छत्तीसगढ़

लघु वनोपज बनी वनवासियों की ताकत : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

Admin2
10 Jun 2021 1:27 PM GMT
लघु वनोपज बनी वनवासियों की ताकत : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि जो लघु वनोपज किसी समय शोषण का जरिया थी, वे राज्य सरकार की योजनाओं से आज वनवासियों की ताकत बन गई हैं। राज्य सरकार ने वनवासियों को वन अधिकार पट्टा देने के साथ वनों के संसाधनों पर गांवों को भी अधिकार दिया है। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के साथ-साथ ग्रामीण और पंच-सरपंचों में भी इस योजना के माध्यम से अपनी पंचायत की आमदनी बढ़ाने के लिए उत्साह दिख रहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में गरियाबंद और कबीरधाम जिले में विकास कार्याें के लोकार्पण और भूमिपूजन के वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए।

मुख्यमंत्री बघेल ने दोनों जिलों को लगभग 582 करोड़ रूपए की लागत के 1270 कार्याें की सौगात दी। उन्होंने गरियाबंद जिले के लिए 357 करोड़ 23 लाख रूपए की लागत के 516 कार्याें का और कबीरधाम जिले में 224 करोड़ 75 लाख रूपए की लागत के 754 कार्याें का लोकार्पण और भूमिपूजन किया और दोनों जिलों में विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों से चर्चा कर योजनाओं का फीड बेक लिया।

मुख्यमंत्री ने हितग्राहियों से चर्चा के बाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के गांवों को जैसा आकार देने की राज्य सरकार की सोच थी, हमारे गांव वैसा ही आकार ले रहे हैं। राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से किसानों की आय बढ़ रही है, खेतों के लिए पानी की व्यवस्था हो रही हैै, माता-बहनों और बच्चों को सुपोषण मिल रहा है और लोगों को रोजगार मिल रहा है। महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाकर उनके सशक्तिकरण की परिकल्पना भी सुराजी गांव योजना से साकार हो रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में जब पूरे देश को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा था, तब भी छत्तीसगढ़ के गांवों में हमारी बहनों ने उत्पादन किया और अच्छी आमदनी प्राप्त की। वनोपजों के संग्रहण से वनवासी नून-तेल का खर्च भी मुश्किल से निकाल पाते थें, वहीं बिचौलिए और बड़े-बड़े व्यापारी वनोपजों को खरीदकर लाखों कमाते थे। राज्य सरकार ने 52 प्रकार की वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की पहले सिर्फ 7 प्रकार की वनोपजें ही समर्थन मूल्य पर खरीदी जाती थी। वनोपजों के संग्रहण के साथ प्रसंस्करण का काम भी महिला स्व-सहायता समूहों को दिया गया, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही है। छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण की पारिश्रमिक 2500 रूपए से बढ़ाकर देश में सबसे ज्यादा 4 हजार प्रति मानक बोरा कर दी गई है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों को उनकी फसल के लिए आदान सहायता मिल रही है, इस वर्ष योजना का विस्तार किया गया है। सुराजी गांव योजना में स्थापित गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ साग-सब्जी उत्पादन और विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से बड़ी संख्या में महिलाओं को कोरोनाकाल में भी रोजगार मिला है।

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