मंत्री टीएस सिंहदेव ने आचार्यश्री को श्रीफल समर्पित कर लिया आशीर्वाद
रायपुर। साधना महोदधि अंतर्मना आचार्यश्री प्रसन्न सागर की महाराज ने ससंघ मंगलवार को खंडेलवाल दिगंबर जैन मंदिर फाफाडीह में मंगल प्रवेश किया। आचार्यश्री के साथ 3 मुनिश्री,8 माता जी एवं 4 छुल्लक जी का आगमन रायपुर में हुआ। सन्मति नगर में मंगल प्रवेश पर जैन मुनियों के जयकारे से शहर गुंजायमान हो उठा। प्रवेश मार्ग पर जगह-जगह आर्टिस्ट ने रंगोलियां उकेरी। गाजे-बाजे के साथ पारंपरिक परिधानों में दिगम्बर जैन समाज के गुरुभक्तों ने आचार्यश्री ससंघ की स्वागत किया।
छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव आचार्यश्री का आशीर्वाद लेने फाफाडीह मंदिर पहुंचे। उन्होंने आचार्यश्री को श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद लिया। खंडेलवाल दिगंबर जैन पंचायत सन्मति नगर फाफाडीह ने मंत्री टीएस सिंहदेव का तिलक और माला पहनाकर सम्मान किया। इस दौरान आचार्यश्री ने मंत्री सिंहदेव को मंगल आशीर्वाद दिया।
खंडेलवाल दिगंबर जैन मंदिर सन्मति नगर फाफाडीह के अध्यक्ष अरविंद बड़जात्या ने बताया कि अत्यंत ही सौभाग्य का अवसर रहा जब अंतर्मना आचार्यश्री 108 प्रसन्न सागर जी ससंघ शिखरजी से उदगांव कोल्हापुर की ओर विहार करते हुए 25 अप्रैल को सुबह सन्मति नगर फाफाडीह मंदिर जी में मंगल प्रवेश किए। सुबह 6:30 बजे शंकर नगर मंदिर जी से क्रिस्टल आर्केड,अवंती बाई चौक, मंडी गेट, नारायणा हॉस्पिटल होते हुए पहुंचे। सुबह 7 बजे लाल चौक पर एकत्रित होकर दिगंबर जैन समाज ने आचार्यश्री ससंघ को गाजे-बाजे के साथ पीली बिल्डिंग मेन रोड से गली नंबर 4 होते हुए श्री खंडेलवाल दिगंबर जैन मंदिर फाफाडीह में मंगल प्रवेश कराया।
भव्य मंगल प्रवेश में शामिल पुरुष सफेद कुर्ता पजामा और महिलाएं लाल चुनरी व घाट, बालिकाएं चौमासा वाली लाल कुर्ती पहनी थीं। मंदिर जी में प्रवेश के बाद आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन अध्यक्ष अरविंद बड़जात्या, महासचिव सुरेश पाटनी सहित पदाधिकारियों ने किया।
सुबह मंदिर में मंगल प्रवेश के पश्चात शांति धारा करने का सौभाग्य उमेश कुमार जैन को प्राप्त हुआ। इसके पश्चात आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन दिया। गुरु भक्तों ने आहार चर्या कराई। सभी उपस्थितजनों के लिए वात्सल्य भोज का आयोजन किया गया। दोपहर 1 से 2 के बीच स्वाध्याय एवं 2:30 गुरु पूजा का कार्यक्रम भक्ति भाव से संपन्न हुआ
अरविंद बड़जात्या ने बताया कि पूज्य गुरूवर ने अपने दीक्षा काल में अनेकों व्रत उपवास पूरे किये हैं। आचार्यश्री 557 दिन मौन रहें। इन 557 दिन के दौरान 496 दिन उपवास व 61 पारणा हुआ। पूज्य गुरुवर सम्मेद शिखरजी से चलकर 800 किलोमीटर की यात्रा पर रायपुर पहुंचे हैं रायपुर से आगे बढ़ो 100 किलोमीटर की यात्रा कर उदगांव महाराष्ट्र जाएंगे यहां आचार्य श्री चातुर्मास प्रवेश करेंगे 4 माह में 2000 किलोमीटर यात्रा होगी। ऐसे महान तपस्वी साधक को सकल दिगम्बर जैन समाज,भारतवर्ष- बारंबार नमन करता है।
आचार्यश्री ने मंगल आशीष में कहा कि स्वाध्याय दूसरों को सुधारने की प्रथा नहीं है,बल्कि स्वाध्याय स्वयं को सुधारने के लिए किया जाता है। अपने आप को निखारने के लिए स्वाध्याय है। अच्छे बनने में पुरुषार्थ है लेकिन अच्छे दिखने में पुरुषार्थ की आवश्यकता नहीं। दूसरों की नजरों में अच्छा बनने के लिए अच्छा मत बनो,जिस दिन खुद की नजरों में अच्छे बन जाओगे उस दिन धर्मात्मा बन जाओगे। आप दर्पण में अपना चेहरा देखते हो,दर्पण चेहरे का दाग बताता है। ये ग्रंथ भी दर्पण के समान है, अपनी कमजोरी अपने आप दूर करो। आंखों को अपना दर्पण बनाओ,रोज एक बुराई दूर करो। अपने मन को मांजना अपनी कमियों को दूर करना स्वाध्याय है। आचार्यश्री ने कहा कि पाठ को पाठ की तरह करो, सपाट मत करो। माला मन से फेरो,गिनती करने के लिए नहीं। चार-पांच बार पूजा करना, चार-पांच बार मंदिर जाने से अच्छा है,एक बार पूजा करो लेकिन चार-पांच पूजा जैसा आनंद आए। एक बार मंदिर जाओ लेकिन भगवान को ऐसे निहारो की मंदिर के बाहर हो तब भी परमात्मा की छवि सामने रहे। लोग मेरे से पूछते हैं कि आपने भगवान को देखा ? मैं कहता हूँ जब कोई अपना नजर नहीं आता है तो परमात्मा ही परमात्मा नजर आते हैं।