रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप और वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के कुशल मार्गदर्शन में वनवासियों के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसके फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में वर्ष 2020-21 में लघु वनोपजों के संग्रहण तथा प्रसंस्करण आदि कार्यों से लोगों को 3 करोड़ मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध हुआ है। इसमें लघु वनोपज संग्राहक आदिवासी-वनवासियों को 200 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से 600 करोड़ रूपए की राशि के पारिश्रमिक का वितरण किया गया है। पारिश्रमिक में तेंदूपत्ता संग्रहण के अंतर्गत 400 करोड़ रूपए तथा तेंदूपत्ता उपचारण एवं गोदामीकरण में 40 करोड़ रूपए की राशि शामिल है। इसी तरह प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ श्री संजय शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2020-21 के दौरान लघु वनोपज संग्रहण में 140 करोड़ रूपए तथा लघु वनोपज उपचारण एवं गोदामीकरण में 14 करोड़ रूपए की पारिश्रमिक राशि वितरित की गई है। इसके अलावा लघु वनोपज के प्राथमिक प्रसंस्करण कार्य में 2 करोड़ रूपए तथा अन्य कार्यों के अंतर्गत 4 करोड़ रूपए की पारिश्रमिक राशि का भुगतान किया गया है।
गौरतलब है कि राज्य में वर्तमान में 52 लघु वनोपजों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इन 52 लघु वनोपजों में साल बीज, हर्रा, ईमली बीज सहित, चिरौंजी गुठली, महुआ बीज, कुसुमी लाख, रंगीनी लाख, काल मेघ, बहेड़ा, नागरमोथा, कुल्लू गोंद, पुवाड़, बेल गुदा, शहद तथा फूल झाडू, महुआ फूल (सूखा) शामिल हैं। इसके अलावा जामुन बीज (सूखा), कौंच बीज, धवई फूल (सूखा), करंज बीज, बायबडिंग और आंवला (बीज सहित) तथा फूल ईमली (बीज रहित), गिलोय तथा भेलवा, वन तुलसी बीज, वन जीरा बीज, इमली बीज, बहेड़ा कचरिया, हर्रा कचरिया तथा नीम बीज शामिल हैं। इसी तरह कुसुमी बीज, रीठा फल (सूखा), शिकाकाई फल्ली (सूखा), सतावर जड़ (सूखा), काजू गुठली, मालकांगनी बीज तथा माहुल पत्ता शामिल है।
इसके अलावा पलास (फूल), सफेद मूसली (सूखा), इंद्रजौ, पताल कुम्हड़ा, तथा कुटज (छाल), अश्वगंधा, आंवला कच्चा, सवई घास, कांटा झाडू, तिखुर, बीहन लाख-कुसमी, बीहन लाख-रंगीनी, बेल (कच्चा), तथा जामुन (कच्चा) शामिल है। राज्य सरकार द्वारा कुसुमी लाख, रंगीनी लाख और कुल्लू गोंद की खरीदी में समर्थन मूल्य के अलावा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।