छत्तीसगढ़

आफत में फंसी मजदूरों की जिंदगी संक्रमण फैलने, मौत को रोकने लॉकडाउन

Admin2
11 April 2021 6:06 AM GMT
आफत में फंसी मजदूरों की जिंदगी संक्रमण फैलने, मौत को रोकने लॉकडाउन
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घर वापसी के लिए स्टेशन-बस अड्डे में उमड़ी भीड़

घर में खाने को नहीं,फैक्ट्रियां बंद, घर जाने पैसा नहीं, बेबस और लाचार मजदूरों को समझ में नहीं आ रहा क्या करें ?

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी में एक बार फिर मजदूर सड़कों पर दिखे, एक बार फिर मजदूर रायपुर से अपने-अपने गंतव्य की ओर निकलने लगे है। राजधानी में जारी लॉकडाउन में मजदूर फिर अपने घरों में जाने के लिए निकले है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है, जिसकी वजह से कई मजदूरों का रोजगार छिन गया इस बीच ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जहां लॉकडाउन की स्थिति में राजधानी से मजदूर पैदल ही अपने घर की ओर रवाना हो गए हैं। और कुछ मजदूर रायपुर रेलवे स्टेशन में बैठकर ट्रेन से अपने घर जाने के लिए निकल गए है। एक तरफ कोरोना महामारी भयावह रूप ले चुका है वही दूसरी तरफ मजदूर शहर के रेलवे स्टेशन तक पैदल आ रहे है और एमपी की ट्रेनों में बैठकर जा रहे है। मजदूरों को यात्री प्रतिक्षालय में बैठा देखा जा सकता है। कोरोना काल में पहले भी मजदूर सड़कों में पैदल घुमते थे और अब फिर से यही हो रहा है।

परिवार को साथ लेकर पैदल ही धरती नापने निकल पड़े इन मजदूरों की झोली में सफर के अनगिनत किस्सों के अलावा कुछ नहीं होते। मजदूर रास्ते में कहीं ट्रक, तो कहीं आटो तो कहीं सब्जी के वाहन से लिफ्ट लेकर कुछ दूर अपना सफर तय करते है। लेकिन उसके बाद फिर पैदल सफर करने लगते है। ये मजदूर वो लोग है जो शहर में लॉकडाउन लगने से पहले रायपुर में अपने काम-धाम करने आये थे मगर रायपुर में फिर से लॉकडाउन लग गया जिसकी वजह से मजदूर अपने-अपने घर जाने के लिए रेल्वे स्टेशन में लाइन लगाकर खड़े रहते है।

मजदूरों को पैदल सफर तय करना पड़ा था

राजधानी के हालात देखकर तो पलायन का संकट दोबारा उत्पन्न होने लगा है। पिछले वर्ष जो तस्वीरें लोगों ने देखी थीं, वे फिर से दिमाग में उतरने लगी है। लॉकडाउन के चलते जब यातायात सेवाएं ठप्प हो गई थीं तो प्रतिबंधों के चलते मजदूर पैदल ही हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घरों को लौटने शुरू हो गए थे। मजदूरों के पलायन की ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं जिन्होंने मन को झकझोर दिया था।

मजदूरों ने सुनाई अपनी व्यथा

पिछले साल मजदूर ऐसी ही तपती धूप में पैदल चलते दिखे थे। ऐसी ही तस्वीर एक बार फिर देखने को मिल रही है। जहां बड़ी संख्या में मजदूर घर जाने की आस में सड़कों पर चल रहे है। कई चिलचिलाती धूप में घर जाने के लिए पैदल निकल पड़े है, वहीं कुछ मजदूरों का कहना है, घर में खाने के लिए कुछ नहीं है और फैक्ट्रियां खुल नहीं रही है घर जाने के लिए पैसा नहीं है, व्यवस्था नहीं है क्या करें समझ में नहीं आ रहा है? मजदूर बताते है कि बिना काम किये खाना नहीं मिलता ऐसे में तो भूखे मर जाएंगे कोई आ जाता है तो कुछ खाना दे जाता है और यहीं से घर वालों के लिए भी ले जाते हैं।

रेलवे स्टेशन में मजदूरों का लगा तांता

रायपुर मजदूरों का हुजूम रायपुर रेल्वे स्टेशन में उमड़ पड़ा। ये मजदूर रायपुर अपने-अपने घरों से मध्यप्रदेश जाने के लिए रायपुर रेल्वे स्टेशन से ट्रेन पकडऩे के लिए पैदल रवाना होते है। मजूदरों ने बताया कि सब्जी की गाडिय़ों में बैठकर वे एक-एक हजार रुपये किराया देकर मध्यप्रदेश जाने की सोच रहे थे लेकिन रायपुर में लगे लॉकडाउन की वजह से ये भी नहीं हो पाया तो उन्हें ट्रेन से जाना पद रहा है। जहां वाहन की सुविधा नहीं है, वहां पैदल ही जाना पड़ रहा है। अलग-अलग राज्यों के मजदूरों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। मजदूरों को ट्रक और दूसरे साधनों से गृह प्रदेश पहुंचाने में लोग मदद कर रहे हैं।

कोरोना संक्रमण बढ़ा त्यौहार भी हुए फीके

कोरोना संक्रमण बेलगाम इसलिए हुआ क्योंकि ट्रेनों, बसों, सब्जी मंडियों, साप्ताहिक बाजारों आदि में लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग को छोड़ दिया और न ही मास्क का इस्तेमाल करते हैं। जिन्होंने मास्क पहन रखा है, वह भी महज दिखावे के लिए। उनके मास्क नाक के नीचे लटकते नजर आते हैं। इस लॉक डाउन के बीच में ही अब नवरात्र पर्व आ रहा है। पिछले साल लोगों ने देखा था कि नवरात्र-दीवाली आदि के बाद संक्रमण में तेजी आई थी। सतर्कता के साथ पर्व मनाना लोगों की जिम्मेदारी भी है।

संक्रमितों की संख्या बढ़ी लगा लॉकडाउन

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने 9 अप्रैल से 19 तक लॉकडाउन लगा दिया है। रायपुर के कलेक्टर और एसपी ने अपील की कि लॉकडाउन का सख्ती से पालन करें, लेकिन इसके कुछ ही घंटे बाद ही रायपुर रेल्वे स्टेशन में मजदूरों की भीड़ उमड़ पड़ी। रायपुर में मजदूरों की एक ही परेशानी थी। मजदूरों का कहना था कि लॉकडाउन लग गया है और रोजगार भी नहीं हैं ऐसे में जिएं तो कैसें?

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