छत्तीसगढ़

शेरनी प्रियंका रायपुर के जंगल सफारी से विदा, जानें कहां ले जाया गया?

jantaserishta.com
11 Dec 2021 2:49 AM GMT
शेरनी प्रियंका रायपुर के जंगल सफारी से विदा, जानें कहां ले जाया गया?
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रायपुर: जंगल सफारी में चार वर्ष से ज्यादा समय तक राज करने के बाद प्रियंका नामक शेरनी को शुक्रवार को मैसूर जू के लिए विदा कर दिया गया। प्रियंका की विदाई के पीछे जंगल सफारी में वन्यजीवों के प्रजातियों की संख्या में वृद्धि करना है। प्रियंका के बदले मैसूर जू से जंगल सफारी को एक जोड़ा वाइल्ड डॉग दिया जाएगा। वन्यजीव अफसरों के मुताबिक वन्यजीवों की अदला-बदली नवंबर माह में किया जाना था, लेकिन स्थिति परिस्थिति ऐसी निर्मित हो गई कि इसे कुछ समय के लिए टालना पड़ा।

उल्लेखनीय है, नए बाड़ों के निर्माण के बाद से वहां नए प्रजाति के वन्यजीवों को लाना है। इस बात को ध्यान में रखते हुए जंगल सफारी में नए प्रजाति के वन्यजीव के रूप में वाइल्ड डॉग का चयन किया गया। वाइल्ड डॉग लाने जंगल सफारी प्रबंधन को काफी पापड़ बेलने पड़े। तब कहीं जाकर उनकी मैसूर जू में तलाश पूरी हुई। साथ ही एक लॉयनेस के बदले जोड़ा में वाइल्ड डॉग देने की बात पर सहमति बनी। जंगल सफारी प्रबंधन के मुताबिक सफारी में वाइल्ड डॉग लाने एक वर्ष से खोज चल रही थी। इसके लिए सफारी प्रबंधन ने मैसूर के अलावा ग्वालियर, राजस्थान तथा हैदराबाद जू प्रबंधन से संपर्क किया था। इन जगहों के जू प्रबंधन ने जोड़ा वाइल्ड डॉग के बदले जोड़ा लायन की मांग की थी। उनकी इस मांग से सफारी प्रबंधन सहमत नहीं था।
वाइल्ड डॉग लाने की तैयारी अक्टूबर में कर ली गई थी। वाइल्ड डॉग को लेने के लिए जैसे ही टीम गठित की गई, वैसे ही कांकेर, गरियाबंद में तेंदुआ के आतंक की खबर आ गई। तेंगुआ द्वारा जनहानि पहुंचाने की घटना सामने आ गई। इसके बाद डॉक्टर के साथ वाइल्ड डॉग लाने वाली टीम को तेंदुआ रेस्क्यू करने में लगा दिया गया। इसी बीच सरगुजा में मानव हाथी द्वंद्व की घटना होने तथा हाथी की करंट से मौत और हाथियों की फूड प्वाइजनिंग की घटना घटित होने की वजह से भी वाइल्ड डॉग लाने की योजना को स्थगित करना पड़ा।
जंगल सफारी से लॉयनेस को मैसूर जू छोड़ने तथा वहां से वाइल्ड डॉग लाने छह सदस्यीय टीम रवाना किया गया है। टीम में एक वन्यजीव चिकित्सक सहित जू किपर तथा एनिमल विहेवियर समझने वाले के साथ अन्य सहयोगी शामिल हैं। लॉयनेस को रास्ते में किसी तरह से परेशानी न हो इसके लिए पांच से सात सौ किलोमीटर चलने के बाद रेस्क्यू वाहन को रास्ते में रोका जाएगा।

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