छत्तीसगढ़

हम से नैन लगाना बीए पास करके, मोहे डिग्री दिखाओ जी...

Nilmani Pal
21 April 2023 5:47 AM GMT
हम से नैन लगाना बीए पास करके, मोहे डिग्री दिखाओ जी...
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ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

गुजरे जमाने की बात है एक फिल्म में जिसमें मुकेश जी और शमशाद बेगम का गाना जिसमें गाने का बोल था पहले डिग्री दिखाओ जी। हम से नैन लगाना बीए पास करके, हम से प्रीत लगाना बीए पास करके, मोहे डिग्री दिखाओ जी, मोहे डिग्री दिखाओ दिखाओ। यानी डिग्री का महत्व आज से नहीं पुराने जमाने से है। पहले लोग अपने घर के सामने नेमप्लेट लगाते वक्त नीचे में डिग्री लिखना नहीं भूलते थे, आज भी कई घरों में देखा जा सकता है। खैर वक्त बीतता गया और डिग्री घर बैठे भी मिलने लगा। अभी कुछ नेताओ ने प्रधानमंत्री जी की डिग्री देखने की जि़द पकड़ ली थी फिर देखते देखते पूरे देश में लोग डिग्री की ही बात करने लगे। एक पार्टी के नेता ने तो दिल्ली में डिग्री दिखाओ इनाम पाओ का केम्पेन भी चलाया। बहरहाल नेताओं ने प्रधानमंत्री से डिग्री मांग कर उनको और पार्टी नेताओ पशोपेश में डाल दिया है वहीं सूरज ने अप्रैल महीने में अपना 42 से ऊपर की डिग्री दिखाकर लोगो को परेशानी में जरूर डाल दिया है।

कर्नाटक का मतलब ही होता है. भाई कि नाटक करते रहो

कर्नाटक विधान सभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में सीएम भूपेश बघेल का भी नाम सबसे पहले है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां जोर लगा रही हैं। कांग्रेस राज्य में कम से कम 130 सीटें जीतेगी। वहीं, भाजपा ने भी विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से जीत का दावा कर रही है। भाजपा नेता के अन्नामलाई ने विश्वास जताया कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दक्षिण भारत के राज्यों के लिए बहुत कुछ किया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कर्नाटक का मतलब ही होता है कि नाटक करते रहो। यदि नाटक नहीं कर सकते तो सीधे सत्ता के सिंहासन में जोड़तोड़ कर बैठ जाओ। सीएम भूपेश कांग्रेस के स्टार प्रचारक तो हैं ही सरकार कैसे बनाना है ये भी अच्छी तरह जानते है। क्योंकि छत्तीसगढ़ में सरकार चलाने का मतलब यही है कि कहीं भी सरकार चला सकते हैं।

किसान फिर बने पहलवान

नई राजधानी के प्रभावित किसानों की मंत्री मंडलीय उपसमिति के साथ बैठक हुई। इसमें राज्य शासन की ओर से पट्टा देने पर सहमति बन गई है, लेकिन मुख्य मांग भू-अर्जन की समस्या पर फिलहाल शासन की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला। हालांकि पट्टा वितरण तक नई राजधानी के किसानों ने फिलहाल आंदोलन को टाल दिया है। पट्टा वितरण के बाद बाकी मुद्दों पर फिर से राज्य शासन से बात की जाएगी। छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री के निवास पर किसानों के साथ बैठक हुई। ग्रामीण बसाहट का पट्टा एनआरडीए द्वारा दिया जाएगा। प्रभावित गांवों में निस्तार के लिए श्मशान घाट, खेल मैदान, चारागाह आदि के लिए सर्वे कर जमीन चिह्नित किया जाएगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बसाहट पट्टा के क्या मायने है, किसको बसाया जाएगा? किसान तो पहले से ही बसे थे, उनको बसाने वालों का तो पहले से ही नवा रायपुर में उनका तो बंगला बन चुका है। वो मई में ही शिप्ट होने वाले है, ऐसे में किसानों को कहां बसाया जाएगा। जिन्होंने नवा राजधानी बसाने में अपनी पुस्तैनी जमीन दी है। बसाहट पट्टा मुआवजा होगा बोनस ?

71 या 90 पीसीसी चीफ कनफ्यूज

टिकट के लिए सर्वे को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहाकि सिर्फ 6 महीने का वक्त चुनाव आने में है। सरकार ने कई दौर का सर्वे कराया है। संगठन स्तर पर भी फीडबैक लगातार लिया जा रहा है। टिकट फाइनल होने से पहले हाईकमान भी सर्वे कराता है। हम तो यही चाहेंगे कि, यहीं सभी 71 विधायकों को टिकट मिले। लेकिन किसको टिकट देना है किसे नहीं ये हाईकमान तय करेगा। कहीं कमियां है, तो उसे दूर करने के निर्देश सरकार और संगठन स्तर से दिए जा रहे हैं। सर्वे के माध्यम से फीडबैक मिलता है, जिसके मुताबिक हम आगे काम करते हैं।

मरकाम ने कहा, बूथ की समीक्षा की गई है। जिन ब्लॉक में बूथ नहीं बने हैं, वहां पर निर्देश दिए हैं. 90प्रतिशत बूथ बन चुके हैं। आने वाले दिनों में विधानसभा वार ट्रेनिंग दी जाएगी। बूथ लेवल पर कमेटी को लेकर उन्होंने कहा, 31 सदस्यों की कमेटी बनती है हमने उनसे कहा है सभी वर्गों को ध्यान में रखकर कमेटी बनाई जाए। चुनाव के समय मतदाता के बीच जाने में सहूलियत होगी।जनता में खुसुर-फुसुर है कि टिकट तो 90 सीटों पर दिया जाएगा फिर मरकाम जी क्यों बार-बार 71 सीटों का गाना गा रहे है। लगता है मरकाम जी कनप्यूज है विधानसभा चुनाव 90 सीटों पर होगी और वो 71 पर ही अटके पड़े है। और सभी रिपीट होंगे तो बाकी कार्यकर्ता क्या जिंदगी भर दरी ही उठाते रहेंगे। ऐसे में तो उनको भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सीएम फीडबैक के बहाने निकाल रहे है रास्ता

भेंट-मुलाकात में सीएम सीधे लोगों से बात कर फीडबैक ले रहे है। टाटीबंध निवासी बलजीत कौर ने बताया कि 90-91 हजार रुपए का गोबर बेच चुकी हैं। डेयरी चलाती हैं। छह गाय है। मुख्यमंत्री से गोबर का रेट बढ़ाने कहा। इस पर मुख्यमंत्री ने मजाक में उनसे दूध का रेट कम करने कहा ताकि ग्राहकों का भी कुछ फायदा हो! मुख्यमंत्री से बात करते हुए राजीव युवा मितान क्लब के सदस्य भीम यादव ने मितान योजना को बहुत अच्छी योजना कही। भीम ने कहा कि इस योजना के आने से वह सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों से जुड़ पा रहे हैं। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की लाभान्वित शारदा मरकाम ने बताया कि उसके तीन साल के बेटे को इस योजना का बहुत लाभ मिला है। आंगनबाड़ी की बहनें उसे अंडा, केला और गरम भोजन देती थीं। अब बेटे का वजन अच्छा हो गया है। छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक की प्रतिभागी केंदा सोनकर ने बताया कि गेड़ी दौड़ और लंबी कूद में प्रथम आई हूं। फुगड़ी, गिल्ली डंडा और बांटी भी खेली हूं। खेल मुझे बहुत पसंद है। छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक में कई सालों बाद खेलने का मौका मिला। स्कूल शिक्षिका को छत्तीसगढिय़ा ओलपिंक के खेलों से याद आया बचपन। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सीएम के भेंट-मुलाकात फीडबैक का हिस्सा है, हमें कहां है और कहां जाना है, इसका रास्ता इसी से निकलेगा। इसलिए सीएम खुद लोगों से मिल रहे है कि उन्हें कितना नंबर मिल रहा है।

सीएम भूपेश विकास ढूंढ रहे तो आप किसे ढूंढ रहे कौशिक जी

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश के विकास में पूरी तरह से बाधक साबित हुई है। उन्होंने कहा कि मूलभूत सुविधा पाना जनता का हक है मगर कांग्रेस के शासनकाल में छत्तीसगढ़ की सभी जनता मूलभूत सुविधाओं के लिये भी तरस रही है अब तो प्रदेश के कथित विकास को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं ढंूढ रहे है। कौशिक ने कहा कि कांग्रेस के पास जब कार्य करने का समय था तब तो कुछ किया नहीं अब चुनावी वर्ष पर जनता के दिखाने के लिये विधानसभा दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में आज कोई वर्ग खुश नहीं है आज प्रदेश का हर वर्ग युवा, महिला एवं किसान परेशान है। उन्होंने कहा कि गांवों में सड़क नहीं होने से ग्रामीण आज भी मरीजों को खाट पर ढोने विवश है, पूरे प्रदेश को खोदापुर में तब्दील करने वाली इस भ्रष्ट सरकार से आम जनता पूरी तरह परेशान हो चुकी है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सीएम भूपेश का तो छोड़ो कौशिक जी पहले ये बताओ कि आप किसे ढूंढ रहे है। रमन-रमन छोड़कर ओम साव-साव की खोज में निकल पड़े है कौशिक जी पर नजरिया नहीं बदल पाए।

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