जिला अस्पताल में धूल खा रही लाखों की मशीनें, हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान में
बिलासपुर। बिलासपुर स्थित जिला अस्पताल में खरीदी गई लाखों रुपयों की जांच मशीनों से जांच नहीं करने के मामले में हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव व छत्तीसगढ़ मेडिकल कारपोरेशन से जवाब मांगा है।
पिछले दिनों मीडिया में यह खबर आई थी कि जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की खून पेशाब की जांच भी नहीं हो रही है और वहां के लिए खरीदी गई लाखों रुपयों की मशीन दो चार माह बाद से धूल खा रही है। उक्त खबर को स्वतः संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने दो कोर्ट कमिश्नर अधिवक्ता पलाश तिवारी और सूर्या कवलकर से रिपोर्ट देने के लिए कहा था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जिला अस्पताल की 8 में से 6 मशीनों में जांच बंद हैं, जबकि ये मशीनें नई हैं। दो चार माह तक इस्तेमाल में लाने के बाद रीजेंट नहीं मिलने का कारण बताते हुए बंद कर दी गई है। सरकारी जिला अस्पताल में जांच नहीं होने के कारण मरीजों को निजी पैथोलैब में महंगी जांच करानी पड़ रही है। हाल के दिनों में जिला अस्पताल परिसर स्थित मातृ शिशु अस्पताल के 4000 से अधिक मरीजों को निजी लैब में जांच करानी पड़ी है।
उक्त रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव व छत्तीसगढ़ मेडिकल कार्पोरेशन बोर्ड के एमडी को शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने कहा है। इसमें कोर्ट ने लैब में स्थापित मशीनों की संख्या, उनकी खरीदी का वर्ष, उनसे की गई जांच की संख्या, रीजेंट की उपलब्धता आदि की जानकारी देने के लिए कहा गया है।