आफताब फरिश्ता
< बच्चों को पैसों का लालच देकर नशे के सौदागरों ने बना दिया सप्लायर
< सुट्टे की कस लेते ही बाइक में राकेट की तरह उड़ रहे बच्चे
< अपने आका के कहने पर चाकूबाजी से भी नहीं करते है गुरेज
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। आर्थिक रूप से कमजोर और ऐसे छोटे बच्चे जो पढ़ाई छोड़कर या स्कूल से तड़ी मारकर इधर-उधर घूमकर आवारा गर्दी करते है, ऐसे बच्चों को स्थानीय गुंडे-बदमाश हिस्ट्रीशीटर पैसा का लालच देकर नशे का सामान सप्लाई कराने के काम में लगाकर गली-मोहल्ले, पॉश कालोनी में नश की सप्लाई कर रहे है। बच्चों को प्रलोभन देकर अपने अवैध गतिविधियों में संलिप्त कर रहे है। उनके संरक्षण में ही ऐसे बच्चे ठसन और धौंस के लिए अपराध कर रहे है। ऐसे नाबालिग अपराधियों पर लगाम कसना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती। शहर में चाकूबाजी, मारपीट, लूट, चोरी जैसी वारदातों में नाबालिग गिरोह की संलिप्तता पाई गई है। इसे देखते हुए ऐसे नाबालिगों के अभिभावकों को भी पुलिस द्वारा समझाइश देकर बच्चों को गलत संगत में जाने से रोकने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
नशा अपराध का बड़ा कारण : राजधानी में नशे का कारोबार और अपराध दिन ब दिन बढ़ते जा रहा है। वही नाबालिग युवाओं में अपराध की प्रवृति भी बढ़ती जा रही है। छोटी-छोटी घटनाओं से लेकर जघन्य व बड़ी वारदातों में शामिल जो भी चेहरे सामने आते है उसमें अधिकांश 19 से कम आयु के युवा होते हैं। इसके जद में सबसे बड़ा कारण नशा है। युवा वर्गो में नशे का सेवन एक तरह से फैशन का रूप लेता जा रहा है। शाम ढलते ही शहर के हाउसिंग कालोनी, बस स्टैंड परिसर, रेलवे स्टेशन, सब्जी मंडी और भी ऐसे कई जगह हैं जहां युवा नशेडिय़ों की चौकड़ी आसानी से देखा जा सकता है। नशे की हालत में ये लोग अपराध व बहशीपन हरकत करने पर उतारू हो जाते हैं।
बढ़ते बाल अपराध के ये कारण : शहर में बढ़ते बाल अपराधों के प्रति अभिभावकों को भी जिम्मेंदार माना जा रहा है। अधिक व्यस्तता के कारण अभिभावक बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते, मोबाइल देकर उसकी निगरानी करना भूल जाते हैं। नाबालिग बच्चों को महंगे मोबाइल और महंगे गाडिय़ों के शौक को माता पिता पूरी कर देते है मगर उसका इस्तेमाल करना सीखाना भूल जाते है। जिस वजह से बच्चे इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा अपराध कर बच्चे गलत कदम उठा रहे हैं।
हिस्ट्रीशीटर संजय रक्सेल को जेल
सात महीने पहले खमतराई पुलिस थाना के सामने चेकिंग के दौरान कार से पुलिस जवान को कुचलने की कोशिश करने वाला फरार कुख्यात हिस्ट्रीशीटर संजय रक्सेल को पुलिस ने आखिरकार मौदहापारा स्थित घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। नाबालिगों का गिरोह चलाने के साथ वह नशे का कारोबार करता है। घर की तलाशी के दौरान पुलिस ने 10 किलो गांजा, 350 ग्राम चरस बरामद किया। मौदहापारा पुलिस थाना प्रभारी यदूमणि सिदार ने बताया कि संजय रक्सेल ने पिछले साल 15 सितंबर को अपने एक अन्य साथी के साथ मिलकर शारदा चौक, आरडीए बिल्डिंग के पीछे अजय पिसुडे नामक युवक पर पिस्टल से फायर किया था। यहि नहीं 28 मई 2020 को पिस्टल लेकर अपने एक अन्य साथी के साथ गंभीर वारदात को अंजाम देने रायपुर से बिलासपुर की ओर कार में सवार होकर जा रहा था, उसे पकडऩे के लिए खमतराई थाना के सामने बैरिकेड लगाकर नाकाबंदी की गई थी। पुलिस जवानों को देखकर संजय रक्सेल ने कार की रफ्तार बढ़ा दी। बैरिकेड को ठोकर मारकर पुलिस जवानों को कुचलने की कोशिश की थी। दोनों मामले में उसके खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया था। तब वह लगातार नागपुर, डोंगरगढ़ आदि इलाके में फरारी काट रहा था। उस पर दर्जनभर से अधिक मामले दर्ज हैं।
नाबालिगों से कराता है नशे का कारोबार
संजय ने मौदहापारा इलाके में नाबालिगों का गिरोह बना रखा है। वह नाबालिगों को पहले गांजा और चरस के साथ नशीली गोलियों का आदी बनाकर उनसे ही गांजा, चरस और नशीली दवाइयों की तस्करी करवाने के साथ संडे बाजार में रंगदारी वसूली करवाता है। उसके गिरोह के कई नाबालिगों ने चाकूबाजी की वारदात को अंजाम दिया है।
नाबालिगों के नशे का तरीका बदला
नशे का तरीका बदल गया है। शराब नहीं मिलने के चलते नाबालिग अब विकल्प निकालने में लगे हुए है। इसके लिए अब व्हाइटनर का उपयोग कर रहे है। इसके सबसे अधिक शिकार युवा व किशोर हो रहे हैं। रूमाल या छोटे कपड़े में थीनर, व्हाइटनर को डाल कर उपयोग करने के चलते कई युवकों व खासकर किशोरों के परिजन परेशान हो रहे है। शराब से कहीं ज्यादा घातक इस नशीले पदार्थ की लत के जद में आ चुके कई किशोर या युवा चलते-फिरते सड़क पर ही मिल जायेंगे। आपराधिक मामलों में नाबालिगों की संलिप्तता बढ़ती जा रही है। ऐसा कोई जुर्म नहीं है, जिसमें नाबालिग शामिल न हो, मोबाइल चोरी व छिनतई से लेकर दुष्कर्म और हत्या जैसे संगीन मामलों में भी नाबालिगों की बढ़ती तादाद सिर्फ कानूनी एजेंसियों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए चिंताजनक है. नाबालिगों का आपराधिक घटनाओं में संलिप्त होना बेहद गंभीर मसला है।
क्या है बाल अपराध
भारतीय कानून के अनुसार 16 वर्ष की आयु तक के बच्चे अगर ऐसा कोई कृत्य करता है। तो समाज या कानून की नजर में वो अपराध होता है, तो ऐसे लोगों को बाल अपराधी की श्रेणी में रखा जाता है। हमारा कानून यह स्वीकार करता है कि किशोरों द्वारा किये गये गलत व्यवहार के लिए किशोर स्वयं नहीं, बल्कि परिस्थितियां उत्तरदायी होती है। इसी वजह से देश में किशोर अपराधों के लिए अलग कानून और न्यायालय है। बाल अपराधियों को दंड नहीं दिया जाता, बल्कि उनमें सुधार के लिए उन्हें बाल सुधार गृह में रखा जाता है और उन्हें सुधरने का मौका दिया जाता है।
गांजा, सुलोशन का नशा युवाओं में बढ़ा
शहर में इन दिनों गांजा और सुलोशन जैसे नशे का चलन बढ़ गया है। गांजा महंगा नशा होने के चलते युवा चोरी और लूट जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं तो कुछ युवा सुलोशन का नशा कर रहे हैं। सुलोशन का नशा करने वाले इन युवकों से शहर के चौक-चौराहों के दुकानदार खासे परेशान हैं। दुकानदारों का कहना है कि हर दिन नशेड़ी युवक आकर दिनभर उत्पात मचाते हैं। वे लोग उनकी दुकान पर आकर पैसे मांगते हैं, जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिले में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सहित कई ऐसी जगह हैं, जहां पर 18 साल से कम उम्र के बच्चों को नशीला पदार्थ बेचा रहा है। जिसके कारण कच्ची उम्र के अपराधी अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इसमें बच्चे सुलोशन तक का नशा कर रहे हैं।
कच्ची उम्र में कर रहे संगीन अपराध
छत्तीसगढ़ की राजधानी में नाबालिग बच्चों के कंधे पर बस्ता और हाथों में कलम होनी चाहिए, मगर नाबालिग अपने शौक और जरूरतों को पूरा करने के लिए अपराध का रास्ता चुन रहे हैं। राजधानी में नाबालिग चोरी, झपटमारी से लेकर लूटपाट, दुष्कर्म जैसे संगीन वारदात तक पहुंच गए हैं। राजधानी में तैयार नाबालिग अपराधियों की इस पौध ने पुलिस की नींद उड़ा दी है। नाबालिगों द्वारा वारदात की घटनाएं बढ़ रही हैं। नाबालिग घटना को अंजाम दे फरार हो जाते हैं। पुलिस द्वारा ऐसे नाबालिग को पकड़ा गया, जो नशे के लिए चोरी करते थे।