छत्तीसगढ़

ठेले-गुमटी वाले छुटभैय्ये नेताओं के टकसाल

Nilmani Pal
5 April 2023 5:34 AM GMT
ठेले-गुमटी वाले छुटभैय्ये नेताओं के टकसाल
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हर महीने वसूलते हैं एक से तीन हजार, राजधानी में हजारों वेन्डर

राजधानी में गुमटी-ठेलों की आड़ में हप्ता वसूली का नया दौर

मेरी मर्जी... मैं कही भी ठेला-गुमटी लगाऊ... मुझे पूरे शहर में गुमटी लगाने का मिला हैं लाइसेंस

ठेला माफियाओं ने राजधानी की नामचीन सडक़ों को अपने नाम कर लिया

ठेला माफिया की सक्रिय भागीदारी से राजधानी को चेहरा हुआ विकृत,सड़ांध और गंदगी का अंबार

गुमटी गैंग से शहर को कब मिलेगा छुटकारा

कोरोना कॉल के बाद शहर में अवैध गुमटियों की बाढ़

गरीबी और बेरोजगारी का नाजायज फायदा उठाते हैं छूट भैया नेता अवैध गुमटी और ठेला लगाने में मशगूल

अवैध कमाई का अवैध कारोबार करने का नया अड्डा बना छूटभैया नेताओं के लिए

हर चौक-चौराहा में अवैध कब्जा अवैध गुमटियों की भरमार अचानक से देखने को मिल रही है

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी में इन दिनों गुमटी माफिया से आम जनता इस कदर परेशान हैं कि शारदा चौक, गोलबाजार-सराफा-पुरानी बस्ती, बूढ़ा तालाब के किनारे एमजी रोड, मालवीय रोड, तेलीबांधा, मरीन ड्राइव, कटोरा तालाब, आसपास, मोहोबा बाजार, रविशंकर विवि के पास और सरस्वती नगर थाने के सामने रामनगर, कोटा, दिशा कालेज, गुढिय़ारी से श्रीनगर खमतराई,बिरगांव, जीई रोड के अनुपम गार्डन से आरकेसी, टाटीबंध, स्टेशन रोड, मोवा, सड्डू, विधानसभा रोड, टिकरापारा, अंतर्राज्जीय बस स्टैंड के रास्ते, रिंग रोड, नंबर1, भाटागांव जाने वाले रास्ते की ओर जाने से पहले ठेले-गुमटी वालों से जूझना पड़ता है । ऊपर से पूरे शहर को ठेले की जद में लेने वाले दादाओं और छुटभैया नेताओं की दादागिरी के चलते लोगों को सडक़ पर चलने की बंदिश लगा दी है। हर ठेला वाला का कहना है कि हम फलां साहब के खास हंै उनकी मेहरबानी से ही वेंडर लाइसेंस मिला है। नगर निगम ने वेंडर लाइसेंस देने के साथ कहीं भी अतिक्रमण करने की छूट गुमटी-ठेला वालों को दे दी है। अभी तक तो भू माफिया से लोग परेशान थे, वे किसी के भी खाली जमीन पर कब्जा कर लेते थे, और समझौता के नाम से अनाप-शनाप पैसा वसूल करते थे इनके ऊपर भी शहर के छुटभैया नेताओं हाथ था, लेकिन अब ठेला और गुमटी माफिया से लोग परेशान होने लगे हैं। मजे की बात है कि इन अवैध ठेला वालों को ये छुटभैये नेता बाकायदा कार्ड भी जारी करते है जिसकी फीस इन्होंने लगभग दस हजार रुपए तक फिक्स कर दिए हैं। भुगतान करने के बाद ये कार्ड जारी करते हैं और फिर इनका खेल चालू होता है। चौक चौराहों और मुख्य मार्गो में अतिक्रमण से आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुछ ठेले वालों ने जनता से रिश्ता के प्रतिनिधि को बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में छुटभैये नेता मंथली वसूली करते हैं, नहीं देने या आनाकानी करने पर दादागिरी करने पर भी उतारू हो जाते हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ठेले वाले ने बताया कि निगम के लोग भी इस काम में शामिल हैं। जिस क्षेत्र में अवैध ठेला लगाना है वहां के पार्षद से एनओसी लेना पड़ता है एनओसी यानि प्रतिमाह कुछ पैसा फिक्स किया जाता है जिसे उसके गुर्गे सख्ती से वसूली भी करते हैं

सडक़ किनारे अतिक्रमण

सबसे बड़ी समस्या राजधानी के सभी चौक चौराहों पर है। कपड़ा, किराना, जनरल स्टोर्स, मनिहारी , बर्तन दुकान, जूता दुकान, हार्डवेयर, साइकिल, टीवी फ्रिज जलपाल गृह सहित स्थायी व्यवसायी सबसे अधिक सडक़ तक अतिक्रमण किए हैं। इसके अलावा फास्ट फूड, ठेला खोमचा वाले दुकनदार भी सडक़ पर अतिक्रमण किए हैं। नगर निगम के अधिकारी स्थिति देखने के बाद भी खामोश रहते है जो शंका को जन्म देता है। लोगों ने निगम में कई बार शिकायत भी की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। जाम की स्थिति में पैदल चलने वाले भी घायल हो जाते हैं। दूर दर्ज के ग्राहक के आलावा स्थानीय रहवासी भी इस जाम से परेशान हैं। शिकायत करने पर तुरंत तो निगम वाले आ जाते है उनको हटाने लेकिन उनके जाने के बाद फिर जस की तस वही स्थिति निर्मित हो जाती है।

निगम की दखलंदाजी से पुलिस नहीं करती कार्रवाई

गोलबाजार व्यापारी महासंघ के मीडिया प्रभारी और स्वतंत्र पत्रकार आरके गुप्ता ने कहा कि यातयात विभाग का कहना है कि सडक़ किनारे खड़े ठेलों को हटाना हमारा काम नहीं है। नगर निगम प्रशासन इसके लिए मना करता है। साथ राजधानी में 70 पार्षद सहित विधयक और मंत्री हैं। क्या उन्हें यह नहीं दिखता है। नगर निगम वाले कार्रवाई के लिए 15 दिन में एक बार आते हैं। और उनके जाने के बाद जस की तस हो जाती है।अतिक्रमण से काफी दिक्कत होती है। गोलबाजार, मालवीय रोड में अतिक्रमण से हालत तो हमेशा देखने को मिलती है न जाने अधिकारियों को क्यों नहीं दिखती। लोगों को पैदल चलने में भी काफी परेशानी होती है दो पहिया और चार पहिया की बात तो मत पूछिए। कोतवाली चौराहे से होकर जाने में नियमित जाम जैसे हालात होता है।

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