![दिन में तीन रूप बदलते है भगवान राजीव लोचन दिन में तीन रूप बदलते है भगवान राजीव लोचन](https://jantaserishta.com/h-upload/2025/02/13/4384101-untitled-29-copy.webp)
x
छग
Gariaband. गरियाबंद। राजिम का भगवान राजीव लोचन न सिर्फ आध्यात्मिक धार्मिक रूप से, बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। राजीव लोचन भगवान को लेकर क्षेत्र में कई किवदंतियां प्रसिद्ध है। काले पत्थर से बनी भगवान राजीव लोचन की मूर्ति की विशेषता यह है कि यह मूर्ति एक ही पत्थर से निर्मित जीवंत विग्रह है। जिसके कई प्रमाण यहां आने वाले श्रद्धालुओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलेगा। भगवान राजीव लोचन को प्रति शनिवार तेल चढ़ाया जाता है। यह तेल भगवान राजीव लोचन का विग्रह सोख लेता है, जो अपने आप में एक हैरात अंगेज करिश्मा है कि आखिर पत्थर की इस प्रतिमा में चढ़ाया हुआ तेल कहां चला जाता है। राजीव लोचन मंदिर के पूर्व मुख्य पुरोहित स्व. नारायण प्रसाद पांडेय ने दावा करते हुए ये बात बताई थी कि उनके शरीर में स्पर्श करने पर शरीर के रोम होने का एहसास मैंने एक बार नहीं कई बार किया है। इसके अलावा मान्यता है कि भगवान राजीव लोचन दिन में तीन स्वरूप बदलते हैं। प्रातः काल बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था और रात्रि कालीन वृद्धा अवस्था में उनके दर्शन किए जा सकते हैं। इन स्वरूपों का अनुभव किया जाना कई श्रद्धालुओं ने स्वीकार भी किया है। भगवान राजीव लोचन की पूजा अर्चना और श्रृंगार धार्मिक मान्यताओं के आधार आयोजित होने वाले पर्व और त्यौहार पर आधारित है। वर्षभर में जितने भी पर्व और त्यौहार आते हैं। उनका श्रृंगार उसी पर्व और त्यौहार के अनुरूप किया जाता है और उसी विधि विधान से उनका पूजन अर्चन होता है।
कहा जाता है कि पूर्व में भगवान राजीव लोचन रात्रि शयन आरती के बाद भोग लगाने की परंपरा नहीं थी। इसी लिए भूख लगने पर वे बूढ़े के वेश में राजिम के एक दुकान में जाकर खाने-पीने की वस्तु लेकर अपनी भूख शांत किया करते थे। एक बार मंदिर की कटोरी उसी हलवाई की दुकान पर देखकर मंदिर के पुजारी ने उनसे पूछा कि ये मंदिर का बर्तन तुम्हारे पास कहां से आया, जिसमें भगवान राजीव लोचन को भोग लगाया जाता है, तब उस हलवाई ने बताया कि रोज रात को एक बुजुर्ग व्यक्ति आते हैं और खाने-पीने की वस्तुएं मांग कर खाते हैं उसके बदले में उन्होंने मुझे यह बर्तन दिया। तब पुजारियों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने रात्रिकालीन सयन आरती के बाद भोग लगाने की परंपरा शुरू की और उनके विग्रह के सामने लकड़ी का एक पाटा लगाया गया, ताकि वे रात को निकलकर बाहर न जा सके। रात्रिकालीन सयन आती में उन्हें चावल से बना मिष्ठान जिसे अनरसा कहते है, उसका भोग लगाया जाता है। सुबह बाल भोग के रूप में उन्हें माखन मिश्री और दोपहर को उन्हें भोजन का प्रसाद चढ़ाया जाता है। राजीव लोचन मंदिर की पूजा पद्धति और प्रसाद जगन्नाथपुरी मंदिर के विधि विधान से काफी मिलते है। ऐसी मान्यता भी है कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ पुरी से भगवान राजीव लोचन के दर्शन करने राजिम आते हैं और इस दिन जो दिन के तीन पहर में भगवान राजीव लोचन के दर्शन करता है उसे जगन्नाथ पुरी यात्रा का पुण्य लाभ मिलता है।
Tagsछत्तीसगढ़ न्यूज हिंदीछत्तीसगढ़ न्यूजछत्तीसगढ़ की खबरछत्तीसगढ़ लेटेस्ट न्यूजछत्तीसगढ़ न्यूज अपडेटछत्तीसगढ़ हिंदी खबरChhattisgarh news in hindiChhattisgarh newsChhattisgarh latest newsChhattisgarh news updateजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारहिंन्दी समाचारजनताJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperjantasamachar newssamacharHindi news
![Shantanu Roy Shantanu Roy](/images/authorplaceholder.jpg?type=1&v=2)
Shantanu Roy
Next Story