छत्तीसगढ़

भूपेश के खिलाफ दुष्प्रचार, नेताम-चावला को नोटिस

Nilmani Pal
11 Feb 2023 5:53 AM GMT
भूपेश के खिलाफ दुष्प्रचार, नेताम-चावला को नोटिस
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कांग्रेस अनुशासन समिति ने सात दिन में मांगा जवाब

जसेरि रिपोर्टर

दिल्ली/रायपुर। कद्दावर आदिवासी नेता अरविंद नेताम के साथ पीसीसी महामंत्री अमरजीत सिंह चावला को कांग्रेस पार्टी ने नोटिस जारी किया है। पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने की शिकायत पर हफ्तेभर में जवाब मांगा गया है। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति के सदस्य सचिव तारिक अनवर की ओर से अरविंद नेताम को नोटिस भेजा गया है, जिसमें नेताम के सर्व आदिवासी समाज का गठन कर भानुप्रतापपुर उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ प्रत्याशी उतारने के साथ प्रतिद्वंदी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने की बात कही गई है। इसी तरह से प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव (संगठन) अमरजीत चावला को भी नोटिस जारी किया गया है, इसमें पीसीसी कार्यालय में पदस्थ रहते हुए कांग्रेस सरकार के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी करने, आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के अनुमति नहीं दिए जाने पर पार्टी लाइन के अलग जाकर राज्यपाल का पक्ष लेने, और भूपेश बघेल के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया गया है। अमरजित चावला की शिकायत लगातार पदाधिकारी करते रहते थे। इनका आरोप है कि चावला गाहे-बिगाहे सीएम के खिलाफ अनरगल बयानवाजी और अपशब्द शब्दों का इस्तमाल करते रहते हैं। जानकारी के अनुसार अनुशासन समीति को चावला की एक वीडियो और आधा दर्जन ऑडियो सबूत के तौर पर सौंपी गई है।

विवादों से अरविंद नेताम का पुराना रिश्ता रहा है। अरविंद नेताम पहले भी दो बार कांग्रेस फिर से पार्टी में शामिल हो चुके हैं। मालिक मकबूजा कांड के बाद कांग्रेस छोडक़र वे दूसरे दलों में शामिल हो गए थे लेकिन बाद में फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। केन्द्र और प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान पार्टी में उनकी सक्रियता भी कम हो गई थी। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी भूपेश बघेल ने अरविंद नेताम को पार्टी में ऊंचे कद के बावजूद वजन नहीं दिया, ऐसा उनका सोचना है और इसीलिए वे पार्टी के कार्यक्रमों से खुद को दूर करते हुए आदिवासी समाज के नेता के तौर पर उनकी आवाज उठाने लगे। पार्टी में भाव नहीं मिलने से वे बगावत करने मजबूर हुए और सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी के तौर पर आदिवासी हितों की बात करने लगे। भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में समाज की तरफ से प्रत्याशी खड़ा किया गया था जिसका पूरे जोर से समर्थन सर्व आदिवासी समाज ने अरविंद नेताम के नेतृत्व में किया था। अरविंद नेताम ने सर्व आदिवासी समाज के बैनर के तले आदिवासी समाज को इकठ्ठा कर आदिवासियों की ताकत दिखाने के लिए यह व्यू रचना बनाई थी लेकिन अरविंद नेताम के सपने अधूरे रह गये और कांग्रेस भारी बहुमत से भानुप्रतापपुर उपचुनाव में जीतने में कामयाब रही। नेताम के इस कदम पर हाईकमान की भी नजर रही और अब आसन्न विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति ने इसे लेकर नेताम को नोटिस जारी कर पार्टी लाइन से अलग काम करने और भूपेश सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार बताते हुए उनसे जवाब तलब किया है।

गौरतलब है कि वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम एक समय के प्रदेश के सबसे बड़े नेता कहलाते थे और कांग्रेस में उनकी तूती बोलती थी लेकिन आज जिस तरीके से भूपेश बघेल का राजनीतिक ग्राफ कांग्रेस पार्टी में चढ़ा है और पार्टी के हर निर्णय में उनकी रायशुमारी ली जा रही इससे अब किसी का भी कद भूपेश की लोकप्रियता के सामने बौना हो गया है। भूपेश बघेल ने कांग्रेस पार्टी में पूरे देश के पिछड़ा वर्ग के सर्वमान्य नेता के तौर पर अपने आपको न सिर्फ साबित किया बल्कि अपनी उपयोगिता भी साबित की है।

वहीं वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महामंत्री अमरजीत चावला का भी विवादों से गहरा नाता रहा है कुछ वर्ष पहले ओबीसी समाज के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने का उनका आडियो-वीडियो खूब वायरल हुआ था। जिसका पार्टी के भीतर खूब आलोचना हुई थी और उन्हें घर बैठना पड़ा था। जैसे-तैसे संगठन के पदाधिकारियों, पीसीसी अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी के आगे-पीछे लग कर उन्होंने संगठन में वापसी की। जैसे-तैसे पीसीसी अध्यक्ष ने उसे प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी। लेकिन पदाधिकारी बनते ही एक अन्य कांग्रेस नेता सन्नी अग्रवाल के साथ राजीव भवन में उनकी हाथापाई, तू-तू-मैं-मैं हो गई जिससे एक बार फिर वे विवादों में आ गए। उसी समय मुख्यमंत्री ने मरकाम के मनसा पर अपनी सहमती जताते हुए सन्नी अग्रवाल को निकालने के लिए मोहन मरकाम ने सीएम से अनुमती ले ली थी. ऐसा सूत्र बताते हैं उसी के आधार पर अब अमरजीत चावला को निकालना या नहीं निकालना यह मोहन मरकाम के उपर निर्भर करता है।

इससे उनके विरोधियों को एक बार फिर आलाकमान को शिकायत का मौका मिल गया। वैसे भी उनके राजनीतिक दुश्मन हमेशा से ही उन्हें किनारे लगाने अवसर तलाशते रहते हैं। जानकार कहते हैं कि चावला विगत कुछ समय से टीएस बाबा के कैंप से निकटता रखने लगे हैं और मरकाम के कृपापात्र बन गए हैं। उन्होंने संगठन चुनाव और सदस्यता अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई थी जिससे वे मोहन मरकाम के काफी निकट हो गए जिसका परिणाम यह हुआ कि आलाकमान के एक वरिष्ठ नेता ने मोहन मरकाम के सिफारिश से अमरजीत चावला को तत्काल महामंत्री पद से नवाजा था। उसकी यह तरक्की उसके कई राजनीतिक दुश्मनों को रास नहीं आई और वे चावला को हटाने के लिए जाल बुनते रहे और आलाकमान से उच्च स्तर पर सबूतों के साथ उसकी शिकायत की गई थी जिस पर संज्ञान लेते हुए आलाकमान की उचित स्तरीय कमेटी ने अब चावला को नोटिस जारी किया है। चावला को नोटिस जारी होने से उनके दुश्मनों की बांछें खिल गई है। देखना होगा कि नोटिस के जवाब के बाद आलाकमान का रुख क्या होगा। वैसे भी आने वाले दिनों में राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए तमाम नेता रायपुर पहुंच रहे हैं। ऐसे में अधिवेशन के दौरान नोटिस पर एक्शन की संभावना कम ही है। इसके बाद विधनसभा चुनाव को देखते हुए भी पार्टी कोई बड़ा निर्णय लेगी इसकी भी संभावना कम ही दिखती है फिर भी कार्रवाई पर विरोधियों की नजर तो रहेगी ही।

AICC की नोटिस पर मोहन मरकाम ने दिया बड़ा बयान

अरविंद नेताम और अमरजीत चावला को जारी किए गए नोटिस पर पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, मुझे मीडिया के माध्यम से ही नोटिस जारी होने की खबर मिली. क्या कारण हैं? मैं नोटिस में देख नहीं पाया हूं, जाने बगैर उनके बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

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