छत्तीसगढ़

संगठन में हावी होने की फिराक में मरकाम

Nilmani Pal
14 July 2022 6:08 AM GMT
संगठन में हावी होने की फिराक में मरकाम
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प्रदेश कांग्रेस में बढ़ रहा सत्ता-संगठन के बीच दरार

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सत्ता और संगठन में दरार बढ़ती जा रही है। एक ओर जहां पीसीसी अध्यक्ष संगठन पर अपना दबदबा बनाने हर संभव कोशिश में जुटे हैं तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री की पीसीसी की गतिविधियों को लेकर लगातार नाराजगी सामने आ रही है। पिछले दिनों राजीव भवन में प्रदेश पदाधिकारियों की मीटिंग में काफी नोंकझोंक हुई थी, इसे इसी का नतीजा बताया जा रहा है। इस मीटिंग के तुरंत बाद मोहन मरकाम दिल्ली रवाना हो गए ऐसा उनके समर्थक बता रहे थे लेकिन हम इसकी पुष्टि नहीं करते। यह भी बताया जा रहा है कि वह सीएम द्वारा आयोजित भोज में भी शामिल नहीं हुए। दरअसल मोहन मरकाम संगठन में बिना दबाव और दखलदांजी के सारे बदलाव और नियुक्तियां हाईकमान के साथ सीधी मीटिंग कर करना चाहते हैं। यहां तक कुछ बड़ा फेरबदल भी वह करना चाहते हैं जिसके लिए हाईकमान की रजामंदी जरूरी है।

सूत्रों से जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार मोहन मरकाम पुराने दौर के पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल के रहते हुए सुभाष शर्मा को प्रदेश महामंत्री पद से हटाए जाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात करते हुए संगठन खेमे में अपना वर्चस्व बनाए रखने लगातार जुटे हुए हैं और उसी के तहत यह कहते भी नहीं चूक रहे कि जब भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष थे तब उन्होंने अपनी मनमर्जी से सभी पदाधिकारी को कार्य विभाजन किया था और पदाधिकारी बनाया था अब मैं प्रदेश अध्यक्ष हूं तो मैं अपनी मर्जी क्यों नहीं चला सकता। इसी का उदाहरण लेकर वे बार-बार सब पदाधिकारियों का प्रभार बदलते जा रहे हैं और अपने लोगों को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जगह देते जा रहे हैं इसी क्रम में वे रामगोपाल अग्रवाल को हटाकर अपने पसंद के नेता को नियुक्त करना चाहते हैं। खबर है कि मरकाम इन दिनों मुकुल वासनिक के काफी करीब बने हुए हैं और उन्हीं क भरोसे वे संगठन में अपना दबदबा बनाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने एक नए नए पदाधिकारी को काफी अधिकार दिए हुए हैं और उसके माध्यम से अपने निर्णयों को क्रियान्वित कर रहे हैं।

दूसरी ओर पीसीसी अध्यक्ष के क्रियाकलापों से मुख्यमंत्री समर्थित पदाधिकारियों और नेताओं में नाराजगी है। संगठन और निगम-मंडलों में नियुक्ति को लेकर पिछले दिनों हुइ बैठक में कुछ पदाधिकारियों ने उनपर मनमानी का आरोप लगाया था जिससे पीसीसी अध्यक्ष झल्ला गए थे। बीआरओ की सूची जारी करने में देरी को लेकर भी उनपर सवाल उठाए गए। स्वयं सीएम ने भी सूची दबाए रखने पर नाराजगी जताई थी। कांग्रेस की बैठक में कांग्रेस की सत्ता और संगठन के बीच की दरार सार्वजनिक हो गई है। इसे देखते हुए लगने लगा है कि आने वाले दिनों में यह दरार और चौड़ी हो सकती है। सत्ता समर्थक नेता यह भी दावा कर रहे हैं कि चुनाव आते आते पीसीसी अध्यक्ष भी पद से हटाए जा सकते हैं।

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