रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गौठानों में तैयार हो रही वर्मी कम्पोेस्ट खाद की गुणवत्ता एवं इसके फायदे के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार किए जाने के साथ ही इसकी मार्केटिंग की प्रबंध किया जाना जरूरी है, ताकि इसका लाभ राज्य के किसानों को मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्मी खाद के उपयोग के लिए किसानों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति और उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ उत्पादित खाद्यान्न की पौष्टिकता भी अच्छी होती है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना की समीक्षा के दौरान उक्त बाते कहीं। इस मौके पर उन्होंने गोधन न्याय योजना के तहत ग्रामीणों एवं पशुपालकों द्वारा विक्रय किए गए गोबर की एवज में 3 करोड़ 86 लाख रूपए की 13वीं किश्त की राशि का ऑनलाइन अंतरण किया। गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में अब तक 75 करोड़ 48 लाख रूपए की राशि गोबर विक्रेताओं को भुगतान की जा चुकी है। इस अवसर पर गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी, कृषि विभाग के आयुक्त श्री अमृत कुमार खलखो सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में क्रय किए जा रहे गोबर से बड़ी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण जारी है। वर्तमान में गौठानों में लगभग 61 हजार वर्मी टांके वर्मी खाद तैयार किए जाने के लिए भरे गए हैं। इससे लगभग 12 लाख क्विंटल वर्मी खाद तैयार होने की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि वर्मी खाद की मार्केटिंग जरूरी है ताकि गौठानों में खाद निर्माण की निरंतरता जारी रहे। उन्होंने प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से वर्मी खाद के विक्रय की व्यवस्था के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए सोसायटीवार खाद की मांग का आंकलन किया जाना चाहिए। उन्होंने वर्मी खाद के प्रचार-प्रसार एवं इसके उपयोग के लिए किसानों को प्रेरित करने के उद्देश्य से जिलों में कार्यशाला का आयोजन करने की भी बात कही। मुख्यमंत्री ने वन विभाग एवं नगरीय प्रशासन विभाग को आवश्यकता के अनुसार गौठानों से वर्मी खाद की क्रय करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि इस योजना के तहत गोबर विक्रेताओं को हर पखवाड़े नियमित रूप से राशि का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गौठानों में लगभग 66 हजार क्विंटल वर्मी खाद का उत्पादन एवं लगभग 28 हजार क्विंटल वर्मी खाद का विक्रय हो चुका है। इस अवसर पर कृषि विभाग के आयुक्त श्री अमृत कुमार खलखो ने पावरपाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से गोधन न्याय योजना की प्रगति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में 9 हजार 182 गौठान स्वीकृत हुए हैं, जिसमें से 5 हजार 201 गौठानों का निर्माण हो चुका है। योजना के अंतर्गत पंजीकृत 2 लाख 14 हजार 201 पशुपालकों में से अब तक 1 लाख 47 हजार 926 पशुपालकों से 37 लाख 74 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है, जिसके एवज में उन्हें 75 करोड़ 48 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। इस योजना से अन्य पिछड़ा वर्ग के 47.40 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के 41.20 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के 7.8 प्रतिशत ग्रामीण पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं, जिसमें 44.50 प्रतिशत महिलाएं हैं।