धमतरी. धमतरी जिले में बारिश के दिनों में मलेरिया की रोकथाम के लिए तमाम तैयारी करने का दावा स्वास्थ्य विभाग व्दारा किया जाती है, लेकिन हर साल बारिश के सीजन में स्वास्थ्य विभाग की तैयारी की पोल खुल जाती है। जिले में करीब डेढ सौ गांव ऐसे है जो मलेरिया संवेदनशील के लिए चिन्हांकित है वहीं तीन साल पहले जिले के करीब डेढ़ लाख परिवारों को मच्छरदानी का वितरण किया गया था। अब मलेरिया जोखिम वाले गांवों के अधिकांश लोगों के पास मच्छरदानी नहीं हुआ है।
दरअसल जो गांव पहाड़ व नदी किनारे बसे हैं वंहां मच्छर ज्यादा पनपते है। ऐसे करीब 157 गांव है जो मलेरिया संवेदनशील के लिए चिन्हाकित है। जिले के जिन क्षेत्रों को ज्यादा जोखिम के रूप में चिन्हांकित किया गया है उसमें नगरी मगरलोड और धमतरी का डूबान क्षेत्र शामिल है। हर साल इन्हीं क्षेत्रों से मलेरिया के मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। गौरतलब है कि मच्छरदानी के उपयोग और दवा के छिडकाव से मलेरिया से बचा जा सकता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग व्दारा मलेरिया से बचाव के लिए हर साल सिर्फ खाना पूर्ति किया जाता है। मलेरिया जोखिम क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि बीते तीन सालों से मच्छरदानी का वितरण नही किया गया है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग व्दारा गांवों में दवा का छिड़काव भी नहीं कराया जाता है जिससे कई लोगों को मलेरिया का शिकार होना पड़ता है।