रायपुर। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ महाराज ने कहा कि जीवन में ज्ञान की रोशनी रखिए। ज्ञान उस दिन की तरह है, जिसमें सूरज भी है और उजाला भी, पर अज्ञान उस रात की तरह है, जिसमें न कोई चाँद है, न तारे-सितारे। कोई अगर मुझसे पूछे कि वह धन कौन-सा है, जिसे न आयकर वाले ले जा सकते हैं, न चोर चुरा सकते हैं और न ही भाई हिस्सा ले सकता है? तो जवाब होगा - ज्ञान। ज्ञान तीन प्रकार से मिलता है - 1. किताबों से - यह सबसे सरल है। 2. अनुभव से - यह सबसे कड़वा है। 3. अन्तरमन से - यह सबसे श्रेष्ठ है। शिक्षा, ज्ञान और विद्या को इतना महत्त्व दीजिए कि आप चलती-फिरती लाइब्रेरी बन जाएँ। याद रखिए, पैसा वही है, जो अंटी में हो और ज्ञान वही है, जो कंठी में हो। ज्ञान जितना भी हासिल करें, मनोयोगपूर्वक हासिल करें। उचटे मन से पढ़े गए 100 पन्नों की बजाय मन से पढ़े गए 10 पन्ने अधिक परिणाम देंगे।
संत प्रवर शुक्रवार को श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट द्वारा एमजी रोड स्थित जैन दादावाड़ी में नवपद ओली पर आयोजित विशेष प्रवचन माला के सातवें दिन नवकार मंत्र में ज्ञान पद और अज्ञान को दूर करने का रहस्य विषय पर श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नवपदऔली का सातवां पद है ज्ञान जो हमें नियमित पढने-पढ़ाने और सोचने-विचारने की प्रेरणा देता है। हर रोज 20 मिनट ही सही, पॉजिटिव और मोटिवेशनल किताबें अवश्य पढ़ें। एक प्रेरक वचन या प्रेरक प्रसंग आपकी बुद्धि के लिए विटामिन-सी का काम करेगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान को अपने जीवन की रोशनी बनाएँ। ज्ञान अगर कृष्ण है तो आचरण अर्जुन। कृष्ण और अर्जुन का संयोग बैठ जाए तो जीवन का महाभारत निश्चित तौर पर जीता जा सकता है। याद रखें, क्रोध करने से बच्चों की याददाश्त कमजोर होती है और बड़ों का भाग्य। आप क्रोध पर नियंत्रण रखिए, दिमाग पर नियंत्रण अपने आप रहेगा।
उन्होंने कहा कि ज्ञान तभी पूज्य बनता है, जब उसके साथ विनम्रता हो। यदि हम अहंकार के गुलाम हैं, तो समझो अज्ञान हम पर हावी है, पर यदि हम विनम्रता के पुजारी हैं, तो इसका मतलब है ज्ञान का प्रकाश हमारे पास सुरक्षित है। खेत उसका होता है, जो उसे जोतता है और भगवान उसके होते हैं, जो उन्हें भजता है तथा विद्या उसकी होती है, जो उसे पढ़ता है। ज्ञान-प्राप्ति के लिए उम्र को कभी आड़े मत आने दीजिए। कोई अपने से छोटा हो, तब भी उससे विद्या ग्रहण कर लेनी चाहिए। सोने का कंगन नाली में पड़ा हो तो क्या हम उसे ग्रहण नहीं करते? बुढ़ापा है तो क्या हुआ, विद्या-ग्रहण अवश्य कीजिए। इस जन्म में भले ही वह फल न दे, पर अगले जन्म में वह सहज सुलभ हो जाएगी। सीखी हुई विद्या हमेशा अपना सौ गुना मोल लौटाती है। बुद्धि की निर्मलता के लिए रोज सुबह ध्यान कीजिए और रात को सोने से पहले स्वाध्याय। इससे आप दिनभर दिव्य मनरूस्थिति के मालिक रहेंगे और रात को दुस्वप्नों से बचे रहेंगे।
प्रवचन में संतप्रवर ने श्रीपाल रास से जुड़े घटनाक्रम का भी विवेचन किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को ओम रीं श्रीं श्री नमो नाणस्स मंत्र का सामूहिक जाप करवाया।
इस अवसर पर मुनि शांतिप्रिय सागर जी ने मिथ्या ज्ञान का नाश करने के लिए और जीवन में समय ज्ञान के उदय के लिए सम्यक ज्ञान पद का ध्यान करवाया।
संघ अध्यक्ष विजय कांकरिया ने बताया कि शनिवार को सुबह 9 बजे संतप्रवर नवकार मंत्र में सम्यक चारित्र पद का रहस्य विषय पर संबोधन देंगे।प्रकाशनार्थ समाचार
पैसा वही जो अंटी में और ज्ञान वही जो कंठी में -राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी
नवकार मंत्र में सम्यक चारित्र पद का रहस्य विषय पर शनिवार को होगा संबोधन
रायपुर, 7 अक्टूबर। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज ने कहा कि जीवन में ज्ञान की रोशनी रखिए। ज्ञान उस दिन की तरह है, जिसमें सूरज भी है और उजाला भी, पर अज्ञान उस रात की तरह है, जिसमें न कोई चाँद है, न तारे-सितारे। कोई अगर मुझसे पूछे कि वह धन कौन-सा है, जिसे न आयकर वाले ले जा सकते हैं, न चोर चुरा सकते हैं और न ही भाई हिस्सा ले सकता है? तो जवाब होगा - ज्ञान। ज्ञान तीन प्रकार से मिलता है - 1. किताबों से - यह सबसे सरल है। 2. अनुभव से - यह सबसे कड़वा है। 3. अन्तरमन से - यह सबसे श्रेष्ठ है। शिक्षा, ज्ञान और विद्या को इतना महत्त्व दीजिए कि आप चलती-फिरती लाइब्रेरी बन जाएँ। याद रखिए, पैसा वही है, जो अंटी में हो और ज्ञान वही है, जो कंठी में हो। ज्ञान जितना भी हासिल करें, मनोयोगपूर्वक हासिल करें। उचटे मन से पढ़े गए 100 पन्नों की बजाय मन से पढ़े गए 10 पन्ने अधिक परिणाम देंगे।
संत प्रवर शुक्रवार को श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट द्वारा एमजी रोड स्थित जैन दादावाड़ी में नवपद ओली पर आयोजित विशेष प्रवचन माला के सातवें दिन नवकार मंत्र में ज्ञान पद और अज्ञान को दूर करने का रहस्य विषय पर श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नवपदऔली का सातवां पद है ज्ञान जो हमें नियमित पढने-पढ़ाने और सोचने-विचारने की प्रेरणा देता है। हर रोज 20 मिनट ही सही, पॉजिटिव और मोटिवेशनल किताबें अवश्य पढ़ें। एक प्रेरक वचन या प्रेरक प्रसंग आपकी बुद्धि के लिए विटामिन-सी का काम करेगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान को अपने जीवन की रोशनी बनाएँ। ज्ञान अगर कृष्ण है तो आचरण अर्जुन। कृष्ण और अर्जुन का संयोग बैठ जाए तो जीवन का महाभारत निश्चित तौर पर जीता जा सकता है। याद रखें, क्रोध करने से बच्चों की याददाश्त कमजोर होती है और बड़ों का भाग्य। आप क्रोध पर नियंत्रण रखिए, दिमाग पर नियंत्रण अपने आप रहेगा।
उन्होंने कहा कि ज्ञान तभी पूज्य बनता है, जब उसके साथ विनम्रता हो। यदि हम अहंकार के गुलाम हैं, तो समझो अज्ञान हम पर हावी है, पर यदि हम विनम्रता के पुजारी हैं, तो इसका मतलब है ज्ञान का प्रकाश हमारे पास सुरक्षित है। खेत उसका होता है, जो उसे जोतता है और भगवान उसके होते हैं, जो उन्हें भजता है तथा विद्या उसकी होती है, जो उसे पढ़ता है। ज्ञान-प्राप्ति के लिए उम्र को कभी आड़े मत आने दीजिए। कोई अपने से छोटा हो, तब भी उससे विद्या ग्रहण कर लेनी चाहिए। सोने का कंगन नाली में पड़ा हो तो क्या हम उसे ग्रहण नहीं करते? बुढ़ापा है तो क्या हुआ, विद्या-ग्रहण अवश्य कीजिए। इस जन्म में भले ही वह फल न दे, पर अगले जन्म में वह सहज सुलभ हो जाएगी। सीखी हुई विद्या हमेशा अपना सौ गुना मोल लौटाती है। बुद्धि की निर्मलता के लिए रोज सुबह ध्यान कीजिए और रात को सोने से पहले स्वाध्याय। इससे आप दिनभर दिव्य मनरूस्थिति के मालिक रहेंगे और रात को दुस्वप्नों से बचे रहेंगे।