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रायपुर। मोखला निवासी जनता से रिश्ता के पाठक रोशन साहू ने मेल के जरिए कविता भेजा है....
जख्म गहरा होगा , उसे गजल भाने लगा है।
कोफ्त थी मयखाने के नाम से,जाने लगा है।।
मशहूर था वो अपनी सलीके पसन्दगी के लिए।
गजब है कि उसे,अब बेतरतीबी भाने लगा है।।
जिन लम्हों को याद कर , थकते नही थे कभी।
जद्दोजहद कुछ ऐसी क़ि, अब रुलाने लगा है।।
वक्त की बनाई दीवार,चलो अब जल्दी गिरा दें।
लम्हों ने की है कानाफूसी, चलो करीब आएं।।
हवेली की शान देखने,ठहर जाते थे कदम मेरे।
कहकहों तले सिसकियों ने आवाज़ दी है जैसे।।
रोशन साहू ( मोखला )
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