छत्तीसगढ़

नोटिस, चेतावनी के बाद भी निजी अस्पतालों की 'लूट' जारी

Admin2
7 May 2021 6:25 AM GMT
नोटिस, चेतावनी के बाद भी निजी अस्पतालों की लूट जारी
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महामारी में मरीजों को लूटने वाले अस्पतालों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग सख्त, 62 को नोटिस देने की तैयारी

अग्निकांड, रेमडेसिविर की कालाबाजारी, शव को बंधक बनाने के बाद स्वास्थ्य विभाग नहीं जागा

अनाप-शनाप बिलिंग को लेकर आए दिन हो रहे मरीजों के परिजन और अस्पताल प्रबंधन के बीच जूतम-पैजार

बांठिया अस्पताल पर हुई कार्रवाई के बाद भी सबक नहीं लिया

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। निजी अस्पतालों में चल रही भर्राशाही रोकने शासन प्रशासन ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है उसके बाद भी अस्पतालों के चाल चरित्र में कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। पुलिस राजधानी अस्पताल के अंग्निकांड के दोषी फरार संचालक डाक्टरों की सरगर्मी से तलाश कर रही है, निजी अस्पतालों की विवादित गतिविधियों की जनता से रिश्ता लगातार प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर शासन-प्रशासन के संज्ञान में लाने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग निजी अस्पतालों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। निजी अस्पतालों के खिलाफ मिल रही शिकायतों को लेकर अब स्वास्थ्य विभाग बड़ी कार्रवाई करने जा रही है। सरकार की मंशा के अनुरूप मरीजों की डा. खूबचंद बघेल योजना एवं आयुष्मान योजना के तहत कोरोना मरीजों के लिए 20 प्रतिशत बेड आरक्षित नहीं करने पर 62 निजी अस्पतालों को नोटिस देने का मन बना लिया है। शुक्रवार को अस्पताल संचालकों को नोटिस मिल जाएगा।

मरीजों को नहीं मिला लाभ

कोरोना मरीजों को राज्य सरकार ने डा. खूबचंद योजना एवं आयुष्मान के तहत निजी अस्पतालों को इलाज के लिए अनुबंधित किया था, जो निर्धारित पैकेज पर इलाज करेंगे। लेकिन शासन के इस आदेश का पालन नहीं हुआ, मरीजों से मनमानी वसूली कर अस्पतालों ने अनुबंध को तोड़ा है। सरकारी आदेश के बाद भी मरीजों को दोनों योजना का कोई लाभ नहीं मिला।

दो डाक्टरों की हो चुकी है गिरफ्तारी

राजधानी अस्पताल में अग्निकांड मामले में डा. अरविंदो राय और डा. सचिन मल्ल को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जबकि डाक्टर विनोद लालवानी और संजय जाधवानी फरार है। कानून के जानकारों का कहना है कि उन विभागीय अधिकारियों को भी आरोपी बनाकर कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने अनुमति देने में लापरवाही की है। क्योंकि घटना में वे सभी अधिकारी भी उतने ही जिम्मेदार है।

फरार आरोपियों की अन्य जिलों और राज्यों में तलाश

राजधानी अस्पताल आगजनी मामले में दो डाक्टरों को गिरफ्तार कर जेल भेजने के बाद फरार डाक्टरों डा. विनोद लालवानी और संजय जाधवानी की तलास में पुलिस ने अवंति बिहार और देवेंद्र नगर स्थित घरों में दबिश दी, पुलिस अब आसपास के जिलों के साथ अन्य राज्यों में टीम भेजने की तैयारी कर रही है। जिसके लिए लोकेशन ट्रेस किया जा रहा है। आरोपियों ने पकड़े जाने के डर से फोन बंद कर रखा है। जिसके कारण पुलिस को हाफ-पार मारना पड़ रहा है।

आदेश की अवहेलना

अनुबंधित निजी अस्पतालों को योजना के तहत भर्ती कोरोना मरीजों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से तैयार पोर्टल में देनी है, लेकिन अधिकतर अस्पतालों इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। कोरोना जैसे गंभीर मामलों की जानकारी नहीं देकर एक तरह से सरकारी आदेश की अवहेलना कर अपनी उदंड़ता का परिचय दिया है।

-निजी अस्पतालों को 20 प्रतिशत बेड आरक्षित करने के निर्देश है, जिसका पालन नहीं हो रहा है। अस्पताल संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। पहले चेतावनी दी जाएगी, दूसरी बार लापरवाही पर कार्रवाई की जाएगी।

-डा. मीरा बघेल, सीएमएचओ रायपुर

एक और निजी अस्पताल की मनमानी और दादागिरी

राजधानी के टैगोर नगर स्थित जीवन अनमोल अस्पताल में रिपोर्टिंग के लिए गए पत्रकारों से अस्पताल प्रबंधन ने झूमा-झटकी की। मीडियकर्मियों के कैमरे छीन लिए गए। ये पूरा मामला जीवन अनमोल अस्पताल का है। जिसके संचालक डॉ. भीष्म शदाणी है, और इन डॉक्टर साहब के फार्मसी (मेडिकल) के बाउंसर द्वारा मीडियाकर्मियों के मोबाइल छीन लिए गए। इस अस्पताल में पूरी तरह से कालाबाजारी का खेल चल रहा है। इस अस्पताल में कई मरीजों को पहले बहला-फुसलाकर भर्ती करा लिया जाता है। उसके बाद अस्पताल प्रबंधन का असली खेल शुरू होता है। इसी मामले में रिपोर्टिंग करने गए पत्रकारों से अस्पताल प्रबंधन के स्टाफ ने झूमा-झटकी भी की।

मरीज के परिजनों की शिकायत पर जब जनता से रिश्ता की टीम अस्पताल पहुंची तो प्रबंधन से सही जानकारी और उनका पक्ष जानना चाहा तो अस्पताल के संचालक डॉक्टर वहां से भाग गए। ये खबर मरीज के परिजनों द्वारा बताये गए आधार ही लिखी जा रही है। जनता से रिश्ता इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है। लेकिन सच्चाई जानने के लिए लोकतंत्र का चौथा स्तंभ की जिम्मेदारी निभाते हुए निजी अस्पतालों में हो रही लूट को देखते हुए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और सच्चाई जानकर उस पर कार्रवाई कराने हेतु अवगत कराने का कार्य भी मीडिया के जिम्मेदारी होती है इसके पहले भी बांठिया अस्पताल की कारगुजारियां और मरीजों के साथ बदतमीजी, अवैध वसूली, दवाइयों की अनाप- शनाप बिल उगाही की गई जिसको जनता से रिश्ता समाचार पत्र में प्रमुखता से स्थान दिया। जिसके उपरांत जिला प्रशासन ने इस अस्पताल पर कार्रवाई करते हुए 14 दिनों के लिए लाइसेंस निलंबित कर दिया

इलाज के नाम पर लूट

अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों ने बताया कि उनको एक मुश्त रकम बताकर अस्पताल में मरीज को भर्ती करवा लिया गया। जिसके बाद मरीज के परिजनों से पैसों की मांग बढ़ती गई और बिल बना दिया 3 दिन का 90 हजार। ये सारे खेल अस्पताल प्रबंधन खेल रहा है और दोष मरीज के परिजनों पर मढ़ता जा रहा है।

इंजेक्शन हुआ 40 हजार का

मरीज के परिजनों ने पत्रकारों को बताया कि उनके मरीज को इलाज के लिए इंजेक्शन की जरूरत थी तो अस्पताल द्वारा 40 हजार लिया गया। उसके बाद उसे इंजेक्शन लगी या नहीं वो तो भगवान ही जाने। अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में पत्रकारों कुछ और ही कहानी सुनाई। इस वाक्या में अस्पताल प्रबंधन के रिसेप्सशन स्टाफ और फार्मेसी स्टाफ ने मिलकर बताया कि इंजेक्शन की कीमत 40 हजार नहीं बल्कि 42 हजार और 48 हजार होती है, और ये इंजेक्शन रायपुर सीएममो मीरा बघेल से अनुमति लिए बिना नहीं मिलता। अब अस्पताल प्रबंधन अपनी ही बातों में फंस गया क्योंकि इन्होंने मीरा बघेल के नाम का उपयोग चलते वीडियो में किया और ये सब कालाबाजारी करने वाले ईमानदार अधिकारियों का नाम लेकर लोगों को गुमराह करते है।

इस मामले में मीरा बघेल ने अस्पताल के खिलाफ बयान दिया है उन्होंने ने कहा है कि 40 हजार का इंजेक्शन होता है लेकिन जीवन अनमोल अस्पताल को नहीं दिया गया है। अगर अस्पताल इन मामलों में मेरा नाम उपयोग कर रहा है तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भर्ती करने से पहले 60 हजार जमा करना पड़ता है मरीज के परिजनों द्वारा ऑन वीडियो कैमरा ये बयान दिया गया है कि मरीज को भर्ती करने से पहले 60 हजार जमा कराने बोला जाता है। उसके बाद अस्पताल के लूट का सिलसिला शुरू होने लगता है।

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