लोग रोजा यानी उपवास रखते हैं और अपना ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में बिताते हैं. मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए इस महीने के आखिर में ईद-उल-फितर मनाते हैं, जिसे मीठी ईद भी कहा जाता है.
इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार, रमजान के दिनों में खुदा की इबादत से रहमत बरसती है. रमजान में चांद का दिखना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि चांद का दीदार होने के बाद ही पहला रोजा रखा जाता है. इस्लाम धर्म के अनुसार, क्योंकि इस महीने में पैगंबर मोहम्मद साहब को इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान शरीफ मिली थी. इसलिए इस पाक दिनों में लोग पूरा महीना रोजा रखते हैं. रोजा एक व्रत की तरह ही पूरे दिन के लिए रखा जाता है, लेकिन उसे रखने के कुछ जरूरी नियम होते हैं. जैसे रोजे में दिन के अंतराल में कुछ भी खाने पीने की इजाजत नहीं होती है. सूरज निकलने से लेकर सूरज ढलने तक रोजेदार ना पानी पीते हैं और ना ही कुछ खाते हैं. लेकिन शाम को अजान होते ही ये सभी बंदिशें खत्म हो जाती हैं. फिर रोजेदार कुछ भी खा सकते हैं जिसे इफ्तारी कहा जाता है.
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