एमबीबीएस डॉक्टर ने महिला डॉक्टर से मांगी सार्वजनिक माफी, बदनाम करने दुष्प्रचार का आरोप
रायपुर। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण शशिकांता राठौर, डॉ अनीता रावटे एवं अर्चना उपाध्याय ने शास्त्री चौक स्थित राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की।
आज बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा के शासकीय हॉस्पिटल के प्रकरण में उभय पक्षों को विस्तार से सुना गया।दोनो पक्ष शासकीय एमबीबीएस डॉक्टर है। आवेदिका ने बताया कि जब जॉइनिंग की थी, तब अनावेदक द्वारा लोगो के बीच मेरी डिग्री फर्जी है कहकर दुष्प्रचार किया और आवेदिका एमबीबीएस डॉक्टर नही है और अपने पति के पैसों के दम पर शासकीय हॉस्पिटल में जॉइन की है। साथ ही साथ मेरे दस्तावेजों को अवैधानिक रूप से निकलकर उसे पत्रकारों को भी दिया। जिन्होंने उसे पूरा लोहंडीगुड़ा में वायरल किया और मुझे ऑफिस के चपरासी से लेकर पूरा स्टाफ शक की नजर से देखते हैं। जिसके कारण मैं मानसिक तनाव में रहती हूं। आयोग की समझाइश दिए जाने पर अनावेदक जो लोहंडीगुड़ा बस्तर में मेडिकल ऑफिसर के पद पर पदस्थ है उन्होंने आयोग के समक्ष अपनी गलती को स्वीकार किया और आवेदिका की मानहानि का सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का प्रस्ताव रखा। आवेदिका अनावेदक को सख्त से सख्त सजा दिलाना चाहती है। आवेदिका को समझाइश दिया गया कि सार्वजनिक माफी ही इसकी सबसे बड़ी सजा है। आवेदिका इसके लिए तैयार हुई अनावेदक ने आयोग के समक्ष आवेदिका से सार्वजनिक माफी मांगी जिसका वीडियो को इस प्रकरण के रिकॉर्ड में रखा गया है। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने आयोग के समक्ष किये गए निर्देशों का पालन नही किया है। केवल एक दिन ही मकान बनाने का काम शुरू किया था और फिर काम बंद कर रखा है।इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अनावेदक आवेदिका के मकान बनाकर देने की नीयत नही रखता है। इस प्रकरण में अनावेदक को थाना प्रभारी के माध्यम से आगामी सुनवाई में उपस्थिति हेतु निर्देश दिया गया।इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि नवम्बर 2021 से बिना सूचना के उनका वेतन रोक दिया है।वेतन के नाम पर अनावेदकगणों द्वारा रुपये की मांग किया जा रहा है।अनावेदक ने कहा कि आवेदिका झूठे आरोप लगा रही है। हकीकत यह है कि आवेदिका ने 21 वर्ष की पात्रता होने के बावजूद कम उम्र में ही नौकरी प्राप्त किया था। जिसका विभाग द्वारा जांच किया गया और आवेदन की जांच करने वाले व्याख्याता की वेतन वृद्धि भी रोकी गयी है। आयोग ने इस प्रकरण से सम्बंधित समस्त दस्तावेजों को आगामी सुनवाई में प्रस्तुत करने के निर्देश अनावेदक को दिए।