रायपुर। सीएम भूपेश बघेल ने समाज सुधारिका व मराठी कवयित्री सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया। बघेल ने कहा कि उन्होंने दलितों की सेवा, महिलाओं के सशक्तीकरण और शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके कार्य हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।
सावित्री बाई फूले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के पुणे से 50 किलोमीटर दूर सतारा जिले में के नैगांव नाम के ग्राम में हुआ था. माली समुदाय के माता पिता की वे सबसे छोटी बेटी थीं. 9 साल की उम्र में ही सावित्री का विवाह ज्योतीबा फूले (उस समय 13 साल की उम्र) से हो गया था.
फूले दंपत्ति की खुद की कोई संतान नहीं थी. बताया जाता है कि उन्होंने एक ब्राह्मण विधवा के पुत्र यशवंत राव को गोद ले लिया था. फूले परिवार ने खुद भी सामाजिक कुरीती का दंश तब झेला था जब यशवंतराव का विवाह लोग सिर्फ इसलिए करने के लिए तैयार नहीं हुए क्योंकि उसने विधवा से जन्म लिया था. इसलिए सावित्रीबाई ने अपनी संस्था की कर्मचारी देनोबा सासाने की बेटी से विवाह कराया था.
शादी के समय सावित्री अशिक्षित थीं. खुद ज्योतिराव ने अपने पत्नी को शिक्षित किया और इसके लिए उन्होंने अपनी पत्नी और चचेरी बहन की घर में ही पढ़ाई की व्यवस्था और पूरा सहयोग किया. पढ़ाई पूरी करने के साथ सावित्रीबाई ने पहले अहमदनगर के अमेरिकन मिशनरी सिंथिया फरार द्वारा और उसके बाद पुणे के नॉर्मल स्कूल से शिक्षकों का प्रशिक्षण लिया. बताया जाता है कि 17 साल की उम्र में वे पहली महिला शिक्षक तो बनी ही पहली महिला प्रधानाध्यापिका भी बनीं.