छत्तीसगढ़

ग्राम हीरामादला से कोण्डागांव जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का हुआ शुभारंभ

Admin2
16 Jun 2021 11:21 AM GMT
ग्राम हीरामादला से कोण्डागांव जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का हुआ शुभारंभ
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छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य को मलेरिया से मुक्त करने के लिये पूरे राज्य में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान चलाने का निर्णय लिया था। जिसके तहत् मंगलवार को कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के निर्देशन में विकासखण्ड कोण्डागावं ग्राम हीरामादला में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान प्रारंभ किया गया। इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ टी.आर कुवर, जिला कार्यक्रम प्रबंधक सोनल ध्रुव, खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ सूरज राठौर सहित स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्थानीय सरपंच, ग्राम के अन्य जनप्रतिनिधी एवं ग्रामीण पहुंचे थे। इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने ग्रामीणों को मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी के प्रयोग, पानी के जमाव को रोकने, शाम को ढके हुए कपड़े पहनने के साथ मलेरिया के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जा कर रक्त जांच करा कर दवाईया लेने को कहा।

उल्लेखनीय है कि इस अभियान के तहत् आगामी 31 जुलाई तक जिले के सभी चिन्हाकिंत 99 ग्रामों में मलेरिया के कारणों एवं उससे बचाव के लिए प्रयासों हेतु सर्वे का कार्य किया जायेगा। इस सर्वे में मलेरिया हेतु रक्त जांच के साथ-साथ रजिस्टर में जानकारी का संधारण, आरडी टेस्ट में कोड नंबर अंकित करना, धनात्मक पाये गये मरीज को दवा की प्रथम खुराक का सेवन कराना, नेल मार्किंग आदि किया जाएगा। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के सफलता पूर्वक संचालन के संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ टी.आर कुवर के द्वारा अभियान के प्रारंभ होने के पूर्व समस्त खण्ड चिकित्सा अधिकारी विकासखण्ड, कार्यक्रम प्रबंधक, बीटीईओ की बैठक आयोजित कर उन्हे मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की प्रारंभिक तैयारियां पूर्ण करने एवं अभियान को संचालित करने के लिए दिशा निर्देश दिये गये है। इस दौरान कोविड-19 के सभी निर्देशों का पालन किया किया जायेगा।

ज्ञात हो कि इस अभियान के पूर्व बस्तर संभाग के आकांक्षी जिलों में मलेरिया से प्रभावित ग्रामों में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान चलाया गया था। जिसका व्यापक असर देखने को मिला था। भारत सरकार द्वारा जारी एपीआई रिपोर्ट के अनुसार प्रति हजार आबादी में औसत 5.21 व्यक्ति मलेरिया से पीड़ित हुआ करते थे 5 वर्षों में यह संख्या घटकर मात्र 1.17 रह गयी है। इस अभियान की प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) तथा नीति आयोग द्वारा भी की गयी है।

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