बिलासपुर। जांजगीर के पिहरीद में बोरवेल में फंसे को राहुल साहू को 106 घंटे की मशक्कत के बाद सुरक्षित बाहर निकाला गया. इसके बाद देर रात ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल में लाया गया है. हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम राहुल के देखभाल के लिए तैनात की गई है. हॉस्पिटल मैनेजमेंट के अनुसार, राहुल स्टेबल है. सुबह 10 बजे मेडिकल बुलेटिन जारी किया जाएगा.
12 वर्षीय राहुल साहू को इलाज के लिए मंगलवार देर रात अपोलो हॉस्पिटल लाया गया. एम्बुलेंस में डॉक्टरों की टीम के साथ परिजन मौजूद भी मौजूद रहे. इस दौरान राहुल का बीपी, शुगर, हार्टबीट नॉर्मल था. राहुल लंग्स भी क्लियर है. उसकी स्थिति इतनी बेहतर थी कि वह बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के ही हॉस्पिटल पहुंचा. राहुल ने रास्ते में ग्लूकोज भी लिया.
बता दें कि जांजगीर-चाम्पा जिले के अंतर्गत मालखरौदा ब्लॉक के ग्राम पिहरीद में 11 वर्षीय बालक राहुल साहू अपने घर के पास खुले हुए बोरवेल में गिरकर फंस गया था। 10 जून को दोपहर लगभग 2 बजे अचानक घटी इस घटना की खबर मिलते ही जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में तैनात हो गई। समय रहते ही ऑक्सीजन की व्यवस्था कर बच्चे तक पहुंचाई गई। कैमरा लगाकर बच्चे की गतिविधियों पर नज़र रखने के साथ उनके परिजनों के माध्यम से बोरवेल में फंसे राहुल पर नजर रखने के साथ उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा था। उसे जूस, केला और अन्य खाद्य सामग्रियां भी दी जा रही थी। विशेष कैमरे से पल-पल की निगरानी रखने के साथ ऑक्सीजन की सप्लाई भी की जा रही थी। आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था और एम्बुलेंस भी तैनात किए गए थे। राज्य आपदा प्रबंधन टीम के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन (एनडीआरएफ) की टीम ओडिशा के कटक और भिलाई से आकर रेस्क्यू में जुटी थी। भारतीय सेना के कर्नल चिन्मय पारीक अपने टीम के साथ इस मिशन में जुटे थे। रेस्क्यू से बच्चे को सकुशल निकालने के लिए हर सम्भव कोशिश की गई।
देश के सबसे बड़े रेस्क्यू के पहले दिन 10 जून की रात में ही राहुल को मैनुअल क्रेन के माध्यम से रस्सी से बाहर लाने की कोशिश की गई। राहुल द्वारा रस्सी को पकड़ने जैसी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिए जाने के बाद परिजनों की सहमति और एनडीआरएफ के निर्णय के पश्चात तय किया गया कि बोरवेल के किनारे तक खुदाई कर रेस्क्यू किया जाए। रात लगभग 12 बजे से पुनः अलग-अलग मशीनों से खुदाई प्रारंभ की गई। लगभग 60 फीट की खुदाई किए जाने के पश्चात पहले रास्ता तैयार किया गया। एनडीआरएफ और सेना के साथ जिला प्रशासन की टीम ने ड्रीलिंग करके बोरवेल तक पहुंचने सुरंग बनाया। सुरंग बनाने के दौरान कई बार मजबूत चट्टान आने से इस अभियान में बाधा आई। बिलासपुर से अधिक क्षमता वाली ड्रिलिंग मशीन मंगाए जाने के बाद बहुत ही एहतियात बरतते हुए काफी मशक्कत के साथ राहुल तक पहुचा गया।