छत्तीसगढ़

आदिवासी जन जीवन में अहम महुआ, सांस्कृतिक पहचान के साथ बढ़ रही आमदनी

Shantanu Roy
20 April 2023 6:28 PM GMT
आदिवासी जन जीवन में अहम महुआ, सांस्कृतिक पहचान के साथ बढ़ रही आमदनी
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छग
दंतेवाड़ा। बस्तर अंचल विभिन्न वनस्पति व प्रकृति से भरी हुई है। यहां पर ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत आदिवासी इन अंचलों में पाए जाने वाले वनों पर आश्रित रहते हैं इसी तरह दंतेवाड़ा जिले के अधिकांश आदिवासी महुआ के पेड़ पर निर्भर हैं जिले में महुआ का पेड़ बहुतायत मात्रा में पाये जाते है और क्षेत्रीय बोली में जैसे हल्बी में मोउ रूक व गोंडी में ईरू मराम के नाम से आमतौर पर गांव में जाना जाता है। एक तरह से कहा जा सकता है कि यह आदिवासियों के लिए वर्षों से आय का स्त्रोत बना हुआ है, महुआ के पेड़ के अनेक फायदे है, महुआ के सीजन में पेड़ों पर जब फूल लगते हैं, स्थानीय ग्रामीणों की ओर से पूरा परिवार बिनने के लिए जुटा हुवा होता है, इसके फलों को सुखाकर बाजार में बेचा जाता है और अच्छी खासी आमदनी प्राप्त करते हैं, यहां के रहवासियों की ओर से धार्मिक मान्यताओं से जोड़ते हुए इन फूलों से मद्यपान भी बनाया जाता हैं, जिनका उपयोग ग्रामीण अपने धार्मिक अनुष्ठानों में भी करते हैं। देवताओं को अर्पण करने के पश्चात ग्रामीण स्वयं ग्रहण भी करते है। आधुनिक दौर में महुआ के फूलों की महत्वता और बढ़ गई है, इससे अब औषधीय गुण होने के कारण इसका उपयोग कर जिले में महुवा के लड्डू, चिक्की भी बनाई जा रही है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए लाभदायक सिद्ध हो रहा है। क्षेत्र की दीदियों को रोजगार भी मिल रहा है महुआ के पेड़ पर फल भी होता है। जिससे क्षेत्रीय हल्बी बोली में टोरा कहते है। इन फलों से तेल भी निकलते है और तेल का उपयोग खाना बनाने में भी किया जाता है। ग्रामीणों द्वारा टोरा फल की सब्जी बनाकर भी खाया जाता है।
शासन प्रशासन का हमेशा प्रयास रहा है की ग्रामीण क्षेत्रों को उनके कार्यों के लिए सहयोग प्रदान किया जाएं। इसके लिए शासन व संबंधित विभाग की ओर से समय-समय उनके हित में कार्य किए जा रहे है। वर्तमान में राज्य सरकार की ओर से इसके लिए समर्थन मूल्य भी निर्धारित की गई। जिससे ग्रामीणों को अच्छी आमदनी अर्जित होती है। साथ ही फूड ग्रेड महुआ संग्रहण के लिए संग्राहकों को फीश नेट व सोलर ड्रायर प्रदान किया जाता है। जिससे संग्राहक 04-05 वर्षों तक उपयोग कर सकता है। प्रति महुआ वृक्ष औसतन 04 नग नेट लगाया जाता है, साथ ही प्रत्येक हितग्राही को 2-2 नग प्लास्टिक कैरेट संग्रहण के लिए प्रदान किया गया है। पूर्व में क्षेत्र के आदिवासी संग्राहकों की ओर से महुआ फूल का संग्रहण जमीन पर सुखाने के पश्चात् स्थानीय बाजारों में व्यापारियों को 30-40 रुपए प्रति किया. की दर से विक्रय किया जाता रहा है, जिससे उन्हें उचित लाभ प्राप्त नहीं हो पाता था। वर्तमान में वैज्ञानिक पद्धति से फूड ग्रेड महुआ संग्रहण के लिए विभाग की ओर से प्रति संग्राहक फिशनेट, ग्राउंड स्ट्रक्चर व सोलर ड्रायर प्रदाय किया जा रहा है। संबंधित विभाग की ओर से कच्चा महुआ फूल क्रय किया जाता है, जिसे सुखाने पर 15 से 20 प्रतिशत उच्च गुणवत्ता के महुआ फूल प्राप्त होता है। बाजार दर की तुलना में संग्राहकों को पहले की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है। फूड ग्रेड महुआ फूल का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अत्यधिक मांग है, वर्ष 2021-22 में 70 संग्राहकों की ओर से 111.70 क्विंटल संग्रहण किया गया। वर्ष 2022-23 में 113 संग्राहकों की ओर से 537.90 क्विंटल संग्रहण किया गया। तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो संग्राहकों की संख्या के साथ संग्रहण में भी इजाफा हुआ है यह दर्शाता है कि शासन ने आदिवासियों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिसके फल स्वरूप आज अधिक लोग इस कार्य में जुड़ कर स्वरोजगार से जुड़ रहे हैं और आगामी दिवसों में भी यही उम्मीद की जा सकती है की अधिक से अधिक लोग इसका लाभ ले सकें।
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